कहते हैं इच्छायें उड़ती हैं परन्तु किस दिशा में ?
व्यक्तिगत इच्छाओं का मूल्य तो है,
सही दिशा भी हो यह आवश्यक नहीं !
कई इच्छायें यदि एक साथ चलें ज़ाहिर है
सकारात्मक सोच,नई दिशा और दिशाओं के सही मायने
हमें अवश्य नज़र आते हैं।
यही प्रयास है हमारे विशेषांक के इस कड़ी का
सादर अभिवादन
आज ब्लॉग जगत के कुछ 'विद्वान' रचनाकारों को
आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूँ।
जो ब्लॉग जगत के
सशक्त 'हस्ताक्षर' हैं।
कारवां ख़त्म नहीं होता यहाँ
मंज़िले और भी हैं।
सादर
आदरणीय
- सतीष सक्सेना ( ब्लॉगिंग की शुरुआत 2008 से )
- एम.रंगराज अयंगर ( २०११ )
- ज्योति खरे ( २०१२ )
- राजेश कुमार राय ( २०१५ )
- दिगंबर नासवा (२००६ )
- विश्वमोहन (२०१४ )
- रविंद्र सिंह यादव ( २०१६ )
- ओंकार केडिया ( २०११ )
- डॉ. सुशील कुमार जोशी ( २००९ )
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा ( २०१५ )
- राकेश कुमार श्रीवास्तव 'राही' ( २०११ )
रामचंद्र जी मार चुके हैं,
त्रेतायुग में रावण को,
हर धड़कते दिल में जिन्दा
दामिनी
हर तरह की कसक भूल जाओगे तुम
मैक़दे की कसम डूब जाना यहाँ।
दिया जलेगा या बाती या तेल जलेगा
या मेरा दिल कोने मैं चुपचाप जलेगा
मरघट में मची हाहाकार,
पथरायी मासूम आँखे ,
अभी-अभी सुनी है मैंने
तुम्हारे गेहुएं पांवों में बंधी
पायल की आखिरी खनक.
शोर सुनकर कौतूहलवश
बच्चे, बूढ़े, अधेड़, जवान सभी
देखने आये लपककर
दिये का चलन खत्म हो चला समझो
बल्ब को सूरज बना रहा आदमी।
समय निरंकुश क्या बंध पाएगा,
अनुबंधों की परिधियां तोड़ता,
तपिश दे रहा है , सूरज अभी भी ,
तू आ जाए तो , चैन आ जाए |
हमारे 'पाठकों की पसंद' विशेषांक
आज के गणमान्य पाठक हैं
आदरणीया /आदरणीय
➤सुशील कुमार जोशी जी
➤रेणु बाला जी
➤विश्वमोहन जी
➤पुरुषोत्तम जी
➤सुधा सिंह जी
➤ शकुंतला शाकु जी
( प्राप्त रचनायें )
आदरणीय, शम्भू राणा की कलम से
पाठक : सुशील कुमार जोशी जी
आदरणीया 'पूनम मोहन'
पाठक : विश्वमोहन जी
पाठक : पुरुषोत्तम सिन्हा जी
आदरणीय 'महातम मिश्रा'
पाठक : रेणु बाला जी
पाठक : सुधा सिंह जी
आदरणीया "कैलाश निहारिका"
पाठक : सुशील कुमार जोशी जी
बेहुनर हाथ किसी काबिल बना दूँ तो चलूँ
आस की डोर हथेली में थमा दूँ तो चलूँ
पाठक : शकुंतला शाकु जी
आप सभी गणमान्य पाठकों के अमूल्य योगदान से
हमारा 'पांच लिंकों का आनंद' परिवार कृतार्थ हुआ।
आशा है यह सहयोग व स्नेह भविष्य में भी जारी रहेगा !
शुभकामनाओं सहित
आज की विशेष प्रस्तुति हेतु एकलव्य जी का विशेष आभार।
जवाब देंहटाएंब्लाॅग जगत सशक्त हस्ताक्षरों मे खुद का नाम देखकर और एकलव्य जी को अनुपस्थित पाकर अचम्भित भी हूँ।
जिन अन्य गणमान्य नाम की चर्चा की गई है, वे सभी बधाई के पात्र है। इनके कलम की स्याही सर्वदा भावनाओं से सराबोर रहे।
सागर मंथन जैसे इस प्रयास की जितनी भी सराहना की जाय, कम होगी।
पुनः शुभकामनाओं सहित।
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंअभूतपूर्व प्रस्तुति
दो अंकों मे प्रकाशित होना था इसे
आपका प्रयास सराहनीय है...
