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बुधवार, 29 जुलाई 2020
1839..बोलना तक ख़ता हो गया...
9 टिप्पणियां:
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सराहनीय प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंएक सेठ जी मर गये. उनके तीनों बेटे उनकी अन्तिम यात्रा पर विचार करने लगे. एक ने कहा ट्रक बुलवा लेते हैं. दूसरे ने कहा मंहगा पडेगा. ठेला बुलवा लें. तीसरा बोला वो भी क्यूँ खर्च करना. कंधे पर पूरा रास्ता करा देते हैं. थोड़ा समय ही तो ज्यादा लगेगा..
मितव्ययिता का शानदार उदाहरण
अर्थ प्रेमी बच्चे..
सादर..
बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर...
सुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंसुंदर भूमिका और पठनीय रचनाओं के लिंक्स से सजी हलचल, मुझे भी शामिल करने के लिए हृदय से आभार पम्मी जी !
जवाब देंहटाएंउम्दा अंक आज का |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद पम्मी जी |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट लिंको से सजी शानदार प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।