सभी भारत वासियों को , १५ अगस्त की पूर्व संध्या पर
भारतीय स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और ढेरों शुभकामनाएँ ...
एक विचार....
एक बार किसी पत्रकार ने गुलज़ार से
उनके पांच सबसे पसंदीदा गीतकारों के नाम
पूछे। गुलज़ार ने पांच गीतकार गिनवा दिये,
उसमें जावेद अख्तर का नाम नहीं था।
फिर क्या था पत्रकार ने ये बात जावेद अख्तर को
बताई और प्रतिक्रिया चाही?
जावेद अख्तर ने कहा,
इस बात पर बस मैं ये कह
सकता हूँ कि गुलज़ार साहब
की लिस्ट में जगह पाने के
लिए मुझे अभी और मेहनत
करना होगा।
इसे कहते है..व्यक्तित्व,..
इसे कहते है..
सकारात्मक सोच
इसे भी सोचना होगा....
दिगम्बर जी नासवा
खंड में बंटती रही माँ भारती लड़ते रहे हम
प्रांत भाषा वर्ण के झगड़ों में बस उलझे रहे हम
राष्ट्र की परिकल्पना क्यों सोच में आती नहीं है
स्त्री हूँ मैं
स्वाभिमान की पराकाष्ठा तक जाती हूँ,
प्रेम करती हूँ वो भी प्रगाढ़
खुद को मारकर
तुम्हें अपने अंदर जीती हूँ,
मेरी जिंदगी के रुपहले पर्दे पर
तुम विराजमान क्यूँ हो गए हो?
अब मैं तुम्हें भूलना चाहती हूँ।
तुम्हारी आँखों में.......
ये जो लाल कसीदाकारी है।
अब चाहे जहर दो या दवा दो,
मगर तुम्हारे दिल मे क्या हैं मुझको बता दो
ख़ाक हो जाए परवाने उनकी किस्मत हैं
आज नकाब अपने चेहरे से हटा दो
सम्भव होता गर जीवन का द्वितीय संस्करण,
समीक्षा कर लेता जीवन की भूलों का,
फिर जी लेता इक नव-संस्करित जीवन!
क्या मुमकिन है ये द्वितीय संस्करण?
नए सिरे से होता, तब रिश्तों का नवीकरण,
परिमार्जित कर लेता मैं अपनी भाषाएं,
बोली की कड़वाहट का होता शुद्धिकरण!
साकी का सुरूर चढ़ ना पाया
मोहब्बत का रंग उतर ना पाया
जाम जो पिला दिया नयनों ने
होश ग़ुम हो गए
मदहोशी के आँचल में
आलम इश्क़ के नशे का ऐसा जमा
बिन पिये ही दिल थिरकने लगा
चलते-चलते...
कौन सा झूठ
सच होता है
कौन सा झूठ
झूठ होता है
सोच कर देख
‘उलूक’ किसी दिन
दुनियाँ दिखाती है
बहुत कुछ दिखाती है
उसमें कितना कुछ
बहुत कुछ होता है
कितना कुछ कुछ
भी नहीं होता है
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अब बारी है
हम-क़दम के बत्तीसवें क़दम की
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम का बत्तीसवाँ क़दम
इस सप्ताह का विषय है
'परिचित'
...उदाहरण...
सुंदर वन का कौमार्य
सुघर यौवन की घातें सहता था
परिचय विहीन हो कर भी हम
लगते थे ज्यों चिर-परिचित हों।
उपरोक्त विषय पर आप को एक रचना रचनी है
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अंतिम तिथिः शनिवार 18 अगस्त 2018
प्रकाशन तिथि 20 अगस्त 2018 को प्रकाशित की जाएगी ।
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रचनाएँ पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के
सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें
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इसी के साथ इज़ाज़त दें
यशोदा
सुन्दर मंगलवारीय अंक। आभार यशोदा जी 'उलूक' के पुराने पन्ने को ला कर दिखाने के लिये।
जवाब देंहटाएंशिक्षाप्रद भूमिका के साथ बहुत सुंदर रचनाओं का गुलदस्ता तैयार किया है दी आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन।
नया विषय रोचक है उम्मीद हमारे रचनाकारों की क़लम के विविधता पूर्ण मनमोहक रंग हमें फिर से लुभायेंगे।
सादर
सुंदर रचनाएं, विषय भी बेहतरीन
जवाब देंहटाएंइस बार बहुत बेहतरीन विषय का चयन किया है आपने , रचनाएँ भी सब एक से बढ़कर एक है ... बधाई
जवाब देंहटाएंविचार ही है जो इंसान को इंसान बनाता है ...
जवाब देंहटाएंभावभीनी हाल हाल है ... आभार मुझे और मेरी रचना को आज जगह देने के लिए ।।।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आप सबको एवं समस्त देशवासियों को अग्रिम शुभकामनाएँ और बधाई । मेरे देश के शहीदों, जवानों एवं उनके परिजनों को श्रद्धांजलि एवं मेरा शत् शत् नमन स्वीकार्य हो। सच तो ये है कि आज हम एक दूसरे को शुभकामनाएँ मात्र इसलिए दे पा रहें हैं क्योंकि इन्हीं की वजह से स्वतंत्रता के यह पल हमारी ज़िन्दगी में आए हैं ।
जवाब देंहटाएंये मेरा सौभाग्य है कि इस लिंक से जुड़ने का मौका मिला है। सभी अभिव्यक्तियाँ बेहद सटीक और सशक्त हैं जिसके लिए समस्त रचनाकारों को मेरा हार्दिक नमन।
सुंदर संकलन बेहतरीन रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंविनम्रता के सुंदर आख्यान के साथ प्रेरणादायी भुमिका।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाओं का संकलन सभी रचनाकारों को बधाई ।
बहब ही सुन्दर और भावपूर्ण संकलन व प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई
बहुत सुन्दर संकलन रचनाओं का |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
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