सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष
यूँ तो कल रक्षाबन्धन है लेकिन हमारे घर में कई दिनों से उल्लास छाया हुआ है
बेटा बहू अमेरिका में हैं , उन्हें राखी भारत से आ रही...
ड्योढ़ी के बाहर ; ज्यादा देर , मेरे रहने से मेरे पति महोदय को दो दिन पहले ही लगा कि इस बार मेरे घर में राखी नहीं मना
परसों पूरे दिन परेशान रहे कि आज ही राखी है...
जब तक मैं घर में रही , बोलते रहे कि आज ही राखी है। तुम कुछ भी तैयारी नहीं की ना जाने क्यों!
जब मैं बाहर गोष्ठियों में थी तो फोन किये आज ही राखी थी तुम घूमने के चक्कर में भूल गई... तुम्हारे आस-पास जो लोग हैं उनसे पूछो कि आज ही राखी है कि नहीं 🤣
फिर मिलेंगे...
हम-क़दम
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम का तैंतीसवाँ क़दम
इस सप्ताह का विषय है
'आँखें'
...उदाहरण...
लो आसमान सी फैल उठीं नीली आँखें
लो उमड़ पड़ीं सागर सी वे भीगी आँखें
मेघश्याम सी घनी घनी कारी आँखें
मधुशाला सी भरी भरी भारी आँखें
एक भरे पैमाने सी छलकीं आँखें
-दिव्या माथुर
उपरोक्त विषय पर आप को एक रचना रचनी है
अंतिम तिथि :: आज शनिवार 25 अगस्त 2018
प्रकाशन तिथि :: 27 अगस्त 2018 को प्रकाशित की जाएगी
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खूबसूरत रेशमी धागों में गूँथे पवित्र भावों से सजा आज यह अंक बेहद सुंदर है दी👌
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ बहुत अच्छी हैं।
आदरणीय दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
राखी राखी
तेरे भाईयों ने
प्राण राखी
सादर
राखी
जवाब देंहटाएंतेरा इन्तजार करती है बहनेॆ
साल दर साल
बेहतरीन प्रस्तुति
सादर नमन
चूड़ी खनके
जवाब देंहटाएंमेंहदी वाले हाँथ
बाँधे जो राखी ।
बेहतरीन लिंक्स के साथ उम्दा प्रस्तुति ... बधाई सहित शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर राखी अंक।
जवाब देंहटाएंयाद मुझे तेरी आती है
जवाब देंहटाएंभैया जब राखी आती है ।।
बूंदे अश्को से गिरती है
यादे जब तेरी आती है ।।
तेरे कटे शीश की भैया
याद बहुत आती है ।।
याद बहुत आती है तेरी
भैया जब राखी आती है।।
बेहतरीन लिंक के साथ सुंदर राखी अंक की प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स राखी के अवसर पर
जवाब देंहटाएंसमय के साथ बढते कदम बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति 👌👌👌
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