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शनिवार, 30 दिसंबर 2017
897... छत
11 टिप्पणियां:
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शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
अच्छी व मनभावन
सादर
वाह्ह..
जवाब देंहटाएंसुप्रभातम्
आदरणीया विभा दी,
बहुत सुंदर संकलन है,हमेशा की तरह लाज़वाब रचनाएँ हैं
आज के शनिवारीय विशेषांक में।
सुप्रभातम।
जवाब देंहटाएंसादर नमन आदरणीया दीदी।
जीवन में छत क्यों आवश्यक है बहुत ख़ूबसूरती से बयां कर रही हैं आज की रचनाएं।
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
थीम पर आधारित रचनाओं का संकलन एक बड़ी चुनौती होती है जिसे एक विशेषज्ञ के तौर पर आदरणीया विभा दीदी हमारे बीच पेश करती आ रही है।
रसमय आनंद लीजिए छत के विभिन्न रूपों का विभिन्न रचनाओं में।
बहुत सुन्दर विषयवस्तु के साथ प्रस्तुत आज की सुन्दर हलचल।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण रचनाओं का संकलन
जवाब देंहटाएंसुप्रभात हमेशा की तरह सुंदर प्रस्तुति आभार आपका
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंएक शब्द विशेष पर आधारित रचनाओं का संकलन आज की प्रस्तुति की विशेषता है..
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया।
आभार
आदरणीय विभा दीदी का संकलन बेहद खास होता है. वे हमेशा नये लोगों को खोज कर लाती हैं उनकी बेमिसाल रचनाओं के साथ. एक ही विशय पर खास पेशकस करना बेहद कठिन काम है जिसे वे बहुत अच्छी तरह से निभाती हैं.
जवाब देंहटाएंसादर
हलचल मचाता लिंक की छत पर लटका है .... आज चाँद! बहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंआदरणीय विभा दी -- आपके चिंतन से संवरा बहुत ही अद्भुत लिंक संयोजन है आजका | छत पर भरपूर रचनाएँ पढ़ मन को बहुत आनंद हुआ | छत के बिना ना परिवार का अस्तित्व है -- ना घर का और नहीं जीवन का | यहाँ तक कि भावनाएं भी छत के प्रांगन में नित नए गीत औए छंद रचती हैं | आखिर छत से तो चाँद ,सितारों और सूरज का दीदार संभव है | और अनेक प्रेम कहानियां भी तो छत से शुरू हो छत पर ही विस्तार और विराम भी पाती हैं | चांदनी रात में किसी से छत पर बात करने जैसा अनुपम आनंद और कहाँ ? यानि छत की महिमा आजके लिंक ने साकार कर दी | सभी रचनाये पढ़ी बहुत -- बहुत अच्छी थी सभी | बस मनीष जी 'आशिक ' के साथ ऋषभ तोमर जी के ब्लॉग पर टिपण्णी ना जा पायी --उन्हें यहीं से शुभकानाएं भेजती हूँ | आपको इस सुंदर प्रस्तुति पर बहुत बधाई और नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं |
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