निवेदन।


फ़ॉलोअर

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

144...किसी प्रश्न को समझ लेना आधा उत्तर है।


जय मां हाटेशवरी...

बुद्धि आश्चर्य में शुरू होती है।
सौंदर्य एक अल्पकालिक अत्याचार है।
किसी प्रश्न को समझ लेना आधा उत्तर है।
व्यस्त ज़िन्दगी की दरिद्रता से सावधान रहो।

ये हैं...सुकरात के कुछ अनमोल विचार...
अब चलते हैं...आज की हलचल की ओर...

हे दुनिया के लोगो--vijay kumar sappatti
  हमने तो इंसान बनाकर दुनिया में तुम्हे भेजा था तुम हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई और पता नहीं क्या क्या हो गए हो....
एक बार फिर से इंसान बनकर तो देखो...
हम तुममे में ही है......




सफ़र जिंदगी के--Mukesh Kumar Sinha
डेल्टा पर जमा कर अवशेष
फिर हो जायेगी परिणति मेरी भी
आखरी पड़ाव पर
महा समुद्र से महासंगम
बिलकुल तुम्हारी तरह !!!
हे ईश्वर !!
मेरा और नदी का सफ़र
शाश्वत और सार्थक
 !!

हैं बहुत गहरे मेरे,ज़ख्म न भर पायेंगें--shikha kaushik
  टूटा है टुकड़े-टुकड़े  दिल ,कैसे ये जुड़ जायेगा ,
जोड़ पाने की जुगत में और चोट खायेगा ,
दर्द के धागों से कसकर लब मेरे सिल जायेंगें !
हैं  बहुत  गहरे  मेरे ,   ज़ख्म  न  भर  पायेंगें !
.........................................................
है मुकद्दर  की खता जो मुझको इतने ग़म मिले ,
रुक नहीं पाये कभी आंसुओं के सिलसिले


श्रीराम का पिताकी आज्ञा के पालन को ही धर्म बताकर माता और लक्ष्मण को समझाना--Anita
 धर्म श्रेष्ठ है संसार में, सत्य प्रतिष्ठित है धर्म में
धर्म आश्रित वचन पिता का, इससे ही परम उत्तम है
प्रतिज्ञा करके पालन की, वचन तोड़ना अति अधम है
पिता के कहने से कैकेयी ने, वन जाने की आज्ञा दी है
नहीं उल्लंघन कर सकता मैं, यही धर्म दृष्टि कहती है
केवल क्षात्र धर्म को माने, ओछी बुद्धि का त्याग करो
त्याग कठोरता हो धर्म आश्रित, मेरे कहे अनुसार चलो
सौहार्द वश कहकर ऐसा, माता को प्रणाम किया
दो आज्ञा वन जाने की, हाथ जोड़कर उन्हें कहा
पूर्वकाल में राजर्षि ययाति, स्वर्ग से भूतल पर आये
लौट आऊँगा मैं अयोध्या, उसी प्रकार पुनः वन से
स्वस्ति वाचन तुम कराओ, प्राणों की शपथ खा कहता
धरो शोक को अंतर में ही, वनवास से मैं लौटूंगा
पिता की आज्ञा में रहना है, तुम्हें, मुझे, सीता, सबको ही
मन का दुःख मन में दबा लो, रख दो यह अभिषेक सामग्री
धर्मानुकूल सुन बात राम की, व्यग्रता, आकुलता से मुक्त  
देवी कौसल्या होश में आयीं, जैसे पुनः हो जीवित, मृत


बाघा जतीन की १३६ वीं जयंती--शिवम् मिश्रा
 उन्हीं दिनों अंग्रेजों ने बंग-भंग की योजना बनायी। बंगालियों ने इसका विरोध खुल कर किया। जतींद्र नाथ मुखर्जी का नया खून उबलने लगा। उन्होंने साम्राज्यशाही
की नौकरी को लात मार कर आन्दोलन की राह पकड़ी। सन् १९१० में एक क्रांतिकारी संगठन में काम करते वक्त जतींद्र नाथ 'हावड़ा षडयंत्र केस' में गिरफ्तार कर लिए गए
और उन्हें साल भर की जेल काटनी पड़ी।


अब हलचल तो पूरी हुई...
 हमारी आदरणीय vibha आंटी का  सपनाभी  2016 में अवश्य पूरा होगा...
एक आयोजन सफल हुआ कि आँखें फिर नई संजो लेती है
रवीन्द्रनाथ टैगोर जी ने सन् 1916 में पहली बार हाइकु की चर्चा किये थे
उस हिसाब से 2016 हाइकु शताब्दी वर्ष है
तो
क्यों न हम 100 हाइकुकार इक किताब में सहयोगाधार पर शामिल हो , विमोचन पर एकत्रित हो यादगार आयोजनोत्सव मनायें
जो शामिल होना चाहें
स्वागत है




12 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    बेहतरीन प्रस्तुति
    साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. देर से आने के लिए खेद है..सुंदर सूत्रों के लिए बधाई और मुझे शामिल करने के लिए आभार !

    जवाब देंहटाएं
  3. डेल्टा पर जमा कर अवशेष
    फिर हो जायेगी परिणति मेरी भी
    बेहतरीन लिंक्स.... कुलदीप जी

    जवाब देंहटाएं
  4. " प्रेम रतन निजात पायो "
    आज साबित हो गया की पैसे वाला कानून भी खरीद सकता है आश्चर्य नहीं होना चाहिए यह सब पैसे का ही खेल हे की ,गुजरात.हाशिमपुरा और ना जाने कितने दंगो के अपराधी मजे से घूम रहे है इस तरह के केस का फैसला तो अदालत के बाहर ही हो जाता है अदालत में तो सिर्फ दस्तखत होते है
    वो क्या है ना पैसे में गर्मी ही इतनी होती है कि किसी का भी ईमान पिघल जाये वरना निचली अदालत सबूतों के आधार पर जिसको 5 साल की सजा सुनाती है और आज 10 महीने बाद उपरी अदालत कहती है सलमान के खिलाफ सबूत ही नहीं है ....भैय्या जनता इतनी भी बेवक़ूफ़ नहीं है .सब जानती है . ''खैर पतंग उड़ाना कभी कभी फायदेमंद भी होता है .''बस गलती मरने वाले गरीब की थी वो फुटपाथ पर सो रहे थे उसे इतना तो ध्यान रखना चाहिए था की फुटपाथ सोने की जगह नहीं होती कभी किसी अमीर की गाड़ी भी फुटपाथ से गुजर सकती है .भैय्या गलत तो गरीब होता है और हमेशा गलत ही ठहराया जाता है खेर सब छोड़ो चलो सलमान शाहरुख़ की फिल्मे आ रही है उसपे चर्चा करो यहाँ लोगों का ईमान मर चूका है

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...