सादर अभिवादन
किलकी नदियाँ लहरें बहकी
जलतरंग जल पर चहकी
और बारिश चालू हो गई
पन्ने पुराने पलटने लगे
बेसन का डब्बे का एक अतिरिक्त
और मूंग , उड़द की दाल भी अतिरिक्त
रक्खा गया, प्याज , बैगन और मिर्च भी
तैय्यार रक्खें......
इस अँक में पेटी से निकली कविता भी है
देखिए एक झलक
वह पत्र
बस, उसी ने नहीं पढ़ा
लिखा था जिसके लिए
दोष किसी का नहीं
महज भूल थी
पत्र लिखने वाले की...
तुम्हीं कहो,
क्या आमावस में
चांद कभी आता है आकाश में?
शब्द!
हां शब्द!
संचय कर के रखिए।
वैसे ही जैसे रखते थे ऋषि
क्योंकि,
शब्द अद्भुत होते हैं ,
शब्द मात्र अर्थ नहीं ,
बहुधा अर्थात भी होते है ।
बैठकर प्यार से फ्रंट की सीट पर
करना इज़हार तुम फिर मेरी कार में
जीत में तो सभी ही देते मगर
साथ तुमने दिया है मेरी हार में
“मैं एक प्रतिमा की तलाश में हूँ।”
“कौनसी प्रतिमा ?”
“मैं नहीं जानता।”
“क्या मतलब ?”
“मैं नहीं जानता कि वह प्रतिमा कैसी दिखती है।”
“फिर तुम उसे तलाश कैसे करोगे ?”
“मैं नहीं करूंगा। तुम करोगे।”
“कैसे ?”
“जो कोई भी उस प्रतिमा का स्पर्श करेगा, उसे उस प्रतिमा में से लाल, हरे और नीले रंग की मिश्रित रोशनी निकलती हुई दिखेगी। यही उसकी पहचान है।” - कहते हुए स्टोनमैन बोला - “जितना जल्दी हो सके, उस प्रतिमा को ढूंढो और लाकर मुझे दो।”
संग ले जाए सुदूर अपने समानांतर, न
जाने कितने घुमरी छुपाए सीने में
नदी बहती है मेरे अस्तित्व के
अभ्यंतर । कोई वशीकृत
पंछी की तरह मैं पंख
अपने कटवाना
चाहूँ, चाह
कर भी,
उँगली थामे संग माता - पिता रक्षक
ममता के आगार , कई बार गिरी थी
उसी आँगन में पली - बढ़ी थी
जो जीवन मैंने अब तक जीया
उसकी गहरी नीवं यही पड़ी थी
विचलित न होने का धैर्य मिला था
तो इसी जन्मदात्री भूमि से
हर चीज मन माफिक हो यह जरुरी नहीं
पर संघर्ष से तुम चूको न
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मैं हमारी रक्षा सेनाओं द्वारा पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर किए गए लक्षित हमलों का स्वागत करता हूँ. पाकिस्तानी डीप स्टेट को ऐसी सख्त सीख दी जानी चाहिए कि फिर कभी दूसरा पहलगाम न हो. पाकिस्तान के आतंक ढांचे को पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए. जय हिन्द। आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि जय हिंद! जय भारत! न आतंक रहे, न अलगाववाद रहे. हमें अपने वीर जवानों और भारतीय सेना पर गर्व है।
पेटी से निकली रचना
डोले पात-पात,बोले दादुर
मोर,पपिहरा व्याकुल आतुर
छुम-छुम,छम-छम नर्तन
झांझर झनकाती बूँद की पाँव
किलकी नदियाँ लहरें बहकी
जलतरंग जल पर चहकी
इतराती बलखाती धारा में
गुनगुन गाती मतवारी नाव
आज बस
सादर वंदन
सुंदर औ जानदार अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत ही सुंदर और उत्कृष्ट रचनाएं। सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकिलकी नदियाँ लहरें बहकी
जवाब देंहटाएंजलतरंग जल पर चहकी और बारिश चालू हो गई
पन्ने पुराने पलटने लगे
बेसन का डब्बे का एक अतिरिक्त
और मूंग , उड़द की दाल भी अतिरिक्त
रक्खा गया, प्याज , बैगन और मिर्च भी
तैय्यार रक्खें......
इस अँक में पेटी से निकली कविता भी है
बहुत सुंदर पंक्तियाँ
शानदार अंक!
जवाब देंहटाएंसुन्दर उत्कृष्ट रचनाएं
जवाब देंहटाएं