इश्क में पीट के आने के लिए काफी हूँ
मैं निहत्था ही ज़माने के लिए काफी हूँ
हर हकीकत को मेरी, खाक समझने वाले
मैं तेरी नींद उड़ाने के लिए काफी हूँ
एक अख़बार हूँ, औकात ही क्या मेरी
मगर शहर में आग लगाने के लिए काफी हूँ
सर्दी कुछ अधिक है...
पर सूर्य देव प्रसन्न हैं...
इसी लिये मैं लाया हूं आप के लिये...
पंच-रंगी हलचल....
बुरा भला ब्लॉग पर पढ़ें...
काकोरी काण्ड के स्वतंत्रता सेनानियों का ८८ वां बलिदान दिवस
दरअसल क्रांतिकारियों ने जो खजाना लूटा उसे जालिम अंग्रेजों ने हिंदुस्तान के लोगों से ही छीना था। लूटे गए धन का इस्तेमाल क्रांतिकारी हथियार खरीदने और आजादी के आंदोलन को जारी रखने में करना चाहते थे। इतिहास में यह घटना काकोरी कांड के नाम से जानी गई, जिससे गोरी हुकूमत बुरी तरह तिलमिला उठी। उसने अपना दमन चक्र और भी तेज कर दिया।
अपनों की ही गद्दारी के चलते काकोरी की घटना में शामिल सभी क्रांतिकारी पकडे़ गए, सिर्फ चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों के हाथ नहीं आए। हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के 45 सदस्यों पर मुकदमा चलाया गया जिनमें से राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई।
Onkar जी को खेद है कि...
मैं बहुत व्यस्त हूँ
ज़िन्दगी भर रहा,
न औरों के लिए,
न अपनों के लिए,
यहाँ तक कि
ख़ुद के लिए भी
वक़्त ही नहीं मिला
नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे
ये गीत गूंज रहा है...उच्चारण: पर...
नव-वर्ष हमेशा आता है, सुख के निर्झर अब तक न बहे,
सम्पदा न लेती अंगड़ाई, कितने दारुण दुख-दर्द सहे,
मक्कारों के वारे-न्यारे!
नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे!!
रोटी-रोजी के संकट में, नही गीत-प्रीत के भाते हैं,
कहने को अपने सारे हैं, पर झूठे रिश्ते-नाते हैं,
सब स्वप्न हो गये अंगारे
आशुतोष की कलम से हम ये क्या सुन रहे हैं...
बलात्कारी अफरोज की रिहाई और केजरीवाल सरकार का बलात्कार का इनाम
यदि इस दरिन्दे अफरोज ने खुद के 18 साल से थोडा कम होने के कारण क़ानून का फायदा उठा के अपनी रिहाई का रास्ता बना लिया है तो क्यों न सरकार इसकी तस्वीर और पहचान सार्वजनिक कर दे जिससे फिर कोई निर्भया अफरोज की हवस और हैवानियत का शिकार न होने पाए..दूसरी ओर सबसे दुखद ये है की अरविन्द केजरीवाल ने अब उस राक्षस को खुला
छोड़ने के साथ साथ उसे 10000 रूपये तथा सभी आवश्यक सहायता देने की घोषणा की है..क्या अफरोज जैसे बलात्कारी को पैसे देकर हमारी बेटियों महिलाओं की सुरक्षा होगी
कैलाश शर्मा जी कहे रहे हैं...
जीवन घट रीत चला
हर पल ऐसे बीता,
जैसे इक युग गुज़रा।
खुशियों का कर वादा,
सपनों ने आज छला।
कण कण है शून्य आज,
हर कोना है उदास।
जीवन में अँधियारा,
आयेगा न अब उजास
आज की हलचल तो यहीं तक...
पर मिलते रहेंगे...
धन्यवाद।
शुभ प्रभात भाई कुलदीप जी
जवाब देंहटाएंशानदार कड़ियों से सजाया आपने
शादर
खूबसूरत प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष पुतर जी
आपके मेहनत को नमन
आभार आपका |
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....
शुक्रिया पठनीय लिंक्स देने के लिए ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स...आभार
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
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