यथायोग्य सभी को
प्रणामाशीष
कल मैं पटना से दिल्ली आई थी
हाइकु दिवस
और
हमारे दो पुस्तकों के विमोचन के लिए
आओ हँस लें
आज से पंद्रह दिनों बस
अध्यात्म का मेला
भक्तों से प्रभू का
सीधा है संपर्क का रेला
छोटी सी बात
छोटा सा दिन और छोटा सा जीवन
अपनी अँजुरी में क्या-क्या लूँ
अपनी बातों में क्या-क्या कहूं
सुबह होती है, शाम होता है
किताबें बोलती हैं
अजब चलन है के अब यारियाँ नहीं चलतीं
नफा न हो तो, वफादारियाँ नहीं चलतीं
नये ज़माने की अय्यारियाँ नहीं चलतीं
हसद की बुग्ज़ की, बीमारियाँ नहीं चलतीं
आलपिन कांड
ब्लंडर मिस्टेक तो आलपिन कंपनी के
प्रोपराइटर का है
जिसने वेस्ट जैसा चीज़ को
इतना नुकीली बनाया
और आपको
धरातल पे कष्ट पहुंचाया।
मेहनत और जिन्दगी
सब गुणो का है आधार
परिश्राम लगातार
करते रहो मेहनत
हारो नही हिम्मत
रहो हमेशा प्रयासरत
हक
मेहनत की शिद्दत को नहीं देखा उसने,
हमारी पुरज़ोर हिम्मत को नहीं देखा उसने.
गम इस बात का नहीं के फैसला मेरे खिलाफ था,
गम तो इस बात का है की,
फैसले को उसूल के तराज़ू से नहीं परखा उसने
वर्सी महोत्सव
वर्सी महोत्सव का मूल उद्देश्य यही है कि मानव जीवन में आध्यात्मिक परिवर्तन आये
उसका व्यवहार, आचरण, संस्कार और मानवीय कर्म ज्ञान के अनुरूप हो.
आज हर कोई जमाने को तो बदलना चाहता है
लेकिन ख़ुद को बदलने के बारे में संत - महात्मा ही सोचते है.
फिर मिलेंगे ...... तब तक के लिए
आखरी सलाम
विभा रानी श्रीवास्तव
शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ...बधाइयाँ
पुस्तकोॆ विमोचन पर
आपको और सहयोगियों को
सादर
शुभ प्रभात
हटाएंसस्नेहाशीष छोटी बहना
बहुत बहूत धन्यवाद आपका
बधाई हो,,,,
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ...!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाऐं । सुंदर प्रस्तुति ।
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