बिना किसी लाग-लपेट के
सीधे चलते है पसंदीदा रचनाओं की ओर....
मैं जानता हूं कि.....ज़हीर कुरेशी
इतना तो तय था कि
अस्मत लुटा के लौटेगी,
सुबह की भूली
अगर रात भर नहीं लौटी।
एक अफसाना..आशा सक्सेना
एक अफसाना सुनाया आपने
गहराई तक पैठ गया मन में
जब पास बुलाया आपने
थमता सा पाया उस पल को
कसक शब्दों की आपके
वर्षों तक बेचैन करती रही
पाँच का मतलब पांच
आज्ञा दें
यशोदा को
सादर
सुप्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंइतना तो तय था कि
अस्मत लुटा के लौटेगी,
सुबह की भूली
अगर रात भर नहीं लौटी।
बहुत अच्छी हलचल
सादर
सुन्दर प्रस्तुति यशोदा जी। आभार यशोदा जी 'उलूक' की एक पुरानी बकवास को आज के सूत्रों में जगह और चर्चा को उसका शीर्षक देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
अति सुन्दर प्रस्तुतीकरण यशोदा जी !
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर प्रस्तुतीकरण यशोदा जी !
जवाब देंहटाएंशुभदोपहर...
जवाब देंहटाएंसुंदर....
धन्यवाद यशोदा जी मेरी रचना शामिल करने के लिए |
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