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बुधवार, 16 दिसंबर 2015

151...हाले-दिल को राज़ बनाकर दर्द बढ़ाया है मैनें.........

जय मां हाटेशवरी...

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का ख़िलौना हैं
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का ख़िलौना हैं
मिल जाये तो मिट्टी हैं खो जाये तो सोना है
अच्छा सा कोई मौसम तनहा सा कोई आलम
हर वक़्त आये रोना तो बेकार का रोना हैं
बरसात का बादल तो दिवाना हैं क्या जाने
किस राह से बचना हैं किस छत को भिगौना हैं
ग़म हो कि ख़ुशी दोनो कुछ देर के साथी हैं
फिर रास्ता ही रास्ता हैं हंसना हैं रोना हैं--निदा फ़ाज़ली
अब देखिये आज के पांच लिंक...
उमीद हैं पसंद आयेंगे...


हार गया हूं
आधारशिला
पररौशन जसवाल विक्षिप्‍त
 पराजय स्वीकारने के बावजूद ,
मनुष्य 
हार जाता है
जीजीविषा की
इ्च्‍छा होने के बावजूद ,
मनुष्य को
हार ही जाना होता है

वो' भयभीत नहीं होने देता
WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION
परshikha kaushik
रुको नहीं बढ़ते जाओ ;
चीर अंधेरों के चीरो ,
बलिदानों की झड़ी लगा दो ,
किंचित नहीं झुको वीरों ,
वीर-प्रसूता के मस्तक को
लज्जित न होने देता !

घर....
रूप-अरूप
पररश्मि शर्मा
तनि‍क सरको
हमने यहां रहने दि‍या था तुम्‍हें
कब कहा था
अपने कब्‍जे में कर लो सब कुछ
ये भाड़े का मकान नहीं
कि‍ जब तक रहो, मनमर्जी करो
और जब बदलने सोचो
मेरा सब तोड़-फोड़ जाओ

 हाले-दिल को राज़ बनाकर दर्द बढ़ाया है मैनें.........
Meri awaj
परRajesh kumar Rai
इस शहरे-जुदाई में मैनें अफ़सोस बहुत कुछ खोया है
सब धरती-अम्बर उसका है तो मेरा क्या है यार बता।
बेटा-बेटी पूरक हैं तो भेद यहाँ क्यों होता है
बेटा सोये बेटी रोये, ये कैसा अधिकार बता।
 ख़ुदकुशी..........
खिड़की
परMohan Sethi 'इंतज़ार'
कभी कभी दर्द के दरिया से
उभर आती है
वो जो ईमारत थी
उसकी महक से लबालब
आज खंडहर होती जाती है
अजीब सी हालत है
इस दिल की
जीना तो चाहता है
मगर ख़ुदकुशी आसान नजर आती है
आज की हलचल में....
मेरे पास आप के लिये...
केवल पांच लिंक ही नहीं...
2 विशेष   लिंक भी हैं....
जिन्हें शायद हम सब को ही पढ़ना चाहिये...
 श्रीराम का पिताकी आज्ञा के पालन को ही धर्म बताकर माता और लक्ष्मण को समझाना
श्रद्धा सुमन
परAnita
धर्म पूर्वक जो भी कृत्य, किये गये हैं पूर्वकाल में
जहाँ धर्म हो अर्थ, काम के, फल वहाँ अवश्य मिलते
धर्म, अर्थ, काम की जैसे, तीनों की साधन है भार्या
रह अनुकूल धर्म पालती, पुत्रवती हो अर्थ साधिका
धर्म आदि चारों पुरुषार्थ, जिस कर्म में नहीं समाहित
नहीं करणीय है वह कर्म, धर्म विरुद्ध कर्म है निन्दित

 अष्टावक्र गीता - भाव पद्यानुवाद (इक्कीसवीं कड़ी
आध्यात्मिक यात्रा
परKailash Sharma
सभी जन्म में तुमने अपने, तन, मन, वाणी से कर्म किये हैं|
अब विरक्त हो तुम उन सब से, वांछित जीवनमुक्ति लिये है||(१०.८)
In every birth you have undertaken hard and
painful activities with your body, mind and speech.
Now be detached for your desired liberation.(10.8)                          
हम अब दूसरा शतक लगाने की ओर...
अगरसर हैं...
बस आप सब का साथ चाहिये...
धन्यवाद...


9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात भाई कुलदीप जी
    रुको नहीं बढ़ते जाओ ;
    चीर अंधेरों के चीरो ,
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत-बहुत धन्‍यवाद आपका। रोचक लि‍ंक्‍स हैं सभी।

    जवाब देंहटाएं
  4. 18 साल की उम्र तक बलात्कार करते रहिये ...

    जी हां---अगर आपकी उम्र 18 साल से कम है तो आप बेफ़िक्र होकर बलात्कार कीजिये या फिर कोई भी जुर्म कीजिये हिन्दुस्तान का कानून आपका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता .
    अगर आपकी भी मानसिकता इस तरह की है तो फिर नोच डालिए किसी निर्भया की इज्ज़त को
    जितनी हेवानियत है आजमां लीजिये ...देर किस बात की है India gate फिर से आपके जुर्म का इंतज़ार कर रहा है ..जनता को भी तो मोमबत्ती लेकर सड़कों पर उतरने का मोका मिलना चाहिए
    अगर गलती से कभी पकडे भी गए तो चिंता ना करे इसकी भी सुविधा हमारा कानून देता है
    आपका कोई कुछ नहीं उखाड़ सकेगा आपके लिये केस लड़ने वाले NGO और बड़े बड़े वकील लाइन में खड़े होंगे आपको बस 2-3 साल तक “ बाल सुधारगृह “ में मोज मस्ती करवाई जाएगी जेल नहीं होगी
    बस दुःख इतना है की आपको दुनिया की नजरो से दूर रखा जायेगा ताकि जब आप 2-3 साल मस्ती मरने करने बाद जब बाहर आओगे तो आपको कोई पहचान ना सके .की यही वो बलात्कारी है
    जब आप बाहर आओगे तो बड़े बड़े नेता और समाजसेवी आपके पुनर्वास की तैयारी में लगे होंगे
    पुनर्वास के नाम पर आपको हजारों रूपये मिलेंगे ..आपके के लिए नोकरी भी तलाशी जाएगी ..

    लेकिन हाँ ---बस आपकी उम्र 17 साल 364 दिन से कम होनी चाहिए

    जवाब देंहटाएं

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