।।शुभ प्रातः वंदन।।
🙏
और पुरुषों द्वारा अपनी छाती चौड़ी करने को महिलाओं से चप्पलें उतरवा देना दूसरी बात
बल्कि यूं कहें कि यह तो फेमिनिज्म से आगे की बात है तो गलत ना होगा।
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें
आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।
टिप्पणीकारों से निवेदन
1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।
शुभ प्रभात सखी पम्मी
जवाब देंहटाएंएक सही सोच
एक अच्छी प्रस्तुति
सादर
सुप्रभात् पम्मी जी,
जवाब देंहटाएंस्वच्छता अभियान के पोल खोलती बहुत अच्छी भूमिका,सुंदर प्रस्तुतिकरण और सारी रचनाएँ अति सराहनीय है। बहुत अच्छा अंक आज का।
सभी रचनाकारों को बधाई एधं शुभकामनाएँ मेरी।
सस्नेहाशीष
जवाब देंहटाएंस्वच्छता अभियान चाहे कार्यालय दफ्तरों के फाइलों में दर्ज हो या अखबारों का मुहिम बस फेल है जब जागे नहीं जन
उम्दा लिंक्स चयन के लिए बधाई
सुन्दर सूत्र चयन। बहुत बढ़िया प्रस्तुति पम्मी जी।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशानदार रचनायें
बहुत सुंदर पम्मी जी
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई एधं शुभकामना
प्रभावशाली प्रस्तावना संग बहुत सुन्दर लिंक संयोजन पम्मी जी . सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं .
जवाब देंहटाएंअपने देश में जाने कितने ही अभियान स्वक्षता अभियान की तरह धूल फांकते हैं ... ये विडंबना है देश की ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर हलचल ही आज की ...
आभार मेरी रचना को जगह देने के लिए ...
बढ़िया प्रस्तुति स्वच्छता की भूमिका के साथ! बधाई!!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआदरणीया पम्मी जी की आज की प्रस्तुति कई मायनों में विशेष अर्थ रखती है। बधाई पम्मी जी इस शानदार प्रस्तुति के लिए।
जवाब देंहटाएंवर्तमान सरकार का स्वच्छता अभियान हो या पूर्ववर्ती सरकार का निर्मल भारत अभियान हो दोनों का यही हाल रहेगा जब तक हम एक सजग नागरिक के तौर पर स्वच्छता को अपने जीवन का जरूरी अंग नहीं बनाते।
स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ते मैं दिल्ली में रोज़ देखता हूं। पुरानी दिल्ली के जमुनापार इलाक़े में कूड़े के ऊंचे ऊंचे ढेर आपको कभी भी सड़कों पर पड़े दिखाई दे सकते हैं।
दिल्ली महानगरपालिका को अब तीन हिस्सों में बांट दिया गया है। दक्षिण दिल्ली की महानगरपालिका अपने खर्चे उठा पाने में सक्षम है वही उत्तर पूर्वी दिल्ली और उत्तर पश्चिमी दिल्ली महानगर पालिका ने अपने अपने खर्च का उपयुक्त इंतजाम नहीं कर पा रही हैं। इनका रोना-धोना यही चलता रहता है कि फंड की कमी की वजह से हम शहर में सफाई व्यवस्था का उपयुक्त इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं।
दरअसल नागरिक कौन है यह साफ-साफ अब समझ लिया है कि इस स्वच्छता अभियान की धज्जियां इसलिए उड़ाई जा रही हैं क्योंकि यह झगड़ा केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच का है।
ऐसा ही हाल देश के अन्य शहरों में भी हो सकता है।
बहरहाल दिल्ली में तो दिल्ली उच्च न्यायालय को इस भयावह स्थिति पर संज्ञान लेना पड़ा है।
आज चुनी गईं रचनाएं देश के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य पर विशेष नज़र डालती हैं।
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
हर नागरिक यदि स्वच्छता रखने में सरकार की मदद करे तभी यह कार्य सम्भव है. सुंदर सूत्रों का चयन..बधाई और शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा संकलन.
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंखूबसूरत लिंक संयोजन ! बहुत खूब आदरणीया ।
जवाब देंहटाएंहलचल का एक और बहुत ही उम्दा संकलन ! सभी रचनाएं अनमोल ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार पम्मी जी !
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति स्वच्छता की भूमिका के साथ! बधाई!!!
