अभिशाप
कठिन है व्याख्या करना
किसी पर कोई दोष लगाने की क्रिया या यह कहने की क्रिया
कि इसने अमुक दोष या अपराध किया है, किसी के अनिष्ट
की कामना से कहा हुआ शब्द या वाक्य या बहुत बड़ा शाप।
झूठा अभियोग या मिथ्या दोषारोपण।
कुछ कालजयी रचनाएँ..
स्मृतिशेष माखनलाल चतुर्वेदी
वरदान या अभिशाप?
यह किरन-वेला मिलन-वेला
बनी अभिशाप होकर
और जागा जग सुला
अस्तित्व अपना पाप होकर
छलक ही उट्ठे विशाल!
न उर-सदन में तुम समाये।
आदरणीय कल्पना लालजी
कौन जाने काँटों ने किया कौन सा पाप
क्योंकर सहते जीवन भर वे ऐसा अभिशाप
पथरीली राहों में जन्में प्रेम कभी न पाते
तरसें बूंद-बूंद को देखो प्यासे ही मर जाते
आदरणीय अष्टभुजा शुक्ल
कंटीली झाड़ी को
कौन-सा अभिशाप
देंगे आप?
सुअर को, चींटी को
ढाल को, आंसुओं को
आप
देंगे कौन-सा अभिशाप?
आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले
मजबूरी अभिशाप बन, ले आती है साथ।
निर्लजता के पार्श्व में, फैले दोनों हाथ।।
धन-कुबेर कब पा सका, धन पाकर भी चैन।
तड़प-तड़प जीता रहा, मूँद लिए फिर नैन।।
स्मृतिशेष जयशंकर प्रसाद
कामायनी से
ओ चिन्ता की पहली रेखा, री विश्व वन की व्याली,
ज्वालामुखी विस्फोट के भीषण, प्रथम कंप-सी मतवाली।
हे अभाव की चपल बालिके, री ललाट की खल रेखा,
हरी-भरी-सी दौड़-धूप, ओ जल-माया की चल रेखा।
अरी व्याधि की सूत्र-धारिणी, री आधि मधुमय अभिशाप,
हृदय गगन में धूमकेतु-सी, पुण्य सृष्टि में सुन्दर पाप।
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अब पढ़िए ब्लॉग का सृजन
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आदरणीय सुशील जी जोशी
उलूक की पुरानी कतरन
ईमानदारी अभिशाप तो नहीं
साल में दो महीने
का वेतन आयकर
में चला जाता है
खुशी होती है
कुछ हिस्सा देश के
काम में जब आता है
समझ में नहीं आता है
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आदरणीया साधना वैद
दो रचनाएँ
(१)
अभिशाप
मूल्यविहीन बेटे
किसीके भी जीवन का
सबसे बड़ा अभिशाप होते हैं
यह भी मान चुकी हूँ मैं !
मेरी आप सबसे यही विनती है
लक्ष्मी स्वरूपा कन्या
घर की रौनक होती है
उसको भरपूर प्यार, दुलार
और सम्मान दो
तुम्हारा मौन
तुम्हारा यह मौन
वरदान है या अभिशाप
कवच है या हथियार
आश्रय है या भटकाव
संतुष्टि है या संशय
सांत्वना है या धिक्कार
आत्म रक्षा है या प्रहार
आश्वासन है या उपहास
पुरस्कार है या दण्ड
जो भी है
सिर माथे है ,
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अकेलापन अभिशाप
आदरणीया आशालता जी
गरीबी:एक अभिशाप
जब से जन्म लिया
यही अभिशाप सहन किया
मूलभूत आवश्यकताओं के लिए
भूख शांत करने के लिए
पैसों का जुगाड़ करने के लिए
मां कितनी जद्दोजहद करती थी
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आदरणीय कुसुम कोठारी जी
आह री वेदना बस अब जब
चोटी पर जा बैठी हो तो
ढलान की तरफ अधोमुक्त होना ही होगा
विश्रांति अब बस विश्रांति
यही वेदना का अंतिम पड़ाव
पाहन बन अडोल अविचल
बाट जोहती रही
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आदरणीया सुधा देवरानी जी
दो रचनाएँ
(१)
बेरोजगारी: एक अभिशाप
(२)
आओ बुढ़ापा जिएं....
निरानन्द तन ही तो है.....
आनन्द उत्साह मन में भरे तो,
जवाँ आज भी मन ये है.....
हाँ ! जवाँ आज भी मन तो है....
अतीती स्मृतियों से निकलेंं अगर
अपना भी नया आज है.....
जिन्दादिली से जिएं जो अगर
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आदरणीया रितु आसुजा जी
वरदान या अभिशाप
अकथनीय बहिष्कार
विषम परिस्थितियों
को मान जीवन का वरदान
तत्पर रहता है जो
कर्मठ कर्मप्रधान
जूझता है जो विपत्तियों
को परीक्षा मान
अभिशाप भी बन निखर
आदरणीया उर्मिला सिंह जी
अभिशाप
और चलते-चलते
आदरणीय सुबोध सिन्हा जी
विवशताएँ अपनी-अपनी
माना सुरक्षित नहीं साथ उसके तुम्हारा भविष्य
पर कुएँ में धकेलना मेरा भी नहीं लक्ष्य
देखो ... तुम्हारी उम्र बीत रही है ...
तुम्हारे चेहरे पीले पड़ने के पहले
हमें तुम्हारे हाथ पीले करने हैं
पड़ोसियों को मुझसे है ज्यादा चिन्ता
उन्हें चैन की नींद देने हैं
अब परिस्थितियों से तो समझौता करना होगा
अपनी ढलती उम्र के लिए ना सही
बाकी दोनों बहनों की शादी आगे कर सकूँ
इसके लिए तो हाँ करना होगा "
आज बस
कल मिलिएगा भाई रवीन्द्र दी से
नए विषय के साथ
सादर
सस्नेहाशीष व शुभकामनाओं संग साधुवाद
जवाब देंहटाएंसंग्रहनीय प्रस्तुति
बेहतरीन प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसादर..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।हमारी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंवाह!बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंआभार यशोदा जी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद यशोदा जी मेरी रचना शामिल करने के लिए |
जवाब देंहटाएंआभार आपका यशोदा बहन आज की प्रस्तुति में मेरी रचना/विचार को स्थान देने के लिए .. आपने भूमिका में "अभिशाप" शब्द के दो-दो अर्थों से अवगत कराया, इसके लिए भी धन्यवाद ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति.मेरी रचना को स्थान देने हेतु सादर आभार आदरणीय यशोदा दीदी.सभी रचनाकरो को हार्दिक बधाई .
जवाब देंहटाएंसादर
वाह ! अति सुन्दर प्रस्तुति ! मेरी रचनाओं को आज के संकलन में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी ! सभी प्रस्तुतियाँ अनुपम ! आभार के साथ मेरा सप्रेम वंदन स्वीकार करें !
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह बहुत शानदार लिंक माखनलाल चतुर्वेदी जी की जन्मस्थली हमारे जिले में हे बहुत दिल से वालों रचनाएं
जवाब देंहटाएंआप को नमन यशोदा जी 🙏🙏🙏
शानदार प्रस्तुति सभी लिंक्स बहुत ही उम्दा...
जवाब देंहटाएंमेरी पुरानी रचनाओं को विशेषांक में स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद आपका।🙏🙏🙏🙏🙏
सुन्दर प्रस्तुतीकरण, आयोजकों को शुभकामनाएँ..
जवाब देंहटाएं-आनन्द विश्वास