सादर
निःशब्द हूँ
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ लेकिन कहना था
अतुलनीय प्रस्तुति..सभी रचनाकारों को बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका आपने मेरी रचना को शामिल किया
अविस्मरणीय,अतुलनीय विशेषांक,सभी सम्मानीय रचनाकारों को नमन,ब्लॉग जगत में आप सभी का विशेष योगदान बहुत मायने रखता है।
जवाब देंहटाएंआदरणीय ध्रुव जी की मेहनत और लगन, उनकी सुगढ़ प्रस्तुति आज हलचल पर अपनी सुषमा बिखेर रही है। बहुत बधाई आपके सुंदर संयोजन पर।
श्रम नज़र आता है..
जवाब देंहटाएंदर्शक लम्बी फिल्म झेल लेता है..
पर पठन और मनन हेतु सामग्री का जुगाड़...
सम्भव कर दिया आपने असम्भव को...
सादर
Nice presentation
जवाब देंहटाएंआज की विशेष प्रस्तुति में अपना देख कर अभिभूत हूँ ...
जवाब देंहटाएंब्लॉग जरूर लिखता हूँ निरंतर पर अभी तक खुद को केवल विद्यार्थी ही समझता हूँ ... बहुत कुछ बाकि है सीखना ... सभी की रचनाएँ पढ़ के आनद आया ... आज की प्रस्तुति विशेष है इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं ...
ध्रुव भाई सदैव नवीन एवं उत्तम प्रस्तुति पेश करते आए है और इस 'सशक्त रचनाकार' विशेषांक को संकलित कर एक नया आयाम स्थापित किया है। मैं इनकी मेहनत एवं प्रस्तुति को दाद देता हूँ। उम्मीद करता हूँ कि यह श्रृंखला यूँ ही फुले फले। ब्लाॅग जगत के सशक्त हस्ताक्षरों को बधाई एवं फिर से आभार ध्रुव भाई।
जवाब देंहटाएंआपने विशिष्ट में मुझे भी शामिल किया. शायद अति मूल्यन हुआ. मुझे खुद नहीं लगता कि इतनी काबिलियत है. ध्रुव जी आपने सराहा... नतमस्तक हूँ,
जवाब देंहटाएंआभार आपका
अयंगर
महसूस होता है जो अपने घर में किसी को नजर नहीं आता है
जवाब देंहटाएं'उलूक' सारे मुढ़े तुड़े कागज इक्ट्ठा कर अपने घर के लाता है।
सशक्त बहुत भारी भरकम शब्द है। बस यूँ ही गलतफहमियाँ छाप रहा है 'उलूक'। सर्वमान्य को नकारना अजीब बात तो है ही। सम्मान दिया उसके लिये दिल से आभार एकल्व्य जी। इस सागर में बहुत दूर तक देखने वाली बहुत सी आँखें हैं। पुन: आभार।
बहुत ही खूब....
जवाब देंहटाएंआभार आप का....
ब्लॉग जगत से अनजान सी हूं बस अभी कुछ दिन से देखना शुरू किया मेरी प्यारी छोटी बहन श्वेता सिन्हा को पढने वहां चली जाती थी और साथ ही इतनी उम्दा रचनाऐं पढने मिल जाती तो उत्सुकता बढ़ती गई सब को पढने लगी हमारा हिंदी काव्य जगत ऊंचाईयों को हमेशा अग्रसर रहे यही कामना है...
जवाब देंहटाएंआज के अंक पर यही कहूंगी कि अद्भुत अप्रतिम!!! एक से बढ़कर एक रचनाऐं खोज कर लाना और एक मंच पर प्रस्तुत करना प्रगाढ़ अथक सुंदर प्रस्तुति। दोनों ही प्रस्तुति लाजवाब रचनाओं का खजाना।
सादल धन्यवाद।
बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंइस अप्रत्याशित स्नेहिल सम्मान से मन तो गदगद हुआ ही, इस परिवार के सदस्यों की सदाशयता पर तुलसी की पंक्तियों का स्मरण हो आया:-
जवाब देंहटाएंजौं बालक कह तोतरी बाता।
सुनहिं मुदित मन पितु अरु माता।।......ध्रुवजी के कठिन श्रम, लगन, उत्साह और सरस्वती साधना को शत शत नमन!
आदरणीय ध्रुवजी, अपना कीमती समय देकर, इतने रचनाकारों को पढ़कर, सागर से मोती ढूँढ़ लाने जैसा ही है आपका यह प्रयास...जिसमें आप पूर्णतः सफल हुए हैं। बधाई के पात्र हैं आप ! आशा करती हूँ आगे भी यह कारवाँ यूँ ही जोशोखरोश के साथ चलता रहेगा। समय की कमी अखरती है,कभी कभी रचनाओं को पढ़ लेने पर भी उन पर कमेंट नहीं कर पाते। इस मामले में सभी की मजबूरी कमोबेश एक जैसी ही होगी। चुने गए सभी रचनाकार बेहतरीन हैं - हाथ कंगन को आरसी क्या ?
