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सोमवार, 26 सितंबर 2016

437.....रहम कर अक्षरों पर

सादर अभिवादन
...
कुछ लोग कहते हैं
क्या कर लोगे तुम लोग
हम तो करते जा रहे हैं
और करते रहेंगे
हमले पर हमले
हत्या पर हत्या
और तुम लोग
मीटिंग के अलावा
भर्स्तना ही तो करोगे

बस बहुत हो गई लिखा-पढ़ी
...
चलिए चलते हैं आज के लिंक्स की ओर....


अभी-अभी

चक्रव्यूह....संगीता स्वरुप
चक्रव्यूह -
लहर का हो या हो मन का
धीरे - धीरे भेद लिया जाता है
और चक्रव्यूह भेदते ही
धीरे -धीरे हो जाता है शांत
मन भी और समुद्र भी .





हिला-हिला धीमे पत्तों को 
पेड़े इशारा करके बोला 
‘उड़ जा चिड़िया‚ 
उड़ जा चिड़िया उड़ जा मेरे सिर से चिड़िया’ 
'देखें क्या कर लोगे मेरा' 
फुदक–फुदक कर ऐंठी बैठी 
चीं–चीं–चीं कर बोली 


शादी का जोड़ा.........रेवा
उसे हाँथ मे लेकर
सहलाया
ह्रदय से लगाया तो
एक क्षण मे
बाबुल का आँगन
याद आ गया....
माँ की एक एक
सीख
पिता का दुलार






तुमने ही तो बताया था 
ये कल-युग है द्वापर नहीं  
कृष्ण बस लीलाओं में आते हैं अब
युद्ध के तमाम नियम
दुर्योधन के कहने पर तय होते हैं
देवों के श्राप शक्ति हीन हो चुके हैं




मिले ग़म से अपने फ़ुर्सत तो सुनाऊँ वो फ़साना| 
कि टपक पड़े नज़र से मय-ए-इश्रत-ए-शबाना| 




न पाया कुछ
न खोने को है कुछ
काहे का डर

खाली है जेब
खाली दिल दिमाग
खाली मकान



अँधेरा है, अँधेरा है,
बेहद अँधेरा है।
घुप अँधेरे ने
सारी सृष्टि को
अपने जाल में / जंजाल में
धर दबोचा है,

पुराने कागज पर नए अक्षर..

बख्स भी दे 
अच्छा नहीं है 
उछल कूद 
कराना 
इतना ज्यादा 
दुखने लगे 
हैं जोड़ 
ऊपर से लेकर 
नीचे तक 
.....
आज्ञा दें
यशोदा को..
1957 का एक गीत याद आ गया आज

आप भी सुनिए..






10 टिप्‍पणियां:

  1. सस्नेहाशीष संग सुप्रभात छोटी बहना
    बढ़िया लिंक्स सजा

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर लिंक्स आज की हलचल में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद यशोदा जी ! आभार आपका !

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्छा लग रहा है बढ़ती टिप्पणियाँ देख कर । सुन्दर प्रस्तुति । आभार यशोदा जी 'उलूक' की एक पुरानी बकवास 'रहम कर अक्षरों पर' को स्थान देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  4. यशोदा जी , सुन्दर प्रस्तुति । मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय दीदी
      सादर चरणस्पर्श
      मुझे भी अच्छा लगा
      आप आई यहा पर
      सादर अनुरोध आपसे
      आप आइए , यहाँ
      एक दिन आपके नाम कर देती हूँ
      सादर
      यशोदा

      हटाएं
    2. मेरा भी अभिवादन स्विकार करें। आदरणीय दीदी।
      आप अगर पांच लिंकों का आनंद पर अपने स्नेह की वर्षा करेंगे तो हम सब को अच्छा लगेगा। पर आप की चर्चाकारा के रूप में हम सब को प्रतीक्षा है।

      हटाएं
  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति यशोदा दीदी

    जवाब देंहटाएं

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