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गुरुवार, 7 मई 2020

1756...कहीं साज़िशों को अंजाम देने की नीति...

सादर अभिवादन। 

कहीं करोना से निबटने की बनी रणनीति 
कहीं साज़िशों को अंजाम देने की नीति,
कहीं ज्ञान-विज्ञान पर मंथन चर्चा-विमर्श
     कहीं मुनाफ़े की गोटियाँ क्षुद्र राजनीति।    
-रवीन्द्र 

आइए अब पढ़ते हैं कुछ पसंदीदा रचनाएँ-
कोरोना का कहर....अभिलाषा चौहान 



पैदल-पैदल भाग रहे सब,गाँव मिले तब चैन पड़े अब।

देश विदेश लगे सब देखत,पीर नहीं समझे जन की जब।

भूख चली हरने सब संकट,भाग बुरे निज पीर कहे कब।

नाग समान डसे अब लोगन,रोग बुरा जन जीवन पे अब।

दिल तोड़ रहे हैं मदिरालय ....उदय वीर सिंह



सजते रंग - महल से मदिरालय -

मिल बांट रहे हैं प्रेम कोरोना,

गल मिल जन्म- जन्म के नेह,

अब मुक्त हुए आचारों से ,

दिल तोड़ रहे हैं मदिरालय -

रिश्तों की चाबी....मनोज कायल 

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गुरुर था जिस रिश्ते को नफ़ासत अंदाज़ से जीने का l

मगरूर बन बिफर गया आसमां उसके कोने कोने का ll

हिसाब अधूरा रह गया कुछ खोने और पाने का l

सवाल अटक गया बेहिसाब जज्बातों का ll

यह कैसी ज़िद....अनुराधा चौहान 


कनक और विकास आश्चर्य से एक-दूसरे को देखने लगे।माँ ठीक है तो फिर पापा ने झूठ बोला?कनक को यह झूठ कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। कहीं इतने साल बाद इन लोगों की कोई नई चाल तो नहीं??

मन ही मन घबरा रही थी कनक।क्या सोचने लगी कनक? अरे डरो नहीं इकलौता बेटा हूँ!आखिर कब तक नाराज़ रहते माँ और पापा! वैसे बुलाते तो हम साथ नहीं आते, शायद इसीलिए ऐसे बुलाना भेजा गया है।

सुभद्रा आरती का थाल लेकर आ जाती है। औलाद के मोह में हमें भी झुकना पड़ा। तुम्हें तो हमारी याद भी नहीं आई होगी।


सम्भावित डर...सुधा देवरानी 


उसकी झुंझलाहट देखकर सुमन ने थोड़ी स्पीड तो बढ़ा दी पर सोचने लगी, बच्ची है न, आगे तक  नहीं सोचती। अरे ! पहले ही सोचना चाहिए न आगे तक, ताकि किसी मुसीबत में न फँसे ।वह सोच ही रही थी कि उसी चौराहे पर पहुँच गयी जहाँ की भीड़ से डरकर उसने स्पीड कम की थी।


हम-क़दम का नया विषय

यहाँ देखिए
सादर


आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगली प्रस्तुति में। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

10 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन..
    कहीं करोना से निबटने की बनी रणनीति
    कहीं साज़िशों को अंजाम देने की नीति,
    साधुवाद..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. नीति-अनीति,साजिश रणनीति,
    सरलता पर भारी छल राजनीति।
    ----
    सारगर्भित मुक्तक में समसामायिक सार समेटती हुई भूमिका के साथ सराहनीय पठनीय सूत्रों से सजी सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!सुंदर भूमिका ,लाजवाब लिंक्स !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन प्रस्तुति सर ,सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  6. शानदार प्रस्तुतीकरण उम्दा लिंक संकलन...
    मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति,सभी रचनाएं उत्तम, रचनाकारों को हार्दिक बधाई,मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

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