जवाब देंहटाएंह्रदय से आभार .. मजबूत संकलन
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति सुंदर रचनाओं का समायोजन।
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को सादर बधाई।
सफाई अभियान पर सही प्रहार हमारी मनोदशा कि मेरे एक के करने या न करने से क्या फर्क पडना है।
मान्यवर अरुण साथी जी ये स्साले तथाकथित पंडित (विद्वान ,ब्रह्मज्ञानी )पद्मावती को भी राजपूत गौरव तक सीमित कर देते हैं इनके लिए यह राष्ट्रीय शौर्य का अपमान नहीं है। और जाधव मामले पर पाकिस्तान की चौदहवीं सदी की जहालत इन्हें जाधव की माँ और पत्नी का अपमान लगता है भारत राष्ट्र का नहीं जिसे पाक लगातार चिढ़ा उकसा रहा है। संसद के दोनों सदनों में कूदते बंदर इस राष्ट्रीय अपमान को मोदी कुछ नहीं कर सका बतला रहे हैं।
जवाब देंहटाएंवरना लालू किस खेत की मूली है।ये सब के सब संवेदना शून्य व्यक्ति हैं मणिशंकर एयर के शिष्य हैं। इन्होनें जैचंद मीरजाफर और उससे भी पहले आम्भी नरेश का कद छोटा कर दिया है जिसने सिकंदर के साथ मिलकर पौरुष पे हमला किया था। पाक को इनलोगों की प्रतिमाएं लाहौर चौक पर लगानी चाहिए। काहे के बोधवान हैं ये -सबके सब वित्तेषणा के गुलाम हैं बौद्धिक भकुए हैं।
बेहतरीन विश्लेशण किया है आपने तथ्य परोस कर चारा काण्ड के।
लालू कुनबे का तो राष्ट्र को अतिरिक्त सम्मान करना चाहिए जिन्होंने चारा ही नहीं लालू पुत्र ने तो मिट्टी खाने का भी कीर्तिमान स्थापित किया है। ये सब हमारी आज की राष्ट्रीय धरोहरें हैं -भूमि हड़पू ,चारखाऊ ,माटी भक्षी आप चाहें तो इन्हें सर्व -भक्षी कह सकते हैं ओम्नीवोरस कह सकते हैं।
veeruvageesh.blogspot.com
vageeshnand.blogspot.com
gyanvigyan2018.blogspot.com
veerubhai1947.blogspot.com
veeruji05.blogspot.com
veerusa.blogspot.com
बहुत सुन्दर प्रस्तुतिकरण एवं उम्दा लिंक संकलन....
जवाब देंहटाएंकर क्षणिक अनुराग, वो भँवरा ले उड़ा पराग....
जवाब देंहटाएंदो छंदों का यह कैसा राग?
न आरोह, न अनुतान, न आलाप,
बस आँसू और विलाप.....
ज्यूँ तपती धरती पर,
छन से उड़ जाती हों बूंदें बनकर भाफ,
बस तपन और संताप....
यह कैसा राग-विहाग, यह कैसा अनुराग?
कर क्षणिक अनुराग, वो भँवरा ले उड़ा पराग....
गीत अधुरी क्यूँ उसने गाई,
दया तनिक भी फूलों पर न आई,
वो ले उड़ा पराग....
लिया प्रेम, दिया बैराग,
ओ हरजाई, सुलगाई तूने क्यूँ ये आग?
बस मन का वीतराग.....
यह कैसा राग-विहाग, यह कैसा अनुराग?
कर क्षणिक अनुराग, वो भँवरा ले उड़ा पराग....
सूना है अब मन का तड़ाग,
छेड़ा है उस बैरी ने यह कैसा राग!
सुर विहीन आलाप....
बे राग, प्रीत से विराग,
छम छम पायल भी करती है विलाप,
बस विरह का सुहाग.....
यह कैसा राग-विहाग, यह कैसा अनुराग?
कर क्षणिक अनुराग, वो भँवरा ले उड़ा पराग....
वैरागी मन की क्या कहें -
न कोई राग न विराग ,
न द्वेष न मोह ,फिर कैसा मलाल ,
भंवरा ले उड़ा पराग।
सुंदर अभिव्यंजना प्रधान अभिव्यक्ति।
फ़िज़ूल की ग़ज़ल को स्थान देने के लिए दिल से आभार नमन
जवाब देंहटाएंपम्मी जी आज की प्रस्तुति बहुत ही सुंदर है सभी रचनाकारों को बधाई
जवाब देंहटाएं