।।प्रातः वंदन।।
किंजल्क किरण बिखरी है आज
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नमन है..
भारत के बहुमूल्य रत्नों में से एक अमूल्य रत्न राष्ट्रगान के रचनाकार , बांग्ला कवि,
साहित्यकार,चित्रकार ,दार्शनिक ,नोबेल पुरस्कार से सम्मानित
गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगौर जी को विनम्र श्रद्धांजलि..
"बर्तन में रखा पानी चमकता है समुद्र का पानी अस्पष्ट होता है लघु सत्य स्पष्ट शब्दों से
बताया सकता है,महान सत्य मौन रहता है।"
रवीन्द्र नाथ टैगोर
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भारतीय साहित्य का प्रथम हायकु आदरणीय गुरूदेव जी द्वारा..
पुरोनो पुकुर
ब्यांगेर लाफ
जलेर शब्द
(हिंदी अनुवाद)
पुराना तलाब
मेंढक की कूद
पानी की आवाज
पचा डाल
एकटा को
शरत्काल
(हिंदी अनुवाद)
सूखी डाल
एक कौआ
शरद काल
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अब रूख करते आज की प्रस्तुति पर जो कई कोणों से ली गई है..✍
एहसास ... जी हाँ ... क्यों करें किसी दूसरे के एहसास की बातें, जब की खुद का होना भी बे-मानी हो जाता है कभी कभी ... अकसर ज़िन्दगी गुज़र जाती है खुद को चूंटी काटते काटते ... जिन्दा हूँ तो उसका एहसास क्यों नहीं ...
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उनसे मैं बहुत डरता हूं जो वक़्त पड़ने पर गधे को भी बाप बना लेते हैं। इसमें दो-तीन समस्याएं हैं-
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पेशानी मेरी, लंबी लकीरों से सजाते,
वक्त से पहले ही, मुझे बूढ़ा बनाते,
मेरे भीतर , ईर्ष्या - द्वेष जगाते,
मुझे अक्सर, गलत पथ पर दौड़ाते,
रचते साजिश सदा,
मेरे स्वजनों को, मुझसे दूर करने की
मेरे उसूलों से, मुझे डगमगा देने की
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मन एकदम्मे कछमछा रहा है। कई बार लिखा और मिटा दिया। राजनीति और धर्म पे नहीं लिखने
का सोंच रखा है। बेकार में तनाव हो जाता है।
खैर! दलित एक्ट, पूण्य प्रसून, मुज़्ज़फरपुर बालिका गृह, एनआरसी आसाम!! देश में अकबकाट जैसा
लगता है। सोशल मीडिया गंभीर विषयों के विमर्श का मंच नहीं रहा। यहाँ बस "गाय का सिंग बैल में अउ
बैल का सिंग गाय में" (गौ रक्षा दल के लिए माफी यह एक देहाती कहावत है, समझ न आये तो किसी..
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शख़्स जो डगमगा नहीं सकते
अस्ल रस्ते पर आ नहीं सकते
ज़िन्दगी इक हसीन गीत है गो
लोग पर गुनगुना नहीं सकते
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आज ..बस यही तक..
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह..✍
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात पम्मी सखी
जवाब देंहटाएंउचित समय पर उचित बातें
ये तो पठन-पाठन के बिना असम्भव है
आभार,
सही व सधी हुई रचनाओँ के लिए
सादर
सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबढ़िया अंक।
जवाब देंहटाएंवाह!!बहुत सुंदर प्रस्तुति ।सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंवआआह...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति...
सादर...
वाह्ह...बहुत सुंदर भूमिका पम्मी दी,
जवाब देंहटाएंगुरुदेव को शत्-शत् नमन।
उनका लिखा गीत "जदि तोर डाक शुने केऊ न आसे तबो एकला चलो रे" मुझे सदैव प्रेरित करता है।
बेहतरीन रचनाओं से सजा बेहद सुंदर संकलन के लिए आपको बधाई और सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं।
किंजल्क किरण! वाह! किंजल्क अथवा किंजल का अर्थ भी इसी बहाने जान लिया। बहुत शिक्षाप्रद प्रस्तुति!आभार एवं बधाई!!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर हलचल ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को जगह देने में लिए ...
पम्मी जी बहुत ही सुंदर प्रस्तुति है आज की
जवाब देंहटाएंशुभदोपहर.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.....
ाआभार आदरणीय आप का.....
गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगौर को सादर नमन।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति के लिये आदरणीया पम्मी जी को बधाई।
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
सुंदर प्रस्तुति। बढ़िया पठनीय रचनाओं के लिंक्स संजोकर हम तक पहुँचाने के लिए आभार आदरणीया पम्मी जी।
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