सादर अभिवादन।
गुरुवारीय प्रस्तुति में
आपका
स्वागत
है।
ख़बर है
कि बहुप्रतीक्षित
पाँच लड़ाकू विमान रफ़ाल
फ़्रांस से भारत पहुँच गए हैं,
सरहदों की रक्षा के लिए
सामरिक ताक़त ज़रूरी है
मानव के हिंसक विचार
कहाँ से कहाँ पहुँच गए हैं।
-रवीन्द्र
आइए अब आपको आज पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
असहाय पृथ्वी
निर्दयी आत्माओं से करती है रुदन
जरा ठहरो मेरे दर्द को साझा करो
चन्द्रकिरण
सी बातें छलकी
मनुहार की थी फुहार घनी
ओढ़ चुनरिया तारों वाली
पिय मिलन को चली है रजनी !
सियासत के इस खेल में,
अपने और पराए ढूँढ पाओगे नहीं,
बस रह जाए साख सलामत अपनी,
उतनी तो जानकारी रखो।
अब मेघों ने रस बरसाया
अवगुंठन करती धरती
पहन चुनरिया धानी-धानी
खुशियाँ जीवन में भरती
तड़ित चंचला शोर मचाए
ज्यों मेघों से रार ठनी
तिनके-तरुवर-पुष्प-पात पर
दिखती कितनी ओस-कनी।।
शत्रु मनुज के पांच ये,काम क्रोध अरु लोभ।
उलझे माया मोह जो,मन में रहे विक्षोभ।।
उचित समन्वय साधिए,जीवन का उत्थान
रेख बड़ी बारीक है,मूल तत्व को जान।।
जीवन की मेहरबानी
है. वो न जाने कितने रास्तों से चलकर आता है. कई बार मृत्यु के रास्ते भी चलते हुए वो हम तक आता है. कभी भय के रास्ते भी. लेकिन वो आता है और यही सच है. दिक्कत सिर्फ इतनी है कि हम उसी के इंतजार में कलपते रहते हैं जो हमारे बेहद करीब है. यानी जीवन, यानी प्रेम. वो तो कहीं गया ही नहीं, और हम उसे तलाशते फिर रहे हैं. कारण हम जीवन को पहचानते नहीं.
हम-क़दम
का
एक
सौ
उन्तीसवाँ विषय
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए..
जवाब देंहटाएंसादर..
उम्दा लिंक्स चयन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार
बहुत अच्छे, पठनीय लिंक्स का संयोजन... हार्दिक बधाई एवं शुमकामनाएं
जवाब देंहटाएंवाह!खूबसूरत प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌 सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय 🙏🌹
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