तकनीक और आस्था दोनों फेल। अधिकतर लोग घर से निकलते समय अपने-अपने ईश्वर से दुआ माँगकर निकलते हैं। जन्म के बाद ही कुण्डली बन जाती है। 241 यात्री और कई डॉक्टरों की एक साथ मृत्यु! कोई आस्था-विश्वास, पिछले या वर्तमान का कर्मफल कुछ काम नहीं आया।
दोषारोपण से कोई वापस नहीं आएगा, पर विमान में जो गड़बड़ी थी, उसके दोषी पर कार्रवाई हो, जिससे आगे ऐसे हादसे न हों।
जिस पल में हम जी रहे, उसे भरपूर जिएँ। अगले पल में क्या होगा, कोई नहीं बता सकता।
कल का अखबार मानव विनाश से लोगों को अवगत करा रहा था
जो विमान हादसे के फलस्वरूप काल-कवलित हुए थे
अश्रुपूरित नमन
देखिए एक झलक
शब्द खो देते हैं
जब अपनी ध्वनियां
ठीक वहीं से
शुरु होता है
अंतर्मन का कोलाहल
और गूंज उठता है
प्रेम का अनहद नाद
बहने लगता है
उस हादसे की खबरों के साथ उन्हीं दिनों जिसकी बहुत चर्चा हुई, वह था एक शब्द, "मे-डे" ! जिसे दुर्घटना के ठीक पहले यान के पायलट ने रेडियो संदेश के रूप में वायु यातायात नियंत्रण केंद्र (ATC) को भेजा था। यह एक इमरजेंसी कॉल थी, जिसका किसी विमान के पायलट या जलयान के कैप्टन के द्वारा सिर्फ तभी इस्तेमाल किया जाता है, जब संकट बहुत ही गंभीर हो और बचने की गुंजाइश बिलकुल कम हो ! इस कॉल के जरिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) और नजदीकी यानों को संदेश दिया जाता है कि हम संकट में हैं और हमें मदद की तुरंत जरूरत है। इसे यान के रेडियो पर तीन बार Mayday, Mayday, Mayday बोला जाता है, ताकि स्थिति साफ हो जाए और किसी तरह की गलतफहमी की गुंजाइश न रहे !
देखकर नेत्र हो गये सजल
ज्वालामुखी सा भीषण विस्फोट
कैसे हुआ, है किसकी खोट
अनगिनत लाशों को लपेट
लोहित अस्थियों को समेट
काल का तांडवमय सा नृत्य
मूर्छित मुख श्मशान सा दृश्य
ऐसा नहीं कि जो जिम्मेवार लोग हैं वे हादसों के भुक्त भोगी नहीं होते, होते सब हैं लेकिन विडंबना ये है कि चेतता कोई नहीं। फिर हादसों का शिकार हुए बेखबर लोग खबरों के बन जाते हैं, दुःख, श्रद्धांजलि व संवेदनाओं के मलहम से घावों को भरने का उपक्रम चलता है। सब कुछ ठीक होने पर भी कैसे कुछ भी ठीक नहीं हुआ? इस तरह की अकाल मृत्यु का हरण हो सकता है बसरते ठीक के लिए जिम्मेवार लोग ठीक को ठीक से समझ जाएँ और ठीक को ठीक से अमल में लाऐं। नहीं तो इसी तरह सपनों के टूटने के साथ टूटते शब्दों की चित्तकार राष्ट्र को त्रासद करती रहेगी।
लेट गये थे निज शैय्या पर,
बिन बोले कान्हा गये महल।
भामा लाईं धाय मोहन भोग,
रुक्मिणी लिये शीतल जल।।
नाथ करिये अब जलपान ,
सम्मुख खड़ी करबद्ध भामा।
कैसी देवि हैं मेरी सुशीला,
अरु कैसे बृह्म ज्ञानी सुदामा?
धूप में रखी कोल्ड ड्रिंक जहर नहीं --
(पूरा पढ़ें)
धूप में रखी प्लास्टिक की बोतल में रखा कोल्ड ड्रिंक जहर में बदलने की संभावना तो नहीं होती है लेकिन, उच्च तापमान के कारण प्लास्टिक की बोतल से हानिकारक रसायन निकल सकते हैं
जो कोल्ड ड्रिंक में मिल जाते हैं और सेहत के लिए निम्न कारणों से हानिकारक हो सकते हैं-
प्लास्टिक की बोतल का हानिकारक रसायन:
गर्मी के कारण, प्लास्टिक की बोतल से बीपीए (BPA) और थैलेट्स (phthalates)
जैसे रसायन निकल सकते हैं जो पानी में मिल जाते हैं.
भुनी करारी कुरकुरी, मूँगफली ये लाल
भर दो सबकी जेब में, खुश हों जावें बाल !
बड़ी गुणकारी मेवा !
बैठे महफिल में सभी, छेड़ रहे हों राग
मूँगफली हों सामने, खुल जायेंगे भाग !
मज़ा दुगुना हो जावे !
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आज बस
सादर वंदन
सुंदर अंक का संयोजन
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर एवं सार्थक लिंक संयोजन, मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंयशोदा जी,
जवाब देंहटाएंसम्मिलित कर मान देने हेतु, हार्दिक आभार 🙏