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रविवार, 10 दिसंबर 2017

877....असली सब छिपा कर रोज कुछ नकली हाथ में थमा जाता है

सादर अभिवादन स्वीकारें
आज हम आए हैं....बुखार आया है
आज आने वाले को...

शायद  उन्होंने मच्छर को काट लिया है....
का़टने वाले को मच्छरों नें बारह घण्टे के
लिए मच्छरदानी में कैद कर दिया है.....
आज हमारी पसंद....


उपांतसाक्षी...पुरुषोत्तम सिन्हा
आच्छादित है...
ये पल घन बनकर मुझ पर,
आवृत है....
ये मेरे मन पर,
परिहित हूँ हर पल,
जीवन के उपांत तक,
दस्तावेजों के हाशिये पर...



हाँ, मैं ख़्वाब लिखती हूँ....... श्वेता सिन्हा
चटख कलियों की पलकों की
लुभावनी मुस्कान 
वादियों के सीने से लिपटी 
पर्वतशिख के हिमशिला में दबी
धड़कते सीने के शरारे से
पिघलती निर्मल निर्झरी
हर दिल का पैगाम सुनती हूँ
हाँ,मैं ख्वाब लिखती हूँ।





तापस....अनीता लागुरी
मेरी डायरियों के पन्नों में,
रिक्तता शेष नहीं अब,
हर सू  तेरी बातों का
सहरा है..!
कहाँ  डालूं इन शब्दों की पाबंदियाँ 
हर पन्ने में अक्स तुम्हारा
गहरा है...!



तुम्हारे हहराते प्यार की हलकार में...विश्वमोहन
मेरा क्या?
बिंदु था,
न लंबाई
न चौड़ाई
न मोटाई
न गहराई
भौतिकीय शून्य!
पर नापने से थोड़ा 'कुछ'!



ज़िंदगी-मौत.............नीतू ठाकुर
मौत की ही बंदगी
ज़िंदगी तो ख्वाब है
एक दिन मिट जाएगी
मौत है असली हकीकत
एक दिन टकराएगी
मौत से बढ़कर कोई भी
चाहने वाला नहीं




मैं....मीना भारद्वाज
समाया है समूचे
संसार में और
गीता के सार में
“अहम् ब्रह्मास्मि”
सब कुछ ईश्वर‎मय
कर्म भी , फल भी ।

स्टेशन...ओंकार केडिया
मैं चुपचाप जा रहा था ट्रेन से,
न जाने तुम कहाँ से चढ़ी 
मेरे ही डिब्बे में
और आकर बैठ गई 
मेरे ही बराबरवाली सीट पर.

उलूक के पन्ने से

हिसाब 
लगाते लगाते 
लिखने वाला 
लेखक तो नहीं 
बन पाता है 
बस थोड़ा सा 
कुछ शब्दों को 
तोलने वाली मशीन 
हाथ में लिये एक 
बनिया जरूर 
हो जाता है 

कुछ नहीं किया 
जा सकता है ‘उलूक’ 

आज बस इतना ही
सादर
दिग्विजय











15 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात सबको
    आभार आपको
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. आज की इस बेहतरीन एक से बढकर एक रचनाओं को संकलित करने तथा मेरी रचना को भी स्थान देने हेतु आभार आदरणीय दिग्विजय जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत उम्दा रचनाओं का संकलन पढ़ कर आनंद आ गया

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात!
    बेहतरीन प्रस्तुतीकरण .मेरी रचना‎ को इस खूबसूरत से पुष्पगुच्छ में स्थान दे कर मान देने के लिए‎ तहेदिल से सादर आभार .

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीया बहन जी अस्वस्थ हैं। वे शीघ्र स्वस्थ होकर सक्रिय हों ऐसी कामना करता हूं। बेहतरीन अंक प्रस्तुत किया है आदरणीय भाई जी ने आज। रविवारीय अंक की अपनी एक अलग विशेषता है जिसे आपने बखूबी बरकरार रखा है। एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन पेश करना आपकी संयोजन कला का कमाल है। आज की संक्षिप्त भूमिका में समाचार भी है और गहरा व्यंग भी। इस अंक के लिए चयनित सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं। आभार सादर।

    जवाब देंहटाएं
  6. ज्वर में आराम करें शीघ्र स्वस्थ होवें। आभार 'उलूक' का कि ऐसी हालत में भी उसे शीर्षक पर चढ़ा दिया आपने यशोदा जी। शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय सर जी,
    सुप्रभातम्
    दी जल्दी ही स्वस्थ हो जाए यही कामना है।
    आज की सराहनीय प्रस्तुति और पठनीय रचनाओं के बीच मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार। सभी साथी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  8. सुप्रभात सर,
    बेहतरीन संकलनों से युक्त रविवारीय अंक ,हर रचना अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही है।
    मुझे भी शामिल करने के लिए ह्रादिक आभार...एवं सभी चयनित रचनाकारों को भी शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहतरीन संकलन.. सभी रचनाएं सुंंदर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सूंदर प्रस्तुति
    बेहद शानदार

    जवाब देंहटाएं
  12. बेहतरीन संकलन
    उम्दा रचनायें

    जवाब देंहटाएं
  13. सुन्दर लिंक्स. मेरी कविता शामिल की. आभार.

    जवाब देंहटाएं

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