सादर अभिवादन

"कुछ सोच" का मतलब है "कुछ विचार करें" या "कुछ सोचें". इसका उपयोग किसी को कुछ सोचने या किसी विचार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहने के लिए किया जाता है। यह एक सामान्य वाक्यांश है जिसका उपयोग विभिन्न संदर्भों में किया जा सकता है।
देखिए एक झलक
इसी तरह
प्रेम चुनता है
अपने योग्य व्यक्ति
व्यक्ति नहीं चुनता
प्रेम को
जो सोचता है
उसने जी लिया प्रेम को
है वह भ्रम में
प्रेम ने उसे जिया है
उसने प्रेम को नहीं!
गले में कुछ फँस जाए:- तब केवल अपनी भुजाओं को ऊपर उठाएं:- एक बच्चे की 56 वर्षीय दादी घर पर टेलीविज़न देखते हुए फल खा रही थी। जब वो अपना सर हिला रही थी तब अचानक एक फल का टुकड़ा उसके गले में फँस गया। उसने अपने सीने को बहुत दबाया पर कुछ भी फायदा नहीं हुआ। जब बच्चे ने दादी को परेशान देखा तो उसने पूछा कि "दादी माँ क्या आपके गले में कुछ फँस गया है?" वो कुछ भी उत्तर नहीं दे पाई। बच्चा "मुझे लगता है कि आपके गले में कुछ फँस गया है। अपने हाथ ऊपर करो, हाथ ऊपर करो दादी माँ ने तुरंत अपने हाथ ऊपर कर दिए और वो जल्द ही फँसे हुए फल के टुकड़े को गले से बाहर थूकने में कामयाब हो गयी। उसके पोते ने बताया कि ये बात उसने अपने विद्यालय में सीखी है।
योग-ध्यान का दे दिया,
अब जग को सन्देश।।
खुश होकर अपना रहे,
नर-नारी अब योग।
भारत के पीछे चले,
दुनियाभर के लोग।।
जहां देखो, वहीं दिखाई पड़ती हैं
युद्ध की भीषण लपटें,
कोई नहीं जो बुझा सके इन्हें,
बेबस नज़र आती है दुनिया।
किसी का अक्स जो तुम ढूँढती रहती हो बादल में,
कहूँ शब्दों में सीधे से तो मतलब याद आती है.
धरा पर धूप उतर आती है ले के रूप की आभा,
किरन जब खिल-खिलाती है तेरी तब याद आती है.
सारी मुस्कराहटों को
पता होता है,
माँ की धड़कनों से
हर कोना हँसता है,
और दीवारें
जगमगाती हैं !!!
बिनोद कुछ गंभीर हो गया। जैसे सोच रहा हो, कहां से शुरू करे। फिर चुप्पी तोड़ते हुए कहने लगा, भइया जी ! परसों रात ऐसे ही मोबाइल खंगाल रहा था कि एक हेडिंग दिखी कि एक माचिस की तीली आपका भाग्य बदल सकती है ! जिज्ञासावश आगे देखा तो एक सफेद दाढ़ी वाला बाबा टाइप आदमी तिलक लगाए बैठा था, सबसे पहले मेरा ध्यान उसके तिलक पर ही गया, जो ठीक भृकुटि पर ना हो, जरा सा बाईं ओर लगा हुआ था ! भइया जी, उसको देख पहला ख्याल मेरे मन में यही आया कि जिसको तिलके लगाना नहीं आता ऊ क्या ज्ञान देगा ?'' इतना कह वह मुझे देखने लगा, जैसे मेरी सहमति चाहता हो।
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"बहु बीती, थोड़ी रही,
पल पल गयी बिताय।
एक पलक के कारने,
क्यों कलंक लग जाय ।"
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आज बस
सादर वंदन
सुंदर संकलन। आभार।
जवाब देंहटाएंआभार भाई जी
हटाएंसादर वंदे
बेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंसम्मिलित कर मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद 🙏
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