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बुधवार, 15 जुलाई 2020
1825...नई संकल्प गाथा..
10 टिप्पणियां:
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उव्वाहहहह...
जवाब देंहटाएंहँस रही
इन घाटियों के
माथ पर बिंदी हरी है ।
नींद से
कहना न टूटे
स्वप्न में इक जलपरी है..
बेहतरीन..
सादर..
सादर प्रणाम,
हटाएंआपकी ईमेल आई डी यही है ना:- yashodadigvay4@gmail.com
अपनी रचना की लिंक भेज रही हूँ
हटाएंजी यही है..
हटाएंyashodadigvay4@gmail.com
सादर..
जी यह है..
हटाएंआपने गलत लिख लिया है, सुधारें..
yashodadigvijay4@gmail.com
सादर..
वाह!सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंहर एक रचना को पढ़ कर आनंद आया और नई प्रेरणा मिली। विविधता से भरी हुई प्रस्तुति। एक भी भाव या अभिव्यक्ति नहीं छोड़ी।
जवाब देंहटाएंलाजबाव प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंलाजबाव प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपम्मीजी शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंभूमिका में सुंदर मोहक पंक्तियां।
सभी संकलित रचनाएं बहुत आकर्षक।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।