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शनिवार, 26 दिसंबर 2015
'संवाद-रंग'
6 टिप्पणियां:
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आदरणीय दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
संवाद
मधुरतम
सबके मन को भाता है
सादर
आदरणीय दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन!
मेरा अहोभाग्य कि आपकी पारखी दृष्टि पड़ी। मन विह्वल है। अज्ञेय से उधार लेकर कहता हूँ - 'जो कली खिलेगी जहाँ, खिली, जो फूल जहाँ है, जो भी सुख जिस भी डाली पर हुआ पल्लवित, पुलकित, मैं उसे वहीं पर अक्षत, अनाघ्रात,अस्पृष्ट, अनाविल ------' आपको हृदय से अर्पित करता हूँ।
वास्तव में यह मेरे लिए 'इस साल का तौहफा' है।
हृदय से आभार।
Waaaah behatreeeen
जवाब देंहटाएंसादर नमन
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्र चयन सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
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