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रविवार, 1 जून 2025

4506 मेघ मल्हार साथ आयी बहार बोले पपीहा

सादर अभिवादन
कुछ सोच .....
आज महीना बदल गया
एक गीत हो जाए
आजा मेरी जान ये है
जून का महीना
आज का अंक है
नियमित और संकलित रचनाओं से ओत-प्रोत
बारिश का अंक
देखें कुछ रचनाएं



पवन चली
खुल गयी खिड़की
फुहार आयी,
भिगोया तन-मन
बारिश में अगन।






ठंडी बयार सी,
बारिश की फुहार सी,
भाभी की मनुहार सी,
मुन्ने की हंसी सी,
बेला सी, चमेली सी,
मालती की बेल सी,
हरी-भरी तुलसी सी,
मुंडेर पर ठिठकी धूप सी,
सुलगती अंगीठी सी,
डफली की थाप सी,
बांसुरी की तान सी,
सुबह के राग सी
कोई कविता मिल जाये,
तो उस दिन के
क्या कहने !




तुम शाम के ही वक़्त जो आती हो इसलिए
आए कभी न रात तो ये शाम ना चले

बारिश के मौसमों से कभी खेलते नहीं
टूटी हो छत जो घर की तो आराम ना चले





गले न पड़ जाए सतरंगी
भीग न जाएं बादल से

सावन से बच कर जीते हैं
बारिश आने से पहले
बारिश से बचने की तैयारी जारी है!!





थक कर आना स्कूल से,
पर खेलने भी जाना था...

माँ की कहानी थी,
परियों का फसाना था..

बारिश में कागज की नाव थी,
हर मौसम सुहाना था..





बारिश की बूँदों का
फूल-पत्तों की अंजुरी में
सिमटकर बैठना
बाट जोहती टहनियों का
हवा के हल्के झोंके के
स्पर्श मात्र से ही
निश्छल भाव से बिखरना





चुपचुप धीमे-से रुकते,
झिझकते मत बुदबुदाओ।
डर और सन्नाटे में
संगीत बन मत गुनगुनाओ।
शब्दो! तुम बन जाओ
हथौड़ों की गूंज।
ठक-ठक कर हिलाते रहो;
जंग लगे बन्द दरवाज़ों की चूल।
****

वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी मेरा दिल भर आया, आँखों से निकला है पानी

****
आज बस
सादर वंदन

4 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर अंक। उत्कृष्ट रचनाएं। सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  2. मेघ मल्हार राग से सजे वर्षा ऋतु के आगमन का स्वागत करता अंक यही कामना करता है कि इस बार खूब वर्षा हो और प्राकृतिक जल भडांरण की ओर पूरा ध्यान दिया जाए । तो इस बार की बरसात का पूरा आनंद लेने के लिए तैयार हो जाइए।

    जवाब देंहटाएं
  3. नौतपे पर वर्षा की फुहारें ठंडक का अहसास करा गैर,,,
    बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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