सभी को यथायोग्य
पवित्र मन रखो
पवित्र मन रखो, पवित्र तन रखो
पवित्रता मनुष्यता की शान है
जो मन वचन कर्म से पवित्र है
वो चरित्रवान ही यहाँ महान है ।।
बादल मामा.......
ईश्वर ने सृष्टि को दिए कई वरदान,
सर्वोपरी है जिसमें निरवधि प्रेम-
प्रबलता इतनी के जड में भी भर दे प्राण ,
नहीं दूजी कोई अनुभूती, इसके समान ॥
प्रेम के है रूप अनेक,हर रूप का है भाव महान।
अपने अक्सर दूर क्यू हो जाते है
दुनिया की भीड़ मैं हम क्यू खो जाते है
अजनबी से शहर मैं हमे भेज देते
क्या हम अपनो से इतने पराए हो जाते हैं
मित्रों , मुझे हमेशा से ही कविताओं से प्यार रहा है और यदि नाटक कविता के रूप में हो तो मेरे मन को भा जाता है । यह नाटक मुझे बहुत ही अच्छा लगा । इस नाटक के कथानक में कहावतों को समझाने के लिए कविता के द्वारा अर्थ समझाया गया है । नाटककार ने सुन्दर शब्दों में और कविता के रूप में अर्थ को बड़े ही मोहक तरीके से समझाया है ।
सुन्दर हलचल प्रस्तुति ...धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ
हटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति विभा जी ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
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