सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष
चातुर्मास 4 महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। उक्त 4 माह को व्रतों का माह इसलिए कहा गया है कि उक्त 4 माह में जहाँ हमारी पाचनशक्ति कमजोर पड़ती है वहीं भोजन और जल में बैक्टीरियों की तादाद भी बढ़ जाती है। उक्त 4 माह में से प्रथम माह तो सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसा नहीं कि सिर्फ सोमवार को ही उपवास किया और बाकी वार खूब खाया। उपवास में भी ऐसे नहीं कि साबूदाने की खिचड़ी खा ली और खूब मजे से दिन बिता लिया।
वन्दे महेश्वर
दंभी बनकर धमकाते हैं
अनुचित कार्य किये जाते हैं
दोषहीन दंडित होते हैं
आहत होते मर जाते हैं.
तांडव नृत्य न कर अंबर पर
थाम लो कर हे नाथ दिगंबर
महेश्वर
जिंदगी नहीं रुकती
देने को किसी की
तुच्छ उधेड़बुन का जवाब
किसी की हताश चीत्कारों पर
मुड़कर नहीं देखती है जिंदगी
चौमासा
जिसने सबका मन भरमाया
स्वाति युगल बाहर को आए
देख नजारा वो हर्षाए
मौसम का है अजब नजारा
सावन
मैंने इस परम्परा को जीवित रख रखा है इसलिए
हर साल बेटे लक्ष्य के लिए दो दिन के लिए ही सही पर
झूला जरूर डालता हु ओर उसे झूले देता हूं ओर आपके साथ
शेयर करता हु ताकि आने वाली पीढ़ी को पता चले कि ये भी
एक जमाना था और झूले का भी अपना अलग ही महत्व था
चौमासा
नृत्य किया बागों में
कंठ से मधुर स्वर निकाले
आकर्षक नयनाभिराम नृत्य प्रदर्शन में |
आकृष्ट किया अपनी प्रिया को
रंगबिरंगे फैले पंखों से
नयनों से की अश्रु वर्षा भी
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पुन: मिलेंगे...
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किसी भी विधा की रचना
आज शनिवार शाम तक हमें भेज सकते हैं।
चयनित रचनाएँ हम-क़दम के 126 वें अंक में
आगामी सोमवार को प्रकाशित की जाएँगीं।
प्रकृति का मिज़ाज़ भी ऋतु अनुरूप बदलता है।
जवाब देंहटाएंहर ऋतु का खान-पान रहन-सहन सब भिन्न है। सभी ऋतुओं का अपना महत्व है चौमासा की विशिष्टता है
वर्षा ऋतु से निखरी प्रकृति हरियाली और उत्पन्न बैक्टेरिया मनुष्यों से बचाव के लिए मनुष्य में संयम की प्रवृति में वृद्धि।
सुंदर रचनाओं का सराहनीय संकलन दी।
महेश्वर जी की रचना पढ़वाने के लिए बहुत आभार आपका।
सादर।
मनभावन
जवाब देंहटाएंसावनांक..
आभार...
सादर नमन...
सादर नमन
जवाब देंहटाएंसदाबहार प्रस्तुति
सादर
चातुर्मास और प्राकृतिके अभिनव क्रियाकलाप , भोलेनाथ की आराधना का चतुर्मास तो ईश्वर के विश्राम का चतुर्मास !!!सुंदर रचनाएँ और ज्ञानवर्धक भूमिका आदरणीय दीदी 👌👌👌 चातुर्मास कभी हुलसाता है ,कभी रुलाता है। इसमें सब है तीज -त्यौहार , कोकिल की कूक, मयूर का नृत्य और फल - फूलों की बहार, हरियाली का समंदर और झमाझम बारिश 👌👌आदिदेव महेश्वर की आराधना- अभ्यर्थना के साथ कवि महेश्वर जी रचनाएँ बढिया हैं सभी रचनाकारों को शुभकामनायें और बधाई। आपको आभार और प्रणाम🙏🙏🌹🌹🙏🙏
जवाब देंहटाएंमेरे भाव---
जवाब देंहटाएं🙏🙏
जग असत्य ,अनित्य और नश्वर ,
तू परमसत्य ,अनादि ,योगेश्वर ;
ललाट सोहे अर्धचन्द्र नवल ;
रूप अभिनव ,सर गंगधार धवल ,
त्रिलोकीनाथ , शिवा , करुणाकर,
कोटि नमन तुम्हें! भोले शंकर
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत सुंदर
हटाएंजय बम भोले सभी रचनाएं सराहनीय है
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रकृति का मिज़ाज़ भी ऋतु अनुरूप बदलता है।
जवाब देंहटाएंहर ऋतु का खान-पान रहन-सहन सब भिन्न है। सभी ऋतुओं का अपना महत्व है चौमासा की विशिष्टता है
वर्षा ऋतु से निखरी प्रकृति हरियाली और उत्पन्न बैक्टेरिया मनुष्यों से बचाव के लिए मनुष्य में संयम की प्रवृति में वृद्धि।
सुंदर रचनाओं का सराहनीय संकलन दी।
महेश्वर जी की रचना पढ़वाने के लिए बहुत आभार आपका।
सादर।
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