ये नश्वर देह अगर किसी को जीवन दे पाये इससे बढ़कर
मनुष्यता और पुण्य कुछ नहीं।
स्नेहयुक्त, पवित्र अभिव्यक्ति
तैयार की गयी सुंदर रचना
उम्मीद से भरी रचना
प्रसवित सर्वधर्म समभाव का सार्थक संदेश देती बहुत सुंदर रचना
चचा ग़ालिब के लिये अलग अंदाज़ में
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें
आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।
टिप्पणीकारों से निवेदन
1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।
शुभ प्रभात सखी
जवाब देंहटाएंसुन्दर आव्हान
अंग दान व देहदान की परम्परा अब
परम्परा नहीं है कर्तव्य बन रहा है
एक बेहतरीन प्रस्तुति
सादर
सस्नेहाशीष संग आभार बहना
जवाब देंहटाएंजब श्रेया के संग मेरी बात खत्म हुई तो मैं सोच में पड़ गई कि ना जाने मैंने सुझाव सही दिया भी कि नहीं... खुद को परखने के लिए ही ब्लॉग पर पोस्टिंग की
आपके चयन से सन्तुष्टि मिली
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
प्रस्तावना एक महत्वपूर्ण संदेश भरी और संकलन बहुत सुन्दर रचनाओं से सम्पन्न ..., लाजवाब प्रस्तुतिकरण श्वेता जी .चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ .
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनायें
सुप्रभात।
जवाब देंहटाएंसारगर्भित विचारणीय आज की प्रस्तुति। बधाई श्वेता जी।
आज के अंक का अग्रलेख अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर हमारा ध्यान आकर्षित करता है। अंगदान के प्रति हमारे पूर्व निर्धारित सोच पर मनन करने को विवश करता है।
सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक। इस अंग में चयनित सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
कृपया अंग को अंक पढ़िएगा। धन्यवाद।
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति श्वेता जी। आभार 'उलूक' के सूत्र 'गालिब'को आज के हलचल के अंक के शीर्षक पर जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं
अति विशिष्ट संकलन भाव और मनोकामना पूर्ण ..अति सुँदर ...🙏
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुभ दोपहर सटीक भूमिका सत्य कहा आपने मृत्यु के बाद तो वैसे भी सब कुछ रात में ही मिल जाना है अगर इस शरीर के अंग किसी के काम आ सके तो उससे पुण्य का दूसरा कोई कार्य नहीं होगा आभार आपका
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंशुभ दोपहर
सारगर्भित विचारणीय अग्रलेख महत्वपूर्ण विषय है..बहुत सुंदर अंक तैयार किया है श्वेता जी ने..
सभी रचनाएँ बढिया चयनित रचनाकारों को शुभकामनाएँ
धन्यवाद,☺
प्रिय श्वेता जी-- आज के संकलन की सभी रचनाएँ पढ़ी | बहुत ही अच्छी रचनाएँ हैं | बस सुशील जी के ब्लॉग पर अक्सर मैं लिख नहीं पाती-- अन्यथा आज बहुत मन था वहां लिखने का | यहीं से सुशील जी को हार्दिक बधाई और नववर्ष की शुभकामनाएं प्रेषित करती हूँ | ये साल मेरे लिए कौतुहल भरा साल रहा और इस कौतुहल में परम कौतुक भरा लेखन लगा उलूक टाइम्स का | आज की रचना ग़ालिब चचा के बारे में बहुत कमाल है | आपको सफल संयोजन केलिए बहुत बधाई और नववर्ष की शुभकामनाएं | आज की भूमिका में अंगदान का आह्वान बहुत सार्थक है | हमारे बाद हमारे अंग किसी को जीवन दान दे उसके भीतर धडकते रहें इससे बढ़कर कोई दान क्या और ख़ुशी क्या ? सबको चिंतन करना चाहिए |
जवाब देंहटाएंरेनू जी आप ब्लॉग पर आती हैं पढ़ती हैं समझती हैं इससे बड़ा और क्या हो सकता है एक लिखने वाले के उत्साहवर्धन के लिये। आभारी हूँ।
हटाएंमहत्वपूर्ण अग्रलेख के साथ सुंदर प्रस्तुति. मेरी रचना को भी स्थान देने के लिये सादर आभार.सभी साथियों को बधाई.
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक प्रस्तुतिकरण उम्दा पठनीय लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंअत्यंत रोचक नववर्ष मंगलमय हो
जवाब देंहटाएं