कहते हैं रात में
बाबा सान्ता क्लाज़ आते हैं
और बच्चों के मोजों में
उपहार भर देते हैं
क्रिसमस पर रचनाएं तो नहीं है
पर चित्र जरूर दे रही हूँ
छान्दसिक अनुगायन में
नया साल आया है
इसको गले लगाना है |
इसकी आँखों में कुछ
सपना नया सजाना है |
आहुति में
क्यूँ ना मैं...
इक किताब बन जाऊं,
तुम अपने हाथों में थामो मुझे,
अपनी उंगलियों से...
मेरे शब्दों को छू कर,
मुझे अपने जहन में....
शामिल कर लो..
जिन्दगी की राहें में
बहुतों बार उस कुत्तें ने अपने
गरीब मालिक में भरी थी गर्मी
उस ठन्डे जाड़े की रात में चिपक कर स्पर्श से
बताया था उसने अपने मालिक को हाँ, मैं हूँ तुम्हारा अभिन्न !!
पिताजी में
शील से कोई सरोकार नहीं पुलिस का
पुलिस चाहे दिल्ली की हो
मुंबई की
चैन्ने की
कोलकाटा की
पुणे की
आंध्र प्रदेश की
या किसी भी शहर की
अथवा गांव की
क्रूर ही होती है
गुज़ारिश में
आज फिर
दर्द हल्का है
साँसें भारी हैं
दिल अजीब सी कशमकश में है
कोई गाड़ी छूट रही हो जैसे...
ये रख दी मैंनें आज की अंतिम कड़ी
थोड़ी सी मुस्कुराहट लाइए चेहरे पर
और पूरी रचना पढ़िये
नीत-नीत में
लड़का जब " आवारा गेंद"
हो जाए तो
वो मोटरसाइकिल उठाए फिरता है,
और कोई प्रधानमंत्री जब
" आवारा गेंद"
हो जाए तो
वह हवाई जहाज उठाए फिरता है.....
इज़ाज़त दें..
यशोदा..
रचना तो कोई नहीं
ये गीत सुनिए क्रिसमस पर
गुजरात से आयातित..
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष छोटी बहना
अशेष शुभकामनायें
उम्दा लिंक्स का चयन
बहुत सुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स
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