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शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

2002...धूप की ख़्वाहिश में

शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन
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मौन, वार्तालाप से ज्यादा प्रभावी हो शायद
दुःःख समझना,दर्द सुनने पर हावी हो शायद...
पर,बनावटी बाज़ार में भावनाएँ आश्रयहीन 
न निभाना औपचारिकता, अशिष्टता है,
संवेदनशीलता का दिखावा, विशिष्टता है।
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आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-

ये लोग काव्य जगत के सर्वकालिक कवि हैं, साहित्य के विद्यार्थियों को इन पर श्रद्धा होगी लेकिन जिसने मन को छुआ, वह कोई और था। कुछ ने कहा कबीर हैं, कुछ ने कहा शब्द जानो, कवि क्षणभंगुर है।
और कवि ने ख़ुद आकर कहा-
भँवरवा के तोहरा संग जाई...
मैंने कहा, 'इसका क्या प्रयोजन?'
कवि ने कहा कि दुनिया ही निष्प्रयोज्य है, तुम्हें प्रयोजन की प्रत्याशा क्यों?

धूप-छाँव का हिसाब

धूप की ख़्वाहिश में 
अँधेरी गलियाँ कब हुईं ना-उम्मीद
धूप के रोड़े हुए शहर में 
सरसब्ज़ शजर के साथ बहुमंज़िला इमारतें
इंसान की करतूत है




होश ठिकाने पे आ गए सभी,
वक़्त तमाचा कभी जो जड़ गया.
 
बाल पके, एड़ियाँ भी घिस गईं,
कोर्ट से पाला कभी जो पड़ गया.
 


ख़्वाहिशों की नुमू कब ठहरतीं है
आइनों को बगावतें सिखा रहें बहुत

सदाएँ मेरी फ़लक से टकराती रही
मश्क कर अब निस्बतें बढा रहें बहुत



दिखता है वो, ख़्वाब हो जैसे
उग आया टहनियों पर, आफ़ताब हो जैसे
आये छत पर तो, हो जाते खुश इस तरह
उग आया ज़मीं पर, माहताब हो जैसे

और चलते-चलते पढ़िए



मैंने कहा – ‘इसमें से आधे आपकी तरह के डॉक्टर साहबों ने ही
चढ़ाये होंगे. अगर गोलू देवता आप जैसे सभी डॉक्टर साहबों की अर्जी पर गौर करने लगे तो यूनिवर्सिटियों और कॉलेजो में गुरुजियों की संख्या छात्रों से ज्यादा हो जाएगी.’
डॉक्टर जगन मेरे महा-निराशावादी दृष्टिकोण के कारण मुझसे काफ़ी दिनों तक नाराज़ रहे पर अगले तीन साल तक खेत बेचने की भरपाई करने के लिए उन्हें टैक्सी चलानी पड़ी.
उनकी टैक्सी पर पीछे की ओर ‘डॉक्टर्स टैक्सी’ और ‘डॉक्टर जगन दी गड्डी’ लिखा रहता था. मुझे भी कई बार रियायती दर पर उनकी टैक्सी में घूमने का मौका मिला.
.... कल मिलिए विभा दीदी से उनकी अनोखी प्रस्तुति के साथ -श्वेता










  

11 टिप्‍पणियां:

  1. आज मैं समय से पहले उठ गई थी..
    थकावट सी लगी सोए-सोए थक गई थी
    फिर से सो गई..अभी उठी हूँ..
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा लिंक्स चयन
    संग्रहनीय प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन लिंको का चयन। मेरी रचना को सलंग्न करने के लिए आभार।
    शुभकामनाएँँ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन लिंको का चयन। मेरी रचना को सलंग्न करने के लिए आभार।
    शुभकामनाएँँ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर लिंक संयोजन ...
    बहुत आभार मेरी गज़ल को स्थान देने के लिए आपका ...

    जवाब देंहटाएं
  6. रोचक लिंक्स का संकलन...मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए शुक्रिया....

    जवाब देंहटाएं

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