आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
जेष्ठ मास की पूर्णिमा को संत कबीरदास जी काअवतरण दिवस मनाया जाता है-
वर्तमान समाज में कबीर के विचारों की आवश्यकता, विशेषकर उनके सामाजिक न्याय, समता और मानवता के प्रति दृष्टिकोण की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है। कबीर के विचार समाज में व्याप्त जातिवाद, भेदभाव, अंधविश्वास और रूढ़िवाद के विरुद्ध हैं, जो आज भी कई रूपों में मौजूद हैं।
कबीर ने जाति, वर्ण, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाई। उनका मानना था कि सभी मनुष्य समान हैं और उन्हें समान अधिकार प्राप्त होने चाहिए।
कबीर ने अंधविश्वास, कर्मकांड और धार्मिक पाखंड के विरुद्ध आवाज उठाई। उन्होंने लोगों को तर्क और विवेक के साथ सोचने का संदेश दिया।
कबीर ने सभी धर्मों के बीच सद्भाव और प्रेम की बात कही। वे किसी भी धर्म को श्रेष्ठ नहीं मानते थे और सभी को ईश्वर के समान मानते थे।
कबीर ने ज्ञान और अनुभव की खोज को महत्वपूर्ण माना। वे कहते थे कि हमें केवल वही मानना चाहिए जो तर्क और अनुभव से प्रमाणित हो।
कबीर ने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों, रूढ़ियों और आडम्बरों का विरोध किया। वे समाज को बेहतर बनाने के लिए प्रयास करते थे।
कबीर ने हमेशा मानवता को महत्व दिया और सभी के साथ प्रेम और करुणा से व्यवहार करने की बात कही।
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आज की रचनाएँ
कुछ दिन तक तो शिष्य अपने गुरु जी की बात को सुनता रहा, लेकिन धीरे-धीरे उसे गुरुजी की बात बुरी लगने लगी। वह मन ही मन सोचता था कि गुरुजी के खिलौने कम दाम में बिकते हैं, इसलिए गुरु की मुझसे ईष्या करते हैं। तभी तो मुझे अक्सर सलाह दिया करते हैं। मैं इनसे अच्छे खिलौने बनाता हूं। एक दिन गुरुजी के सलाह देने पर शिष्य को गुस्सा आ गया।
मिलते हैं अगले अंक में।
वर्तमान समाज में कबीर के विचारों की आवश्यकता
जवाब देंहटाएंशत शत नमन
शानदार अंक
आभार
सादर
बहुत सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंवाह! बेहतरीन अंक! कबीर नें सदा मानवता को महत्व दिया ...सही में वर्तमान में कबीर के विचारों की अत्यधिक आवश्यकता है ।
जवाब देंहटाएंसार्थक भूमिका और सराहनीय रचनाओं से सजा सुंदर अंक
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