जय मां हाटेशवरी....
लंबे इंतजार के बाद हिमाचल-गुजरात विधान सभा के चुनाव परिणाम जनता के विवेक के अनुसार आ गये हैं....
हर चुनाव-परिणाम के बाद जो होता है....वो ही हो रहा है....
हम तो आशा करते हैं.....आए नतीजे देश-प्रदेश के हित में हो.....
जिन्हे सत्ता मिली....उन्हे शुभकामनाएं.....
जो विपक्ष में बैठ गये हैं.....उनके पास समय है....जनता का दिल जीतने का.....
यादों में---बृजेश नीरज।
कभी तो निकलोगे रस्ते हमारे
दीदार का ये आसरा बहुत है
मिलना तो कहना भुलाया नहीं था
जीने को बस ये फसाना बहुत है
रो रही हैं आज क्यों फिर पुतलियाँ ...
उँगलियों की चाल, डोरी का चलन
जानती हैं खेल सारा पुतलियाँ
खुल गया टांका पुराने दर्द का
रो रही हैं आज क्यों फिर पुतलियाँ
ख़्वाब सुनहरे बेचा कर
जो भी तुझसे प्रश्न करे
उसके मुँह पर ताला कर
बेबस चीखें कहती हैं
ज़ुल्म न हमपे इतना कर
सफ़ेद फूलों के बारे में
सफ़ेद फूलों के संग नहीं पैबस्त होता
भावनाओं का कोई रंग
उदास मौसम में उम्मीद से खिलते हैं सफ़ेद फूल
जैसे वादियों में खिलती है झक्क सफ़ेद बर्फ
इस्तेहार
कितनी सुर्खियां जलकर ख़ाक हुई,
सोच कर यलगार बन बैठे है हम।
बदल जाता मुसाफिर हर सफर में,
काठ के पतवार बन बैठे हैं हम।
यदि आप बच्चे की ज़िद और गलत व्यवहार से परेशान हैं, तो अपनाएं ये उपाय...
1) सबसे पहले खुद के क्रोध पर काबू पाए......
जब भी बच्चा जिद्दी या गलत हरकत करने लगता हैं तो हमें उस पर क्रोध आने लगता हैं। क्रोधवश हम उसे डांटने या मारने लगते हैं। न्यूटन के नियमानुसार हर क्रिया की प्रतिक्रिया ज़रूर होती हैं। सोचिए...जब बच्चे के गलत व्यवहार से हम खुद बड़े होकर अपने आप पर काबू नहीं रख पाए तो वो छोटा सा बच्चा...हमारे गुस्सा होने पर कैसे शांत रहेगा? इसलिए गुस्सा न करते हुए बच्चे से प्यार से पेश आएं। मारपीट की जगह आप बच्चें को शारीरिक श्रम वाली सज़ा दे सकते है जैसे ग्राउंड के दो चक्कर लगाना या 5 बार सीढ़ी उतरना चढ़ना, इससे शारीरिक श्रम भी हो जाएगा और श्रम से दिमाग से निकलने वाले सिरोटोनिन से बच्चें का मूड भी ठीक हो जाएगा। जहाँ तक संभव
हो बच्चे को सब के बीच सजा देने से बचे। इससे उनके आत्मसमान को ठेस पहुंचती है।
2) सही गलत का अंतर समझाएं........
आप यदि बच्चे की कोई बात नहीं मान रहे हैं तो उसका सही कारण बच्चे को समझाएं। सही कारण समझ में आने पर बच्चा खुद ही उस बात के लिए ज़िद नहीं करेगा। जैसे कि उपरोक्त उदाहरण में यदि उस दंपति का व्यवहार बच्चे के साथ अति लाड-प्यार का न होकर संतुलित होता, तो वो बच्चे को ये समझाने में कामयाब होते कि ज्यादा चॉकलेट से उसकी सेहत को नुकसान होगा...उसके दांतो में दर्द होगा...इसलिए वे उसे और चॉकलेट नहीं दे रहे हैं लेकिन दो दिन बाद वे उसे चॉकलेट ज़रूर लाकर देंगे तो ये नौबत
नहीं आती।
राम तुम बन जाओगेझूला .....
और इसमें प्रतिष्ठित
यह भग्न प्रतिमा
मुक्ति का वरदान पाकर
छूट जाउँगी
सकल इन बंधनों से,
राम तुम बन जाओगे
एक वृक्ष कटा
साथ ही
कट गई
कई आशाएँ
कितने घोंसले
पक्षी निराधार
सहमी चहचहाहट
धन्यवाद।
शुभ प्रभात भाई
जवाब देंहटाएंशुभ कामनाएँ फिर से नई सरकार की
बढ़िया प्रस्तुति
सादर
सुप्रभात ...
जवाब देंहटाएंभावभीनी हलचल ... सरकार की सरकार को बधाई ...
आभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने के लिए ...
सस्नेहाशीष संग शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुतीकरण
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनायें
सुन्दर प्रस्तुति कुलदीप जी।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद कुलदीप जी । सभी रचनाएँ लाजवाब ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र सभी ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद कुलदीप जी ! आभार आपका !
जवाब देंहटाएंआदरणीय कुलदीप जी,
जवाब देंहटाएंसुप्रभातम्।
बहुत सुंदर लिंक संयोजन,सारी रचनाएँ बहुत अच्छी.लगी।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
बहुत सुन्दर, उम्दा लिंक संकलन....
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति, उम्दा लिंक्स...आभार मेरी ग़ज़ल शामिल करने के लिए
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई..विविधताओं से परिपूर्ण आज की प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंआभार।
प्रभावी प्रस्तुति कुलदीप जी। बधाई। रचनाओं का चयन कौशल उत्तम। इस अंक के लिए चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं। आभार सादर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर इस अंक के लिए चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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