जवाब देंहटाएंअभी इस ब्लॉग महासागर के और भी मोतियों का ढूँढ़ा जाना बाकी है । सभी चयनित रचनाकारों को सादर बधाई।
अच्छे सूत्रो से सजी हुई प्रस्तुति.मेरी रचना को भी स्थान मिला, अच्छा लगा. ध्रुव भाई को सादर धन्यवाद. सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक हैं पर समय की कमी के चलते कई रचनाओं पर कमेंट नहीं कर पाई हूँ इसलिए क्षमा चाहती हूँ.
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत के इन जाने माने दिग्गज चेहरों से आज पहली बार मिलने का अवसर मिला, ब्लॉगिंग की इस अनोखी दुनिया से अवगत नहीं थी,पर ज्यौं ज्यौं मुझे समझ आनी लगी हैं।नित नई कविता कहानियों के जरिए ज्ञान पिपासा आर्जित कर रही हुं ...और आज की कड़ी ने कई सशक्त हस्ताक्षर से परिचय करा दिया.... बधाई आपको ध्रुव जी आपका प्रयास सराहनीय रहा...एवं सभी चयनित रचनाकारों को भी बहुत बधाई !!!
जवाब देंहटाएंप्रिय ध्रुव -- आज का खास प्रस्तुतिकरण अपने आप में अनूठा है | ब्लॉग जगत के सभी सशक्त हस्ताक्षरों जिनमे आदरणीय सतीष सक्सेना जी ,आदरणीय एम.रंगराज अयंगर जी ,आदरणीय ज्योति खरे जी , आदरणीय राजेश कुमार जी राय , आदरणीय दिगंबर नासवा जी ,आदरणीय विश्वमोहन जी , आदरणीय रविंद्र सिंह यादव जी ,आदरणीय ओंकार केडिया जी , आदरनीय डॉ. सुशील कुमार जोशी जी ,आदरणीय पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी एवं आदरणीय राकेश कुमार श्रीवास्तव 'राही'जी को सादर नमन और अनंत शुभकामनाएं | सभी आभासी दुनिया में अपनी अलग पहचान और मौलिक चिंतन के परिचायक हैं | इनमेसे कुछ को पाठक के रूप में देखना बहुत सुखद अनुभव है | मुझे भी इस विशेष अंक के पाठक वर्ग का हिस्सा बनाया गया जिसके लिए आपकी बहुत आभारी हूँ कि आपने मेरे सुझाव को इतना महत्त्व दिया | आदरणीय महत्तम मिश्रा जी से मैं शब्द नगरी से परिचित हूँ | उनका लेखन लोकरंग में पगा और काव्य की अनेक विधाओं में बंधा अनोखा लेखन है | वे अनेक छंदों के अलावा हाइकू , कुडलियां, मुक्तक , ग़ज़ल , गीत , नवगीत अदि के सशक्त रचनाकार हैं |इनके साथ लघुकथा के रूप में थोड़े में ज्यादा कहने में महारत रखते हैं | आशा है पाठक वृन्द उनके इस काम का सही मूल्याङ्कन करेंगे | आदरणीय मिश्रा जी को मेरी हार्दिक शुभकामनायें | आज के सभी रचनाकारों की रचनाएँ पढ़ ली हैं -- बहुत अच्छी रचनाओं के रूप में आपका अथक प्रयास सराहनीय है | इस नयी शुरुआत के नए पड़ावों की प्रतीक्षा रहेगी | सफल संयोजन पर आपको हार्दिक बधाई |
जवाब देंहटाएंमंगलकामनाएं आपको !
हटाएंसभी सशक्त हस्ताक्षरों का अनूठा संकलन.....मजा आ गया सच बताऊँ तो सुबह से रात हो गयी जब भी मौका मिलता एक रचना पढ़ती.....कुछ रचनाएं तो बार बार पढ़कर भी मन नहीं भरा...खैर... अब सभी पढ़कर आपका धन्यवाद करती हूँ तहे दिल से....इस अविस्मरणीय संकलन के लिए..... ध्रुव जी! बहुत ही सराहनीय प्रयास है आपका....
जवाब देंहटाएंसभी माननीय रचनाकारों को नमन....
आभार ध्रुव सिंह ,
जवाब देंहटाएंदेर से देख पाने के लिए खेद है !मंगलकामनाएं आपको !
ध्रुव भाई
जवाब देंहटाएंवरिष्ठ रचनाकारों ने ब्लॉग जगत में लिखना पढना सिखाया है और उन्ही के सानिध्य में कुछ सीख पा रहा हूँ.
इधर अपने को पाकर धन्य हुआ, बहुत बहुत आभार आपका
अनूठा संकलन और संयोजन है, कमाल के रचनाकार और कमाल की रचनायें सभी को बधाई और शुभकामनाएं
समूची टीम को साधुवाद
सादर
देर से उपस्थित होने के लिए क्षमा
जवाब देंहटाएं