14 सितंबर के दिन...
हर तरफ हिंदी की चर्चा हो रही थी...
कोई कहे रहे थे...
हिंदी बिना देश का विकास संभव नहीं...
कोई कह रहे थे...
हिन्दुस्तानी हैं हम गर्व करो हिंदी पर
कोई नारे लगा रहे थे...
एकता ही हैं देश का बल, जरुरी हैं हिंदी का संबल
आज दो दिन ही बीते हैं...
न कहीं चर्चा हो रही है...
न कहीं नारे सुनाई दे रहे हैं...
मैं भूल गया था...
हिंदी दिवस बीत गया है...
पर हमे याद रखना चाहिये कि...
शास्त्री जी ने कहा था....
"हिन्दी हमारी मातृभाषा है; मात्र एक भाषा नहीं। सिर्फ़ हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है।
गर्व से स्विकारें कि हम हिंदी भाषी हैं अनेकता में एकता का स्वर हिंदी के माध्यम से गूंजता हैं"
एक ऊंची उड़ान हिंदी है.
देश की आन-बान हिंदी है.
जो सभी के दिलों में घर कर ले,
ऐसी मीठी ज़बान हिंदी है.
-कुँवर कुसुमेश
या देवि सर्वभूतेषु हिन्दीरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः "
हे सृष्टिस्वरूपिणी !
हे कामरूपिणी !
हे बीजरूपिणी !
जो जिस भाव और कामना से
श्रद्धा एवं विधि के साथ
तेरा परायण करते हैं
उन्हें उसी भावना और कामना के अनुसार
निश्चय ही फल सिद्धि होती है .......
हिन्दी दिवस भी हमारे देश में साल में एक बार किसी त्यौहार की तरह ही मनाया जाने लगा है ठीक उसी तरह जैसे हम होली, दीवाली, ईद, क्रिसमस मनाते हैं ! यह ‘दिवस’ मनाने का चलन भी खूब निकला है ! बस साल के पूरे ३६५ दिनों में एक दिन, असली हों या नकली, हिन्दी के मान सम्मान की ढेर सारी बातें कर लो, अच्छे-अच्छे लेख, कवितायें, कहानियाँ लिख कर अपनी कर्तव्यपरायणता और दायित्व बोध का भरपूर प्रदर्शन कर लो और फिर बाकी ३६४ दिन निश्चिन्त होकर मुँह ढक कर गहरी नींद में सो जाओ अगले हिन्दी दिवस के आने तक !
हिन्दी की बोली
मात खाती रहती
पढ़े लिखों से।
हिन्दी दिवस
एक दिन का जश्न
फिर अँधेरा ।
हमारी हिन्दी
हमारा अभिमान
सब दो मान।
अन्य अंग्रेजी भाषी स्कूल के विद्यार्थी का एक जैसा पाठ्यक्रम होने पर भी हिंदी भाषी सरकारी स्कूल के छात्र अंग्रेजी भाषी स्कूल के छात्रों से सदा पिछड़े हुए रहते है ,इसी कारण अब मध्यमवर्गीय परिवार के लोग तो क्या निर्धन परिवारों के लोग भी अंग्रेज़ी भाषी स्कूलों में अपने बच्चो को शिक्षित करना चाहते है ,चाहे उन्हें उसके लिए अपना पेट काट कर क्यों न रहना पड़े | हमारे भारत की तीन चौथाई जनसंख्या गाँवों में रहती है जहां या तो स्कूल न के बराबर होते है अगर है तो सिर्फ हिंदी भाषी जिनका अंग्रेजी भाषा से दूर दूर तक कोई सरोकार नही होता ,ऐसे में आज के नौजवान, युवा वर्ग इस देश की भविष्य नीधि जब अंग्रेज़ी भाषा के सामने हीन भावना
से ग्रस्त रहेगी तो इस देश के भविष्य का क्या होगा ?
पूरे देश और दुनिया में
हिंदी का जितना प्रसार भारतीय सिनेमा और टीवी ने किया है उतना सरकारें मिलकर भी नहीं कर सकी हैं क्योंकि हिंदी फिल्मों में नायकों के उदय होने के साथ जिस तरह से उनके प्रति दीवानगी बढ़ी तथा बहुत सारे उन क्षेत्रों में भी उनकी लोकप्रियता पहुंची जहां तक हिंदी का पहुंचना मुश्किल था तो उसके योगदान को किसी भी तरह से कम करके नहीं आँका जा सकता है. यह वह कला और मनोरंजन का क्षेत्र है जिसने लाखों लोगों को हिंदी के शब्दों से परिचित किया और वह आज उनके काम भी आ रहा है. भाषाएँ जटिलता के स्थान पर समरसता के साथ आगे बढ़ सकती हैं पर जिस तरह से कई बार भाषाओँ को थोपने का प्रयास किया जाता है उसके समर्थन से मामले बिगड़ भी जाते हैं. आज कम्प्यूटर के युग में इस तरफ ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है कि सरकार और भाषायी विविधता पर काम कर रहे अन्य संगठन भी इसी तरह से अपने को आगे बढ़ाने की कोशिशें करें जिससे दबाव के स्थान पर सहयोग को प्राथमिकता दी जा सके. सुदूर क्षेत्र की दूसरी भाषा जानने वाले लोगों
को नौकरियों में कुछ प्राथमिकता देकर भी भाषाओँ की विविधता का पोषण किया जा सकता है मातृभाषा और स्थानीय बोलचाल की भाषा के अतिरिक्त हर बच्चे के लिए यदि एक और भाषा के बारे में व्यवस्था की जा सके तो इस परिदृश्य को बदलने में सहायता मिल सकती है.
मातृभाषा, माँ बोली
जिसने पहचान कराई
हिंदी से हिन्दुस्तान से
बल्कि कहूँ तो
सारे जहान से
इसे दिवस विशेष
मत बनाओ
बड़ा लम्बा सफ़र
तय किया है इसने
मैं, तुम से लेकर
हम तक पहुँचने का
इसकी क़ाबलियत का
सम्मान करो और
अपनाकर हर्ष से
हर दिन !
जन-जन तक इस
दिवस विशेष का
ये सन्देश पहुँचाओ !!!
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
अंग्रेज़ी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन।
पै निज भाषाज्ञान बिन, रहत हीन के हीन।।
सब मिल तासों छाँड़ि कै, दूजे और उपाय।
उन्नति भाषा की करहु, अहो भ्रातगन आय।।
क्या हुआ हिंदी दिवस बीत गया...
हमारे पास हिंदी पर आप की लिखी हुई....
प्रत्येक रचना लिंकबध है...
जिसे जो चाहे कभी भी पढ़ सकता है...
आनंद आ गया...
हिंदी का गुणगाण पढ़कर...
काश ये आनंद....
प्रतिपल प्रत्येक भारतीय को आ पाता....
धन्यवाद।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंहिन्दुस्तानी हैं हम गर्व करो हिंदी पर
कोई नारे लगा रहे थे...
एकता ही हैं देश का बल, जरुरी हैं हिंदी का संबल
आज दो दिन ही बीते हैं...
न कहीं चर्चा हो रही है...
न कहीं नारे सुनाई दे रहे हैं...
मैं भूल गया था...
हिंदी दिवस बीत गया है...
सुन्दर चयन..
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति कुलदीप जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र और हिन्दीमय हलचल ! आज की हलचल में मेरे आलेख को सम्मिलित करने के लिए आपका ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद भाई कुलदीप जी ! मेरा अभिवादन स्वीकार करें !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हिन्दीमयी हलचल प्रतुति हेतु आभार!
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