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बुधवार, 13 मई 2020

1762..एक चिड़िया इत्मीनान से अपने प्यारे चिरौटा से मिल रही थी

तेरह मई
शुक्र है..कि
भारत के इतिहास में
आज कुछ भी उल्लेखनीय
नही हुआ...
सादर अभिवादन..
चलिए चलें आज पढ़े
हमारे सहयोगी चर्चाकार

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भाई रवीन्द्र सिंह के ब्लॉग की
कुछ नई-पुरानी रचनाएँ....


ईश्वर का साक्षात रूप है माँ ....

माँ तो केवल माँ होती
ईश्वर का साक्षात रूप है माँ
जो हर हाल में साथ होती है
माँ की मुस्कुराहट क्या होती है


कोविड-19-काल का कलेवर कैसा है?

फूलों को स्पर्श करतीं हैं अल्हड़ हवाएँ 
तुम्हारे सिवाय 
सब रसरंग में आप्लावित हैं
अच्छा लगा जब तुमने
टहनी पर खिला 
मासूम प्रफुल्लित फूल
नहीं तोड़ा बेदर्दी से
बस वहीं से 
समर्पित कर दिया है
ईष्ट के चरणों में
इस रचनात्मकता से
प्रकृति, फूल, ईष्ट और मन
संतोष की ठंडी आह नहीं भरते
भविष्य की तस्वीर के विचार पर
ललाट पर बल नहीं उभरते 


सुनो प्रिये !

सुनो प्रिये !
मैं बहुत नाराज़ हूँ आपसे
आपने आज फिर भेज दिये
चार लाल गुलाब के सुंदर फूल
प्यारे कोमल सुप्रभात संदेश के साथ
माना कि ये वर्चुअल हैं / नक़ली हैं 
लेकिन इनमें समाया
प्यार का एहसास / महक तो असली है



वो शाम अब तक याद है.....

वो शाम अब तक याद है 
दर-ओ-दीवार पर 
गुनगुनी सिंदूरी धूप खिल रही थी 
नीम के उस पेड़ पर 
सुनहरी  हरी पत्तियों पर 
एक चिड़िया इत्मीनान से 
अपने प्यारे चिरौटा से मिल रही थी 
ख़्यालों में अब अजब 
हलचल-सी  हो रही थी  


एक नाज़ुक-सा फूल गुलाब का ...

हूँ  मैं  एक  नाज़ुक-सा  फूल, 
घेरे रहते हैं मुझे नुकीले शूल। 

कोई तोड़ता पुष्पासन से, 
कोई तोड़ता बस पंखुड़ी; 
पुष्पवृंत से तोड़ता कोई, 
कोई मारता बेरहम छड़ी। 
.....
हम-क़दम का नया विषय


अब बस..
कल मिलिए भाई रवीन्द्र जी से
सादर...




11 टिप्‍पणियां:

  1. व्वाहहहह..
    बेहतरीन रचनाए..
    सादर....

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर और पठनीय संकलन।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह बहुत सुन्दर भाव पूर्ण सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  4. क़ुदरती सुगन्ध से सिक्त बयार-सी रचनाएं ... एकल-रचनाकार वाली उम्दा प्रस्तुति ...

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी गुलाबी खुशबू लिए हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  6. रवींद्र जी की लेखनी से उकेरी गयी विविधतापूर्ण भावपूर्ण शब्दचित्रों से सजा बेहतरीन अंक।
    रवींद्र जी की रचनाएँ समसामयिक परिस्थितियों को सूक्ष्मता विश्लेषण कर सुगढ़ता से अभिव्यक्त करती,कोमल,सहज,सरल,भावप्रवाह से यकायक यथार्थ के धरातल की कठोरता का अनुभव कराती हैं और साहित्यसेवा के माध्यम से समाज को आने वाली पीढ़ियों को सार्थक संदेश देने को संकल्पबद्ध प्रतीत होती हैंं।
    आपकी सार्थक लेखनी के लिए मेरी शुभकामनाएँ रवींद्र जी।

    यशोदा दी आपने बहुत सुंदर अंंक बनाया है।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुंदर अंक आदरणीय दीदी।
    भाई रविंद्र जी की सुंदर , मौलिक अभिव्यक्ति ब्लॉग जगत में अपनी अलग पहचान रखती है। अपनी रचनाधर्मिता के साथ साथ उनके मार्गदर्शन करने की कला के सब मुरीद हैं। आपने बहुत प्यारी रचनाऔ का चयन किया है। रविंद्र जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनायें। आगे भी इस तरह के प्रयोग एकरसता को भंग कर ब्लॉग पर नई आभा बिखेरते हैं । ये प्रयोग आगे भी जारी रहे। सादर🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

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