कुछ सोच .....
बकरीद ....
यह त्योहार हजरत इब्राहिम की उस परीक्षा की याद में मनाया जाता है जब उन्होंने अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे की कुर्बानी देने का इरादा कर लिया था. लेकिन, आखिरी वक्त पर अल्लाह ने उनके बेटे की जगह एक जानवर कुर्बान करने का आदेश दिया. यह घटना अल्लाह पर अटूट भरोसे और समर्पण की मिसाल मानी जाती है.
एक कहानी एसी भी
हज और उसके साथ जुड़ी हुई पद्धति हजरत इब्राहीम और उनके परिवार द्वारा किए गए कार्यों को प्रतीकात्मक तौर पर दोहराने का नाम है। हजरत इब्राहीम के परिवार में उनकी पत्नी हाजरा और पुत्र इस्माइल थे। मान्यता है कि हजरत इब्राहीम ने एक स्वप्न देखा था, जिसमें वह अपने पुत्र इस्माइल की कुर्बानी दे रहे थे। हजरत इब्राहीम अपने दस वर्षीय पुत्र इस्माइल को ईश्वर की राह पर कुर्बान करने निकल पड़े। पुस्तकों में आता है कि ईश्वर ने अपने फ़रिश्ते को भेजकर इस्माइल की जगह एक जानवर की कुर्बानी करने को कहा। दरअसल इब्राहीम से जो असल कुर्बानी मांगी गई थी वह थी उनकी खुद की थी अर्थात् ये कि खुद को भूल जाओ, मतलब अपने सुख-आराम को भूलकर खुद को मानवता/इंसानियत की सेवा में पूरी तरह से लगा दो। तब उन्होनें अपने पुत्र इस्माइल और उनकी मां हाजरा को मक्का में बसाने का निर्णल लिया। लेकिन मक्का उस समय रेगिस्तान के सिवा कुछ न था। उन्हें मक्का में बसाकर वे खुद मानव सेवा के लिए निकल गये।
देखें कुछ रचनाएं
वृक्ष
लगाने के लिए सभी प्रयासरत है
बचाने का प्रयास नहीं करते।
भूजल स्तर
निरंतर नीचे जा रहा है
पानी
व्यर्थ बहाने से नहीं मानते।
कार्बन डाई ऑक्साइड
पर्यावरण को क्षति पहुंचाए
शूरत्व नहीं आहत है
ना शौर्य अशक्त हुआ
ना भुजबल क्षीण हुआ
ना पराक्रम निहत हुआ
हम आर्यावर्त भरत वंशी
जबड़ा फाड़के देखते हैं
छुपा हो कहीं भी अहि
बिल में घुसके भेदते हैं
तो उन्होंने बताया कि स्पेन में ऐसा चलन है कि जब भी लोगों का मन करता है कि वे अपने घर को नए रूप में सजाना चाहते हैं तब वे घर की पुरानी चीजें निकाल कर घर के बाहर रख देते हैं और अपने घरों में नई चीजें ले आते हैं। यह चलन इतना आम था कि किसी के लिए कोई अनोखी बात नहीं थी। अक्सर सड़कों पर फर्नीचर दिख ही जाता था।
ख़ास तौर पर वे दोस्त जो कि बड़े ओहदे से रिटायर हुए हों अथवा समाज में मशहूर हों या शिष्य मंडली बड़ी हो , बड़े प्रभामंडल से सुसज्जित यह लोग बढ़ती उम्र से सबसे अधिक भयभीत दिखते हैं , अपनी शान में पढ़े कसीदों और तालियों से ताक़त पाते हैं , वे वाक़ई सबसे अधिक ख़तरे में होते हैं
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आज बस
सादर वंदन
वेहतरीन रचनाओं का समायोजन, मेरि कविता शामिल करने हेतु धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक
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