पांच लिंक ब्लॉग की पाठशाला में
सृजनशीलों का जमघट--
******************************************** वैश्वीकरण की प्रक्रिया से दुनिया में चाहे जितने संदर्भ बदल जाएं,परंपरावादी समाज आधुनिकता का लबादा ओढ़ ले,गांव के बाज़ार शॉपिंग माल में तब्दील हो जाएं,लेकिन रचनात्मक सांस्कृतिक संवेदनशीलता में अभी तक कमी नहीं आयी है।
मनुष्य के अस्तित्व का संकट,मनुष्य की नियति पर ही आधारित है,वह जैसा सोचेगा वैसा ही होगा,जो फिलहाल वर्तमान में हो रहा है।
"मनुष्य का मनुष्यता से दूर होना" यह बात चाहे छोटी सी कथा में कही जाए या किसी महाकाव्य में रची जाए,बात वही रहती है कि, आप एक दूसरे से कितने जुड़े हुए हैं,दिल से,मन से और वैचारिक भावनाओं से,जरूरी नहीं कि आप बहुत गहरे मित्र हों,बस जरूरी है कि आप अपने से जुड़े सभी सम्मानितों की कितनी इज्ज़त करते हैं.इनकी रचनात्मक गतिविधियों से कितने परिचित हैं।
विचार और अनुभव
समय के साथ बदलते जाते हैं,बाकी रह जाता है मित्रता निभाने का अंदाज।
समकालीन जीवन मूल्य प्रत्येक घंटे के अंतराल में बदलते जाते हैं,यह मूल्यवान न होकर मूल्यहारा हो जाते हैं,इस अनगढ़ मूल्यहारा जीवन में,जीने के लिए खुश रहना बेहद जरूरी है और इस जरूरी चीज़ को बचाने के लिए सृजनात्मकता के बीज रोपना भी जरूरी है।
"पांच लिंको का ब्लॉग परिवार" इन्हीं बीजों को कई सालों से रोप रहा है जो अब अंकुरित होकर हरे-भरे पेड़ के रूप में शान से फल-फूल रहा है।
संस्कृति और सभ्यता को को बचाने संवेदनाओं का होना भी जरूरी है क्योंकि इसमें इंद्रधनुषी रंग भरना पड़ते है,तभी यथार्थ के प्रति,मानव मूल्यों के प्रति,घर परिवार और राष्ट्र के प्रति सजग एवं संवेदनशील भाव उत्पन्न होते हैं,यह भाव मित्रों के माध्यम से,सृजनशीलों के माध्यम से अभिव्यक्त कर संजोए जाते हैं।
संवेदनशीलता की वृद्धि के लिए इतिहास के आदिकाल से आज तक सृजनकर्मियों ने सक्रिय और विशेष योगदान दिया है।
नृत्य में भावभंगिमा द्वारा, अभिनय में मुखाकृतियों द्वारा,संगीत में स्वरलहरियों द्वारा,चित्रों में रंगों के द्वारा और कविता एवं गीत में आँखों से न दिखने वाले अदृश्य रसों भावों और अनुभूतियों का मन के स्पर्शो को लेखन के माध्यम द्वारा।
मित्र और परिवार की प्रतिबद्धता अपने गांव, समाज,संस्कृति पर ही आधारित होती है-इसे होना भी चाहिए क्योंकि इस विस्तृत क्षेत्र में ही ये सारे पड़ाव है,यह सुखद वातावरण हमें मानव शरीर के अन्दर की आत्मा की सहजता से परिचय कराता है,यदि
"पांच लिंक का परिवार" न होता तो हम सब अज़नबी
एक दूसरे के इतने करीब न होते।
पांच लिंकों की पाठशाला इसी करीबी रिश्तों की पड़ताल करती है और रचनाकारों की रचनाओं को खोजकर सहेजती है,देश दुनिया के पाठकों को इनके ब्लॉगों से परिचित करवाती है।यह भी सिखाती है कि,कैसे हमारे एक जुट होकर लेखन का विस्तार किया जाता है।
इसी विचारधारा की बुनियाद पर "पांच लिंको का ब्लॉग" बना और यह कई अनज़ान हीरों को समेट कर अपने परिवार में जोड़ने लगा, धीरे धीरे यह ब्लॉग की दुनिया में,सोशल मीडिया का सबसे सशक्त सबसे ज्यादा सक्रिय और सबसे ज्यादा सृजनात्मक ऊर्जा वाला परिवार बना।
पांच लिंक ब्लॉग के नैपथ्य
में जिन सम्मानित रचनाकारों का महत्पूर्ण योगदान है,
ये साधुवाद के वास्तविक हकदार हैं।
इन्हें दिल से प्रणाम--
सभी रचनाकारों की भूमिका और रचनात्मक सोच से यह परिवार और भी चमकदार होता जा रहा है.
