ईक लम्हें के लिये रुका तू भी नहीं मैं भी नहीं।
चाहते दोनों बहुत एक दूसरे को हैं।
मगर ये हकीकत है कि
मानता तू भी नही मैं भी नही॥-
रामदेवसिंह बालेसर
जुस्तुजू ही जुस्तुजू है, उफनते थर्राते सवाल
राह में टकरा गया मुस्कुराता जवाब देखा है
वक़्त के साथ साथ ज़माने को, होते बे नक़ाब देखा है
किसी पत्थर में नहीं न किसी ताबीज़ में
अपने अंदर झाँककर रहीम -ओ-राम आज देखा है
Raahi
जितनी योग्यता बढ्ती चले ,
सफलता की मंजिल उतनी ही प्राप्त करता चले ,
रास्ता सबके लिए खुला है , उस पर चलकर कितना
पार कर सकता है , यह व्यक्ति की अपनी लगन ,
साहस और विश्वास पर निर्भर है
Anjali
नाग व्यापम का अपना कसे पाश है
बेईमानों की सत्ता बनी खास है
ऐसे में न्याय की ना कहीं आश है
आ गये अच्छे दिन आ गये
सच्चे दिन मैं नहीं मानता ।
मैं नहीं मानता।
amrnath
जीवन की परिपूर्णता उपलब्धियों पर निर्भर नहीं करती
बल्कि इस बात में है कि उसे सही तरह से जियें।
या वैसे जियें जैसे हमने हमेशा सोचा था।
हम सब इन बंधनों में स्वयं बंधते हैं और फिर खुद को घिरा हुआ महसूस करते हैं।
और एक दिन हम स्वयं से ही बहुत दूर हो जाते हैं
और चाह कर भी जीवन को अपने हिसाब से जी नही पाते
Bhawna
रात की रानी सी ख़ुशबू शाम के ढलने के बाद
मेरी ज़ुल्फ़ों से उड़ी तो चाँद पागल हो गया
रूठ कर बादल चले हैं रूठ कर तारे चले
रूठ कर बदली चली तो चाँद पागल हो गया
Anita
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आदत बनकर उत्तेजना में
किसी की भी जान ले सकती हैं। ....
चालीस फोटो के साथ चार पृष्ठों में
पति की तारीफ़ से भरा पत्र
जब एक पत्नी से शेयर कर दिया
Kanchan
तन्हा अजमेरी
फिर मिलेंगे ...... तब तक के लिए
आखरी सलाम
विभा रानी श्रीवास्तव
शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंआपकी प्रस्तुति हमेशा लाजवाब रहती है
ऩमन के साथ
यशोदा
बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआंटी शुभप्रभात....
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक संयोजन....
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
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