शुक्रवारीय अंक में
आपसभी का
स्नेहिल अभिवादन
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चंद पंक्तियाँ आज के परिवेश पर-
संक्रमित पेड़ के
एक डाल के
कुछ पत्तों से कीड़ों
पर कीटनाशक छिड़ककर
उसे डाल से झाड़कर,
ख़ुश होना कि पेड़
संक्रमण मुक्त हुआ
जबकि सच तो जड़
को खोखला कर रहा
भ्रम में जीना
अच्छा लगता है हमें;
अपनी सहूलियत से
कांधा बदलता दर्द
चौंकाता नहीं है आजकल
भीड़ की होड़ में
मुखौटे पर मुखौटा
सच बरगलाने लगा है आजकल।
★●★
आज के अंक में विशेष है
चिट्ठाजगत की दो नवीन प्रतिभाओ
से परिचय।
सर्वप्रथम मिलिए
एक प्रतिभाशाली युवा कवयित्री से
युवाओं का हिंदी साहित्य में अभिरुचि बेहद
सुखद है।
सुश्री अनंता सिन्हा
उनके प्रश्नों का उत्तर देकर,
मैं अपनी परीक्षा देती हूँ।
यदि उस में सफल हो सकी,
तभी उनकी परीक्षा ले सकती हूँ।
★★★★★★
मिलिए
सम्मानित एक ओजपूर्ण
कवयित्री से,जिनका लेखन उद्देश्य
समाज को नवीन दृष्टिकोण
प्रदान करना है-
मैं तो कुदरत की बेटी हूं, इसिलिये तो खुश रहती हूं;
दान पुण्य से दूर हमेशा , मस्त स्वयं में ही रहती हूं;
पैसे का लालच क्या होता, इन बातों से बड़ी दूर हूं,
नहीं जोड़ने की भी आदत , रोज कमाकर खा लेती हूं।
★★★★★
आदरणीय देवेन्द्र पाण्डे जी
सुनता आया हूँ...
बिल्ली का रोना अशुभ होता है
रोते को चुप कराने की क्षमता न हो तो
आसान है
उसे मारकर भगा देना
लेकिन जैसे ही भगाना चाहता हूँ
★★★★★
आदरणीय अजय कुमार झा जी
इस पूरे प्रकरण ने मन को बुरी तरह आहत किया और मुझे निराश होकर विवश होकर अब ये सोचना पड़ रहा है कि आखिर गलती कहाँ हुई | मंदिर के काम को हाथ में लेकर उसे पुनर्निर्मित करवाना मेरी गलती थी या गाँव में रह रहे काका काकी ,बूढ़े बुजुर्ग ,बच्चों को इस बीमारी की चपेट में आने से बचाने के लिए कीर्तन के कार्यक्रम आगे टालने के लिए कहना | आत्मा तक बुरी तरह से आहत हुई है , और भविष्य के प्रति अब कुछ भी सोचने के लिए बहुत आशंकित भी |
★★★★★
और चलते-चलते
आदरणीय सुबोध सर
"अब इस में सोचना क्या है भला .. बोलिए न जरा .. मुझे लगा कि आपकी जिस कहानी की नायिका के अपने पति के मरने के बाद वाले कृत से सजे जिस सुखान्त (?) की जिसमें .. नायक द्वारा उस नायिका के पति के मरने को 'ग्रहण टलना' (?) बुलवाया गया .. और फिर जिसकी आपके प्रसंशक पाठकगण द्वारा इतनी भूरि भूरि प्रशंसा हो रही हो .. वह तो निश्चित रूप से कोई अच्छी ही बात होगी न ? .. है कि नहीं ?"
और अंत में
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आज का अंक आपको उम्मीद है
अच्छा लगा होगा।
✌✌
हम-क़दम का नया विषय
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कल का अंक पढ़ना न भूले
कल आ रही हैं विभा दी
नई प्रस्तुति के साथ।
#श्वेता सिन्हा
सराहनीय प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंदोनों नए चिट्ठाकारों का स्वागत..
अभिवादन, अभिनन्दन
सादर..
शानदार लिंक सभी रचनाएं बेहतरीन
जवाब देंहटाएंमेरी कविता को स्थान देने के लिए अत्यंत अत्यंत आभार। मैं बहुत प्रसन्न एवं कृतज्ञ हूँ कि मुझे आपसभी बड़ों का प्रोत्साहन एवं आशीष मिला और आप सबने मेरी रचना को प्यार दिया।
जवाब देंहटाएंमैं ने इस प्रस्तुति की सभी रचनाएँ पढीं, बहुत प्रेरणा मिली और बहुत कुछ सीखने को मिला।
श्वेता मैम, आपका हृदय से आभार की आपने मेरी रचना
साझा की और मुझे प्रोत्साहन व मार्गदर्शन दिया। आपकी इस उदारता के लिए जितनी कृतज्ञता व्यक्त करूँ कम है।
अब मैं इस ब्लॉग पर आती रहूंगी। धन्यवाद।
आपका आभार आज की प्रस्तुति में मेरी रचना/विचार को जगह देने के लिए ...
जवाब देंहटाएंअनमोल जानकारी। कृपया मेरे ब्लाग को भी लिंक दे सकते हैं अगली पोस्ट में www.gyanibabu.com
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक प्रिय श्वेता, प्रिय अनंता और आदरणीय सरोज दहिया जी को आजके अंक में पाकर बहुत खुशी हुई । पांच लिंक परिवार को दो नये सदस्य मिले, अपार हर्ष हुआ। दोनों का अभिनंदन और दोनों को बधाई और शुभकामनायें। अनंता जैसे युवाओं से साहित्य को बहुतआशाएँ हैं। आदरणीय सरोज जी हरियाणा प्रदेश की प्रबुद्ध रचनाकारा और विरल चिंतकहैं तो हरियाणवी के लिए साहित्य एकादमी द्वारा पुरस्कृत हैं। उनसे जुड़कर उनके ओज भरे काव्य को जानना अच्छा लगा। आज के अभी रचनाकारों को शुभकामनायें और बधाई। तुम्हें भी हार्दिक स्नेह और आभार इस प्रस्तुति विशेष के लिए। 🌹🌹🙏🌹🌹
जवाब देंहटाएंब्लाग संसार में अभी अभी प्रवेश किया, प्रिय अनुजा रेणूबाला का सहयोग अविस्मरणीय है, बहुत सी तकनीकी जानकारियों से अनभिज्ञ हूं अभी, श्वेता सिन्हा बिटिया, बहन यशोदा अग्रवाल और भाई रविन्द्र यादव ब्लाग संसार के हीरो है यहां आने पर ही पता चला, सभी को बहुत बहुत स्नेहाशीष, पहली ही कविता पर भाई विश्वमोहन और शास्त्री जी की टिप्पणी पढ़कर बहुत सुखद अहसास हुआ, नाम भूल रही हूं, दो ब्लागर और टिप्पणी कर्ता, बहुत बहुत आभार उनका भी हर रोज कोशिश करता रही हूं तो भी अन्य ब्लाग दिखाई नहीं दे रहे, बहन मुकेश ने कल बताया आज की मंचिय चर्चा के विषय में तो यह लिंक रेणु ने दिया तभी लिख पा रही हूं, सभी का बहुत बहुत आभार ।
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