'सरहद'
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बहुत सुंदर प्रस्तुति!!!
जवाब देंहटाएंअविनाश वाचस्पति जी को विनम्र श्रद्धाँजलि
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुतीकरण
विचारणीय भूमिका के साथ लाजवाब प्रस्तुति आदरणीय रविंद्र जी । अविनाश वाचस्पति जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते सुशील जी की बहुत भावपूर्ण रचना की ये पंक्तियाँ मन को छू गई -----
जवाब देंहटाएंचिट्ठों के जंगल में उसने एक चिट्ठा बोया है जिस दिन से बोया है चिट्ठा वो खोया खोया है
चिट्ठे चिट्ठी लिखते हैं कोई सोया सोया है चिट्ठी लेकर घूम रहा कोई रोया रोया ------
उलूक का ये अंदाज नया और मन को छू जानेवाला है। इसके साथ सखी सुजाता प्रिये जी की धूर्त पडोसी चीन को ललकार के रूप में लिखी रचना में समस्त देशवासियों की भावनाएं समाहित है। सरल से बाल सुलभ अंदाज में ये घुड़की वहुत शानदार रही ----------
टीक-टॉक,शेयरिंग,यू सी ब्राउजर।
हम सब खुश हैं उन्हें हटा कर।
तेरे सभी सामानों का हम,
कर रहे बहिष्कार चीनियों,
बंद करो व्यापार।
जेन्नी जी बढ़िया गजल,रिकी जी की सुंदर कविता और अपर्णा वाजपेयी के प्रेरक लेख के साथ
सीमा पर बलिदान हेतु तत्पर सैनिकों की अंतिम लालसाओं और अपने साथी केअधूरे सपनों के लिए खुद को जिम्मेवार मानते हुये विचलित मन की मर्मांतक अनुभूतियों को, संजोता हकीकत फिल्म का ये गीत मेरे अत्यंत पसंदीदा गीतों में से एक है। सैनिक भी इंसान हैं। उनके भीतर भी भावनाओं के ज्वार उमड़ते हैं। हर एक को ये गीत सुनना चाहिए। ये वो पुकार है जो बलिदान के शोरोगुल में अनसुनी रह जाती है। वातानुकूलित कमरों में देश भक्ति के लिए युद्ध को अनिवार्य मानते हुये ,लोगों को ये पता नहीं एक सैनिक के बलिदान के साथ उसके अपने सपने तो मरते ही हैं उसके कई अपनों के सपनों की चिता भी उसके साथ जलती है। युद्ध स्वाभिमान और अभिमान दोनों के लिए होते हैं। दुआ करें शांति का मार्ग प्रशस्त हो । युद्ध ना हो। सभी रचनाकारों को शुभकामनायें ।आपको आभार और बधाई। सादर🙏🙏
आभार रेणू जी। अविनाश जी के उत्साहवर्धन से ही चिट्ठा जगत में कदम रखने की हिम्मत जुटा पाया था।
हटाएंआभार रेणु बहन..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंक..
आभार ...
आभार रवींद्र जी और टिप्पणी के लिये रेणु जी का आभार भी।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना प्रस्तुति
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