श्रमिक रेलगाड़ियाँ
राह भटक गईं
है न आश्चर्यजनक ख़बर,
लंबे लॉकडाउन में
व्यवस्था का मतिभ्रम है
या भूखे मज़दूरों को
क़्वारन्टाइन में रखने के
ये हैं उपाय लचर?
-रवीन्द्र
आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
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बेहतरीन..
जवाब देंहटाएंअज्ञानता,
मूर्खता, गरीबी, मासूमियत
ये सब पाप नहीं हैं,
जैसे प्रकृति-पशु-पक्षी के
कर्मों में पाप नहीं है,
पाप है वहाँ जहाँ ज्ञान है,
बुद्धि है, छल है यानी
जहाँ नीयत में खोट है,
दिखावा है - ढोंग है,
और ईश्वर बीच-बीच में
इसी पर करता चोट है...
सादर...
क्या सच में इतना भयावह स्थिति हो सकती थी.. अभी भी चिंतनीय नहीं हो पा रहा है
जवाब देंहटाएंअप्रतिम..
जवाब देंहटाएंचिन्तन का विषय..
सरकार को हरा रही है
मीडिया दुस्प्रचार कर के..
सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता
कुप्रबंध की के कारण राह भटक रही है
सादर..
आदरणीय नसवा जी के जंगली गुलाब की चाहत हमें अवश्य ही पागल कर देगी। हर बार पढता हूँ और हर बार ईश्क कर बैठता हूँ । कहीं उनको जलन तो नहीं हुई न?
जवाब देंहटाएंइस पटल पर प्रस्तुत अन्य सभी रचनाएँ बहुत ही सुंदर व प्रभावशाली है। समस्त रचनाकारों को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।
समसमायिक विचारणीय प्रस्तुति के साथ बेहतरीन रचनाओं का संकलन।
जवाब देंहटाएंसादर
रेलवे की यह लापरवाही कितनी भारी पड़ रही होगी उन श्रमिकों को. सराहनीय रचनाओं की खबर देते लिंक ! आभार मुझे भी शामिल करने हेतु !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनाओं की प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी सुरक्षित व स्वस्थ रहें
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब हलचल है आज की ...
जवाब देंहटाएंपुरुषोत्तम जी का ह्रदय से आभार ... आपका भी बहुत बहुत आभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए ...