आपके अलावा कोई आपकी परिस्थिति के लिए जिम्मेदार नहीं है। कोई आपको गुस्सा नहीं दिला सकता और कोई आपको खुश भी नहीं कर सकता।”
“ज़िंदगी अपने आप में ही बहुत सुन्दर है, इसीलिए जीवन के महत्त्व को पूछना ही सबसे बड़ी मुर्खता होगी।”
अगोचर को जानने मूंदे अपने नयनध्यान लगाना चाहा श्वास साध कर ।पूर्वाग्रह अनेक सूखे पत्तों से गए झरधूमिल हुआ शिकायतों का पतझङ ।यात्रा में मिली जो वृक्ष की छाँव सघनबेकल मन थका तन हो गया शिथिलपाकर तने की टेक पलक गई झपक ।
कि माँग लूँ उधार कुछ तारे
और बाँध लूँ
अपने आँचल में कसकर
इस आस में कि कल
जब बुझ जाएँगे
आशा के सब दीपक,
आपके अलावा कोई आपकी परिस्थिति के लिए जिम्मेदार नहीं है।
जवाब देंहटाएंकोई आपको गुस्सा नहीं दिला सकता और
कोई आपको खुश भी नहीं कर सकता।”
सुंदर रचना संयोजन
वंदन
ज़िंदगी अपने आप में ही बहुत सुन्दर है, इसीलिए जीवन के महत्त्व को पूछना ही सबसे बड़ी मुर्खता होगी।”
जवाब देंहटाएंसत्य वचन,,,,
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति,,
बहुत ही खूबसूरत बयानी
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचनाएं। सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
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