शीर्षक पंक्ति :डॉ.जेन्नी शबनम
सादर अभिवादन
मंगलवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
करोना माहमारी से
जूझ रहा है सारा देश,
सत्ता के ढीठ सौदागर
कर रहे दूषित परिवेश।
-रवीन्द्र
आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
फिर से दिखाई देने लगा है
बिना सोये
दिन के तारों के साथ
आक्स्फोर्ड कैम्ब्रिज मैसाच्यूट्स बनता हुआ
एक पुराना खण्डहर तीसरी बार
मोतियाबिंद पड़ी सोच के उसी आदमी को
जिसने कई पर्दे चढ़ते उतरते देखें हैं
कब्र नही चिता बनेगी,
शाखाओं ने भी सीख लिया,
कब्र और चिता का फरक,
मजहबी रंग इंसानियत से बढ़कर,
अब आगे बढ़ निकले हैं,
शाखाओं और पत्तों ने भी,
अब अपना मजहब चुन लिया है।
ग्यारवीं के इश्क़ की क्या कहूँ,
लाजवाब था वो भी जमाना,
इसके बादशाह थे हम लेकिन,
रानी का दिल था शायद अनजाना।
सुबह आते थे क्लासरूम में,
हसरत थी पास बैठने की,
पर वो मोटा भी क्या अजीब था,
दो पन्ने पढ़कर, पास उसके बैठ जाता था।
युद्ध के नाम से
जितनी डरती है एक माँ
उतना नहीं डरता एक राजा
मां भेजती है
रणभूमि में
अपने नसों में बहता हुआ लहू
तो राजा केवल भेजता है
औजारों से लैस एक सैनिक
हम-क़दम का अगला विषय है-
'बरसात'
उदाहरणस्वरूप कविवर अज्ञेय जी की रचना-
"पानी बरसा!
ओ पिया, पानी बरसा!
घास हरी हुलसानी
मानिक के झूमर-सी झूमी मधु-मालती
झर पड़े जीते पीत अमलतास
चातकी की वेदना बिरानी।
बादलों का हाशिया है आसपास-
बीच लिखी पाँत काली बिजली की-
कूँजों की डार, कि असाढ़ की निशानी!
ओ पिया, पानी!
मेरा जिया हरसा।
खडख़ड़ कर उठे पात, फड़क उठे गात।
देखने को आँखें घेरने को बाँहें।
पुरानी कहानी?
ओठ को ओठ, वक्ष को वक्ष-
ओ पिया, पानी!
मेरा हिया तरसा।
ओ पिया, पानी बरसा!"
-अज्ञेय
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी गुरूवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
प्रकृति का सानिध्य
जवाब देंहटाएंमिलता मुझे
बेख़ौफ़ मैं भी जीती
कभी न रोती
बेहतरीन प्रस्तुति...
सादर..
सराहनीय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार रवीन्द्र जी।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति अनुज रविन्द्र जी ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स.... सुंदर संयोजन
जवाब देंहटाएंसाधुवाद 🙏💐
बहुत आभार, रविन्द्र जी, मेरी रचना ग्यारवीं का इश्क़ को जगह देने हेतु।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और विविधता से भरी हुई प्रस्तुति। सदा की तरह पढ़ कर मन आनंद और प्रेरणा से भर गया।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार।आप सभी बड़ों को प्रणाम।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत सुंदर पोस्ट है और यह प्रेरणा से भरा हुआ है
जवाब देंहटाएंThank you rabindra ji
जवाब देंहटाएंinspiring post