इनको भी प्रणाम--
हां! एक बात और
आज मैं और मेरा लेखन इस बात का ऋणी है कि
इसी लिंक के माध्यम से मेरी पहचान बनी।
सभी का आभार--
पांच लिंक ब्लॉग परिवार का यह सालाना जश्न ऐसे ही मनता रहे,सभी में सद्भावना बनी रहे.
ऐसी मंगलकामनाओं के साथ--
◆ज्योति खरे
अशेष शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंअविस्मरणीय व सग्रहणीय अंक
आभार सभी को
हर किसी ने प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से सहयोग किया
ये ब्लॉग चलता ही रहेगा मेरे साथ भी
और मेरे बाद भी
आभार सखी श्वेता
सादर वंदन
अनवरत सफर जारी रहेगा..
जवाब देंहटाएंक्योकि "हर मुलाकात का एक मतलब होता है"
प्रिय साथियों; हम-तुम ही आस की चिंगारी है।
हम साथ-साथ हम ,
और रहेंगे....
सानन्द सादर
जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ! भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद सदैव यूँही बना रहे और ये सुहाना सा आनंदमय सफर अनवरत रुप से चलता रहे । 🙏
जवाब देंहटाएंआभार | शुभकामनाएं | चलता रहे कारवां यूं ही |
जवाब देंहटाएंभोर के साथ इस ब्लॉग से जुड़े सभी संवेदनशील एवं सुधिजन को मन से नमन और साथ ही आप सभी का हार्दिक आभार के साथ- साथ अपार -असीम शुभकामनाएं इस "पांच लिंकों के आनंद" के संग आप सभी के लिए.. बस यूँ ही ...
जवाब देंहटाएंसभी को सुप्रभात, आभार! ब्लॉग जगत समस्त बुद्धिजीवी वर्ग की चेतना में प्रेरणा और रचनाधर्मिता के प्रति उत्साह भरता पांच लिंक सचमुच आनंद का प्रतीक है. ब्लॉग लेखन के शुरूआती सफर से आज तक पांच लिंको में रचना शामिल होना एक अनिर्वचनीय आनंद से भर देता है. आज इस विशेष जन्मदिवसीय हलचल में नव सृजन का आह्वान है. एक संकल्प दरकार है ब्लॉग लेखन में प्राण वायु फूंकने के लिए. सभी साथियों से विनम्र आग्रह है कि साप्ताहिक, पाक्षिक या फिर कम से कम मासिक रूप से एक रचना ब्लॉग पर डालने का प्रयास करें.! विभिन्न संस्कृतियों से परिचय करवाने के लिए पांच लिंक मंच का पुनः अभिनन्दन और आभार 🙏❤️❤️🌹🌹
जवाब देंहटाएंसुप्रभात ! 'पाँच लिंकों का आनंद' को दसवें जन्मदिन पर बहुत बहुत शुभकामनाएँ, आप सभी आयोजक गण का ह्रदय से आभार, ब्लॉग जगत में यही एकमात्र सक्रिय मंच रह गया है जो नियमित रूप से पाठकों को नयी रचनाओं की खबर देता है।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं“पाँच लिंकों का आनन्द” की स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर मंच परिवार सहित सभी रचनाकारों और पाठकों को बहुत-बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ !!
जवाब देंहटाएंअविभश्वसनीय सुंदर भावपूर्ण सकारात्मकता को समेटे प्रस्तुति...ढेर सारा बधाई।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई और अखंड शुभकामनाएं। रथयात्रा चिरंतन चलती रहे।
जवाब देंहटाएंआज फिर एक बार 'पाँच लिंकों का आनंद' ने हम सब को एक साथ खड़ा कर दिया है एक मंच पर लाकर ! मौका कोई भी हो, दस्तूर यही होना चाहिए कि हम साथ साथ हैं....
जवाब देंहटाएंहाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते !
आदरणीया यशोदा दीदी, विभा दी, पम्मी जी, आदरणीय दिग्विजय भाईसाहब, रवींद्र भाई, और प्रिय श्वेता , आप सभी का हृदय से आभार .
सभी को शुभकामनाएँ 💐
पाँच लिंकों का आनंद की स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर सभी सम्मानित चर्चाकारों , रचनाकारों एवं सुधि पाठकों को हार्दिक बधाई एवं असीम शुभकामनाएं । साधुवाद प्रिय श्वेता आपकी प्रतिबद्धता को...सराहनीय एवं संग्रहणीय प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंरथ यात्रा की तरह ही पाँच लिंकों का आनन्द की यात्रा निरंतर चलती रहे । इस मंच पर सक्रिय चर्चा कारों को साधुवाद और शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद की स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंयह यात्रा लगातार जारी रहे
रचनाकार जुड़ते रहें
समूची टीम को इस सार्थक कार्य के लिए
साधुवाद
स्थापना दिवस पर स्नेह सिक्त शुभकामना
जवाब देंहटाएंयह साहित्यिक यात्रा अनवरत जारी रहे