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बुधवार, 13 दिसंबर 2017

880..शब्दावलियों की लड़ियाँ है..

१३ दिसंबर २०१७
।।शुभ भोर वंदन।।


जाड़ों में भोर की आंगन में छनती धूप और चूल्हे पर उबलती  चाय से उठता धुआं ,
पत्तियों की महक सच..ये आलम ही कुछ और है
तो फिर आज चाय की चुस्की के साथ आनंद लेते हैं शब्दावलियों की लड़ियाँ 
जिनमें अहसास भी बदलते रहतें हैं..



प्रस्तुत है आज की लिंक जो अकेली नहीं जमावड़ा है चर्चाओं का ...✍



रचनाकारों के नाम क्रमानुसार पढे..
आदरणीया सविता मिश्रा जी,  आदरणीया अपर्णा वाजपेयी जी , आदरणीया शालिनी कौशिक जी,
आदरणीया  शकुंतला जी , आदरणीया वंदना रामासिंह जी , आदरणीय चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ जी..



जिधर देखती हूँ 
गम की परछाइयाँ है
मुहब्बत की डगर में 
बस नफरत की खाइयाँ है !!
दुःख को ही बना लिया है
हमने अपना
खुशी तो लगती है
कितनी भद्दी हो गयी 
होगी मेरी  पीठ
तुम्हारी पिटाई से,
लगातार रिसते ख़ून के धब्बे,
नीलशाह, अनगिनत ज़ख्म..


 एक नारी की सफलता उसके घर परिवार में बसती है उसकी सशक्तता तभी है जब उसका घर पूरी तरह से सुख से संपन्न हो और ये तभी होगा जब वह सही राहों पर चले .पुरुष वर्ग से लोहा ले किन्तु उसके गुणों पर चलकर नहीं बल्कि अपने प्रकृति प्रदत्त गुणों को अपनाकर .तभी ये कहा जायेगा और कहा जा सकेगा -
''पुरुषों से लड़ने की खातिर ,नारी अब बढ़ जाएगी ,





दर्द रोने से दूर होता नही,
शब्द इनको बना लो तो कुछ बात हो
पीर के मेघा पलकों में छाए मगर, अश्रु मोती के किंचित धरा पर गिरे
नेह के दीप को बुझने न दो,पथ में चाहें जितना अंधेरा घिरे
ऐसे मुस्काओ कि उपवन में कलिया खिले,ऐसे झुमों की मरुस्थल में बरसात हो





नन्हा अभिभावक
रोजगार की तलाश में घूमते 
घुमक्कड़ लोगों के अस्थाई से डेरे इस बार भी विद्यालय की सीमा के आसपास 
दिखाई दिए, तो कुछ सहकर्मियों ने उन डेरों के बच्चों को स्कूल से जोड़ने का
 उपक्रम किया | उन बच्चों के रहन सहन तौर-तरीकों को लेकर कुछ लोग असहज 
भी थे लेकिन धीरे-धीरे नियमित आने वाले बच्चों के स्वभाव और तौर-तरीकों में परिवर्तन लाने में शिक्षकवृंद सफल भी हुआ |





नहीं शबनम था या शोला नहीं था
पता सबको है तू क्या क्या नहीं था
तुझे हम जानते हैं जाने कब से
तू था बदनाम पर ऐसा नहीं था
........................
एक और निवेदन आप सभी से आदरपूर्वक अनुरोध है कि 'पांच लिंकों का आनंद' के 
अगले सोमवारीय विशेषांक हेतु अपनी अथवा अपने पसंद के किसी भी रचनाकार की रचनाओं का
लिंक हमें आगामी शनिवार की शाम तक प्रेषित करें। आप हम तक सूचना पहुँचाने के लिए 
ब्लॉग सम्पर्क फार्म का उपयोग करे...
तो आइये एक कारवां बनायें। 

एक मंच, सशक्त मंच !
﹏﹏
अब समय है विराम का..
।।इति शम।।
पम्मी सिंह
धन्यवाद..✍






19 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात...
    सही व सटीक रचनाएँ
    मन प्रसन्न हुआ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ भोर वंदन पम्मी जी,
    बहुत सुंदर प्रस्तुति एवं उम्दा रचनाओं से सजा है आज का अंक। सारी रचनाएँ विविधतापूर्ण रंग समेटे बहुत अच्छी लगी।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  3. पम्मी जी आपका तहेदिल से शुक्रिया ....

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया पम्मी जी आपने आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर सूत्र संयोजन सुन्दर प्रस्तुति पम्मी जी।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति मन को भा गई

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन प्रस्तुति मौसम अनुरूपता से शुरू कर विविधता की और, अतिसुन्दर।
    शुभ दिवस।

    जवाब देंहटाएं
  8. सुंदर संयोजन... सभी रचनाकारों को बधाई..!

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही सुंदर....
    आभार आप का....

    जवाब देंहटाएं
  10. दिल से शुक्रिया आपका । इस गुलदस्ते में सजे रंग विरंगे ख्यालों के लिए बधाई सब को।

    जवाब देंहटाएं
  11. सुंदर संयोजन,अलग अलग भावों से सराबोर रचनाएँ पढ़ने को मिलीं। बधाई आदरणीया पम्मी जी।

    जवाब देंहटाएं
  12. बेहतरीन लिंक संयोजन ! बहुत खूब आदरणीया ।

    जवाब देंहटाएं
  13. बेहतर ढंग से तैयार किया गया ख़ूबसूरत अंक . बधाई पम्मी जी . प्रस्तुतिकरण में नयापन झलक रहा है . सभी रचनाएं अपना विशेष प्रभाव छोडतीं हुईं . सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें. आभार सादर .

    जवाब देंहटाएं
  14. कल ब्लोग पर नहीं आ सकी. क्षमा चाहती हूं. विविधतापूर्ण प्रस्तुति के लिये पम्मी जी बधाई की हकदार हैं. बेहतरीन संकलन. मुझे भी स्थान देने के लिये आभार.सादर

    जवाब देंहटाएं

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