निवेदन।


फ़ॉलोअर

बुधवार, 18 जून 2025

4423..मसाल लिए बैठा हूं..

 ।। भोर वंदन ।।

"निर्धन जनता का शोषण है

कह कर आप हँसे

लोकतंत्र का अंतिम क्षण है

कह कर आप हँसे 

सबके सब हैं भ्रष्टाचारी 

कह कर आप हँसे 

चारों ओर बड़ी लाचारी 

कह कर आप हँसे 

कितने आप सुरक्षित होंगे 

मैं सोचने लगा 

सहसा मुझे अकेला पा कर 

फिर से आप हँसे "

रघुवीर सहाय

सहज भाव से सामाजिक जीवन की संपूर्णता को इंगित करतीं पंक्तियों के साथ चलिये अब नज़र डालें चुनिंदा लिंकों पर..


....ज्वलंत प्रश्न — खामोशियों को चीरती आवाज़"





बोलो सरकारें क्यों सोई हैं ?

जनता की पीड़ा समझा कब कोई है?

हर कोना जलता है चुपचाप,

सच को सुनता भी अब कहा कोई है।


शहरों में सांसें बिकती हैं,..

✨️

सघन छायादार वृक्षों के नीचे


शांति का प्रवाह शीतलता की मंद बयार मिलती है


जो आज के ए०सी० कूलर पंखों से कई बढ़कर होती है


भावनाओं से भरा वह वृक्ष सजीव


ममत्व सुकोमल गुण से संपन्न


बिना किसी भेदभाव के अपना र्स्वस्व देता..

✨️

उठा के हाथ में कब से मशाल बैठा हूँ ...

किसी के इश्क़ में यूँ सालों-साल बैठा हूँ.

में कब से दिल में छुपा के मलाल बैठा हूँ.


नहीं है कल का भरोसा किसी का पर फिर भी,

ज़रूरतों का सभी ले के माल बैठा हूँ...

✨️

क्लोरोफॉर्म

ईश्वर ने भगवद्गीता बचा ली


सच कितना बड़ा चमत्कार ईश्वर का!


ईश्वर ने भगवद्गीता बचायी


मगर इंसानों को


ऊँचाई पर ले जाकर


पहले तो नीचे पटका


फिर आग के हवाले कर दिया


यह कोई कविता नहीं पीड़ा है..

✨️

।।इति शम।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति '..✍️

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर अंक, आज के इस बेहतरीन अंक में मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार | अन्य सभी रचनाकारों की रचना भी बहुत सुंदर है, सबको बहुत बहुत बधाई 🙏

    जवाब देंहटाएं
  2. आज के इस विचारणीय अंक में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए हृदय से धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  3. बुत सुन्दर संयोजन ... आभार मुझे भी शामिल करने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...