1528 में मुगल सम्राट बाबर द्वारा प्राजीन मंदिर गिराकर एक मस्जिद का निर्माण....
6 दिसम्बर 1992 को कारसेवकों द्वारा विवादित ढाचे को ढहाना...
या हर वर्ष 6 दिसंबर को घटित घटनाएं या विवाद कहीं न कहीं केवल राजनैतिक शड़यंत्र है...
आम जनता का इससे कोई लेना-देना नहीं है...
आम जनता तो केवल राजनैतिक तुफान का हिस्सा बनती है...
अब देखते हैं...
आप सब के प्यारे-प्यारे लिंको...
से सजी आनंद की हलचल...
तनहा सफ़र जिंदगी का--राजीव कुमार झा
इन रस्तों से होकर ख्वाबों में गुजरे
दिखे हैं सहरा चांद हर जर्रे पर
तेरा अक्स जो नजर आ जाए
दिखे है दूजा चांद नदी के दर्पण पर
आंखें छलक जाती हैं निगाह मिलने पर
हश्र तो ये है तुमसे इस मुलाकात पर
जरा गौर फरमाईए ‘राजीव’ की बात पर
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थका थका सा दिन--shashi purwar
उमर निगोड़ी
नदी किनारे
जाने किन सपनों में खोई
नहीं आजकल
दिखते कागा
पाहुन का सन्देश सुनाते
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जिंदगी प्यारी लगने लगी है.....--रश्मि शर्मा
उसका मन फिर मचल रहा है
देख सुहाती सी धूप
रंग-बिरंगे फूल और
चटखती कलियां
जंगली फूलों सा लड़की का मन
हरा-भरा है
हाथों में रंग भरकर घर के पीछे वाली
दीवार पर
भरी दोपहरी
चांद उगा आई है
जिंदगी
सहसा तू मुझे भी
बड़ी प्यारी लगने लगी है
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बचपन कान्हां का--Asha Saxena
कान्हां तू कितना चंचल
एक जगह रुक न पाता
सारे धर में धूम मचाता
मन चाहा करवाता
तू मां की आँख का तारा
हो गया सभी का दुलारा
मां की ममता का तू संबल
तन मन तुझ पर सबने वारा
किया पूतना वध
कष्टों से गोकुल को उबारा
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हम शबे वस्ल में सिर्फ जलते रहे--Naveen Mani Tripathi
फ़िक्र बदनामियों की उन्हें भी रही ।
वह नकाबों में घर से निकलते रहे ।।
कुछ तो रुस्वाइयां बर्फ मानिंद थीं ।
हसरतों को लिए हम पिघलते रहे ।।
धन्यवाद।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंहलचल में चुनी गई लिंक्स पढ़ना सरल होता है इस लिए बहुत अच्छा लगता है |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद कुलदीप जी |
बहुत सुंदर प्रस्तुति कुलदीप जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंमुझे भी शामिल करने के लिए आभार.
बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
सुंदर प्रस्तुति कुलदीप जी ।
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