असली प्रश्न यह नहीं कि मृत्यु के बाद
जीवन का अस्तित्व है कि नहीं,
असली प्रश्न तो यह कि
क्या मृत्यु के पहले तुम
जीवित हो?
उपरोक्त कथन
किसी भी महान उपदेशक,विचार या चिंंतक का हो,
किंतु इन पंक्तियों में निहित संदेश
की सकारात्मकता आत्मसात करने योग्य है।
★★★★★
आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-
नवीन ब्लॉग परिचय
अदृश्य शक्तियां ...विद्या महेन्द्रसिंह "हंस"
अदृश्य शक्तियों से लड़ना,
और डरकर भाग जाना,
किसी ईश्वर, अल्लाह, मसीह को रक्षक मान कर
वह आपकी रक्षा, मनोबल,उन्नति, सफलता का
ठेकेदार बनेगा,
प्रथम दृष्टया हार मान लेना जैसे होगा,
....
इस अंक हेतु सलाह व सुझाव की अपेक्षा में
हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए
कल का अंंक पढ़ना न
भूले,
विभा दीदी आ रही हैं
अपनी विशेष प्रस्तुति के साथ।
-श्वेता
स्वयंसिद्ध बेहतरीन
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ नए ब्लॉग को
सादर...
वाह!बेहतरीन प्रस्तुति श्वेता ।
जवाब देंहटाएंजीवन में जिंदा होना थोड़ा मुश्किल है
जवाब देंहटाएंहर रोज खुद के ज़मीर का कातिल है
सराहनीय प्रस्तुतीकरण
सदा स्वस्थ्य रहें..
मृत्यु के पहले हम जीवित हों भी पर पूरी तरह जगे तो नहीं हैं, आज देश दुनिया में जो हो रहा है उसको देखकर तो नहीं लगता मानव सजगतापूर्वक जी रहा है. सुंदर प्रस्तुति, आभार मुझे भी आज की हलचल में शामिल करने हेतु !
जवाब देंहटाएंसदा की तरह सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया ...
जवाब देंहटाएंनायाब कलेक्शन श्वेता जी
जवाब देंहटाएंलाज़बाब प्रस्तुति श्वेता जी,हमारी रचना को शमिल करने की लिए हार्दिक धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअसली प्रश्न यह नहीं कि मृत्यु के बाद
जवाब देंहटाएंजीवन का अस्तित्व है कि नहीं,
असली प्रश्न तो यह कि
क्या मृत्यु के पहले तुम
जीवित हो?
यक्ष प्रश्न जिनके उत्तर हमारी आत्मा ही दे सकती है बशर्ते वह जीवित हो
हम तो खुद से झूठ बोल बोलकर पूरा जीवन गुजार देते हैं ।
--सुंदर प्रस्तावना के साथ उम्दा लिंक्स👌👌👌
खूबसूरत प्रस्तुति
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