सादर अभिवादन ... कुछ लोग कहते हैं क्या कर लोगे तुम लोग हम तो करते जा रहे हैं और करते रहेंगे हमले पर हमले हत्या पर हत्या और तुम लोग मीटिंग के अलावा भर्स्तना ही तो करोगे बस बहुत हो गई लिखा-पढ़ी ... चलिए चलते हैं आज के लिंक्स की ओर.... अभी-अभी
चक्रव्यूह....संगीता स्वरुप चक्रव्यूह - लहर का हो या हो मन का धीरे - धीरे भेद लिया जाता है और चक्रव्यूह भेदते ही धीरे -धीरे हो जाता है शांत मन भी और समुद्र भी .
मेरा भी अभिवादन स्विकार करें। आदरणीय दीदी। आप अगर पांच लिंकों का आनंद पर अपने स्नेह की वर्षा करेंगे तो हम सब को अच्छा लगेगा। पर आप की चर्चाकारा के रूप में हम सब को प्रतीक्षा है।
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सस्नेहाशीष संग सुप्रभात छोटी बहना
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स सजा
बहुत सुंदर लीक सजाया है
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिंक्स आज की हलचल में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद यशोदा जी ! आभार आपका !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिंक्स...
जवाब देंहटाएंअच्छा लग रहा है बढ़ती टिप्पणियाँ देख कर । सुन्दर प्रस्तुति । आभार यशोदा जी 'उलूक' की एक पुरानी बकवास 'रहम कर अक्षरों पर' को स्थान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंयशोदा जी , सुन्दर प्रस्तुति । मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंआदरणीय दीदी
हटाएंसादर चरणस्पर्श
मुझे भी अच्छा लगा
आप आई यहा पर
सादर अनुरोध आपसे
आप आइए , यहाँ
एक दिन आपके नाम कर देती हूँ
सादर
यशोदा
मेरा भी अभिवादन स्विकार करें। आदरणीय दीदी।
हटाएंआप अगर पांच लिंकों का आनंद पर अपने स्नेह की वर्षा करेंगे तो हम सब को अच्छा लगेगा। पर आप की चर्चाकारा के रूप में हम सब को प्रतीक्षा है।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति यशोदा दीदी
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