चेन्नई गई हुई है
मेरा लैप-टॉप वो धोखे से
ले गई..
आज उसी की आई डी से
एक बार फिर दिग्विजय का
सादर अभिवादन....
पसंद की हुई रचनाओं के सूत्र कुछ इस तरह से..
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सीपियाँ में
रोना धोना रोना धोना
बात बात पर आये रोना
ख़ुशी में रोना दुःख में रोना
प्यार में रोना घृणा में रोना
मिलन में रोना विरह में रोना
कभी कोई आये तो रोना
आकर न जाये तो रोना
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कविता मंच में
मुझे महारानियों से ज्यादा चिंता
नौकरानियों की होती है,
जिनके पति जिंदा हैं और
बेचारे रो रहे हैं।
कितना खराब लगता है एक औरत को
अपने रोते हुए पति को छोड़कर मरना,
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रूप-अरूप में..
सारा पोखर डूबा है धुंध में
धरती पर दहक रहे
सैकड़ों डेफोडिल्स...
न...न , धोखा हुआ है
ये तो गुलमोहर है
लदा है लाल-लाल फूलों से
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उलूक टाईम्स में
आजकल के
जमाने के
हिसाब से
किस समय
क्या खोलना है
कितना खोलना है
किस के लिये
खोलना है
अगर नहीं जानता
है कोई तो
पागल तो
होना ही होना है
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कुछ मजेदार तथ्य में..
बेशक पढ़ने या सुनने में
आपको यह अजीब लगे
लेकिन सच में ‘न्यूड’ सोना
यानी कि बिना
कोई वस्त्र पहने सोना फायदेमंद है।
निर्वस्त्र होकर सोने के
इन नौ फायदों के बारे में जानिए।
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मेरी नज़र से में
चलते चलते .... रास्ते सपनों के हों
या कर्तव्यों के
ईश्वर का वजूद मिलता है
प्रार्थना के बोल
अपनी मनःस्थिति के अनुसार निःसृत होते हैं .........
और ये रही आज की अंतिम प्रस्तुति
साझा आसमान में
नाकामिए-हयात पे हैरां नहीं हूं मैं
वैसे भी तेरे ज़र्फ़ का पैमां नहीं हूं मैं
शक़ क्यूं न हो मुझे कि तू मेरा ख़ुदा नहीं
गर तू ये सोचता है कि इंसां नहीं हूं मैं
जाना है
जाना ही होगा
जा रहा हूँ
अनुमति की प्रत्याशा में
दिग्विजय...
सुंदर प्रस्तुति । 'उलूक' का आभार आपको भी दिग्विजय जी आभार देवी जी को भी सूत्र 'बहकता तो बहुत कुछ है बहुत लोगों का बताते कितने हैं ज्यादा जरूरी है' को आज की हलचल में स्थान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
चलते चलते .... रास्ते सपनों के हों
जवाब देंहटाएंया कर्तव्यों के
ईश्वर का वजूद मिलता है
.....नया अंदाज अच्छी रचनाएँ यशोदा दीदी
बहुत सुंदर लिंक्स ..मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंकल नहीं...
जवाब देंहटाएंतो आज सही...
आभार सर आप का...
हलचल तो तभी होगी...
जब आप भी कभी-कभी हलचल सजाएंगे...
आभार।