आज हम आए हैं....बुखार आया है
आज आने वाले को...
शायद उन्होंने मच्छर को काट लिया है....
का़टने वाले को मच्छरों नें बारह घण्टे के
लिए मच्छरदानी में कैद कर दिया है.....
आज हमारी पसंद....
उपांतसाक्षी...पुरुषोत्तम सिन्हा
आच्छादित है...
ये पल घन बनकर मुझ पर,
आवृत है....
ये मेरे मन पर,
परिहित हूँ हर पल,
जीवन के उपांत तक,
दस्तावेजों के हाशिये पर...
हाँ, मैं ख़्वाब लिखती हूँ....... श्वेता सिन्हा
चटख कलियों की पलकों की
लुभावनी मुस्कान
वादियों के सीने से लिपटी
पर्वतशिख के हिमशिला में दबी
धड़कते सीने के शरारे से
पिघलती निर्मल निर्झरी
हर दिल का पैगाम सुनती हूँ
हाँ,मैं ख्वाब लिखती हूँ।
तापस....अनीता लागुरी
मेरी डायरियों के पन्नों में,
रिक्तता शेष नहीं अब,
हर सू तेरी बातों का
सहरा है..!
कहाँ डालूं इन शब्दों की पाबंदियाँ
हर पन्ने में अक्स तुम्हारा
गहरा है...!
तुम्हारे हहराते प्यार की हलकार में...विश्वमोहन
मेरा क्या?
बिंदु था,
न लंबाई
न चौड़ाई
न मोटाई
न गहराई
भौतिकीय शून्य!
पर नापने से थोड़ा 'कुछ'!
ज़िंदगी-मौत.............नीतू ठाकुर
मौत की ही बंदगी
ज़िंदगी तो ख्वाब है
एक दिन मिट जाएगी
मौत है असली हकीकत
एक दिन टकराएगी
मौत से बढ़कर कोई भी
चाहने वाला नहीं
मैं....मीना भारद्वाज
समाया है समूचे
संसार में और
गीता के सार में
“अहम् ब्रह्मास्मि”
सब कुछ ईश्वरमय
कर्म भी , फल भी ।
स्टेशन...ओंकार केडिया
मैं चुपचाप जा रहा था ट्रेन से,
न जाने तुम कहाँ से चढ़ी
मेरे ही डिब्बे में
और आकर बैठ गई
मेरे ही बराबरवाली सीट पर.
उलूक के पन्ने से
हिसाब
लगाते लगाते
लिखने वाला
लेखक तो नहीं
बन पाता है
बस थोड़ा सा
कुछ शब्दों को
तोलने वाली मशीन
हाथ में लिये एक
बनिया जरूर
हो जाता है
कुछ नहीं किया
जा सकता है ‘उलूक’
आज बस इतना ही
सादर
दिग्विजय
शुभ प्रभात सबको
जवाब देंहटाएंआभार आपको
सादर
आज की इस बेहतरीन एक से बढकर एक रचनाओं को संकलित करने तथा मेरी रचना को भी स्थान देने हेतु आभार आदरणीय दिग्विजय जी।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचनाओं का संकलन पढ़ कर आनंद आ गया
जवाब देंहटाएंसुप्रभात!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतीकरण .मेरी रचना को इस खूबसूरत से पुष्पगुच्छ में स्थान दे कर मान देने के लिए तहेदिल से सादर आभार .
आदरणीया बहन जी अस्वस्थ हैं। वे शीघ्र स्वस्थ होकर सक्रिय हों ऐसी कामना करता हूं। बेहतरीन अंक प्रस्तुत किया है आदरणीय भाई जी ने आज। रविवारीय अंक की अपनी एक अलग विशेषता है जिसे आपने बखूबी बरकरार रखा है। एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन पेश करना आपकी संयोजन कला का कमाल है। आज की संक्षिप्त भूमिका में समाचार भी है और गहरा व्यंग भी। इस अंक के लिए चयनित सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं। आभार सादर।
जवाब देंहटाएंज्वर में आराम करें शीघ्र स्वस्थ होवें। आभार 'उलूक' का कि ऐसी हालत में भी उसे शीर्षक पर चढ़ा दिया आपने यशोदा जी। शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंक्षमा करेंगे । आभार दिग्विजय जी के लिये ।
हटाएंआदरणीय सर जी,
जवाब देंहटाएंसुप्रभातम्
दी जल्दी ही स्वस्थ हो जाए यही कामना है।
आज की सराहनीय प्रस्तुति और पठनीय रचनाओं के बीच मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार। सभी साथी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सुप्रभात सर,
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलनों से युक्त रविवारीय अंक ,हर रचना अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही है।
मुझे भी शामिल करने के लिए ह्रादिक आभार...एवं सभी चयनित रचनाकारों को भी शुभकामनाएं ।
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जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन.. सभी रचनाएं सुंंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
बहुत सूंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहद शानदार
बेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनायें
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स. मेरी कविता शामिल की. आभार.
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