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बुधवार, 11 जून 2025

4416..एक हूक उठी और...

 ।।प्रातःवंदन।।

"लो अतीत से उतना ही जितना पोषक है

जीर्ण-शीर्ण का मोह मृत्यु का ही द्योतक है
तोड़ो बन्धन, रुके न चिन्तन
गति, जीवन का सत्य चिरन्तन
धारा के शाश्वत प्रवाह में
इतने गतिमय बनो कि जितना परिवर्तन है।
इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है।"
 द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
प्रेरित करते शब्दों के साथ बुधवारिय प्रस्तुतिकरण..

क्षीण होती दुर्बल काया और 

टूटकर अलग होता कोई 

पीला पता शाख से

मिलेगा फिर अपनी माटी से

विलीन हो जायेगा इन पंचतत्वों में..
✨️

पिछले दिनों जापान जाना हुआ तो पता चला कि सबसे ज्यादा सुसाइड करने वाले देशों में जापान भी है।डिप्रेशन एक बेहद खतरनाक बीमारी है।

पिछले दिनों इससे हमारा. ..
✨️

व्यक्तित्व रुपहला भीतर से मर गए हैं

देखा है जमाने की भीतर की दुनिया

बाहर क्षद्म रूप और वह तर गए हैं..
✨️
ऐसी क्या मजबूरी बाबा
बने आप सिन्दूरी बाबा

जिन्हें दिया सिन्दूर आपने 
अब तक उनसे दूरी बाबा

कीमत जो सिन्दूर की जाने
चाहत उनकी पूरी बाबा ..
✨️

ज़िंदगी की खोई धड़कनों की तलाश
अचानक ही बैठे-बैठे मन के किसी 
चुप कोने से एक हूक उठी..
।।इति शम।।
धन्यवाद 
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर अंक बहुत सुंदर रचनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  2. चलती का नाम गाड़ी,
    बदती का नाम दादी,
    और थमती का नाम बीमारी,
    तनिक ही सही मियाँ मजाल,
    ये नियमित हलचल,
    है सब पर भारी!

    मेरे दिल मे या तेरे दिल में, कहीं मगर जरूर सुलगनी चाहिए!
    साधुवाद आपकी पूरी टीम को, जारी रखिए ;)

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर अंक

    जवाब देंहटाएं

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