जय मां हाटेशवरी....
हिमाचल में ठंड आवश्यक्ता से अधिक है....
पर चुनाव के नतीजों के इंतजार में....
ठंड अधिक महसूस नहीं हो रही है....
हम मत-दाताओं को भी इंतजार है चुनाव नतीजों में राज्य के भविष्य का.......
और प्रतियाशियों को भी इंतजार है, अपनी जीत के बाद कुर्सी का.......
ये इंतजार तो 18 दिसंबर तक रहेगा.....
पर अभी पेश है....आज के लिये मेरी पसंद के लिंक....
दूषित हवा
साधना वैद
परत दर परत खोल-खोल कर
खुद को ही उघाड़ा करते हो !
कितना मुश्किल हो गया है
इतनी दूषित हवा में साँस लेना
ताज़ी हवा के एक झोंके की
सख्त दरकार है कि
दम घुटने से
कुछ तो राहत मिले
कुछ तो साँसें ठिकाने से आयें
कुछ तो जीने की चाहत खिले
कहानी खोल के रख दी है कुछ मजबूत तालों ने ...
दिगंबर नासवा
यकीनन दूर है मंज़िल मगर मैं ढूंढ ही लूंगा
झलक दिखलाई है मुझको अँधेरे में उजालों ने
वो लड़की है तो माँ के पेट में क्या ख़त्म हो जाए
झुका डाली मेरी गर्दन कुछ ऐसे ही सवालों ने
शेमलेस गर्ल्स
प्रतिभा कटियार
'कोई चिढ़ाता नहीं 'मैंने पूछा।
उसने चश्मे से बड़ी बड़ी आँखों से घूरते हुए कहा,' चिढ़ाता है? किसी को पिटना है क्या?'
उसने आगे जोड़ा, 'जब टीचर बिना गलती के डांटती हैं तब बुरा लगता है, और जब पढाई में लापरवाही होती है खुद से तो डांट न भी पड़े तो भी बुरा लगता है. शैतानी करना
तो हम बच्चों का हक़ है न. चाइल्ड राइट उसके लिए पनिशमेंट मिलना तो अच्छी बात है न ?' हंस पड़ी थी वो कहते हुए.
उसका मछली की आवाज़ निकालता मुंह और आवाजें सारा दिन मुस्कुराहटों का सबब बनी रहीं. और उसका वो 'शेमलेस गर्ल्स' पर खिलखिलाना भी.
फलसफा प्रजातंत्र का
आशा सक्सेना
आज तक समझ न आया !
प्रजातंत्र का फलसफा
कोई समझ न पाया !
शायद इसीलिये किसीने कहा
पहले वाले दिन बहुत अच्छे थे
यात्रा में क्षणिकाएं
अर्चना चावजी
कविताएं जन्म लेती है
भावनाओ से
भावनाएं बहती है
मौन के चिंतन से
चिंतन शुरू होता है
एकांत के मिलने से
और एकांत जाने कब
किस कोने में दुबका मिल जाये
नहीं जानता कोई
और अप्रत्याशित रूप से
जन्म ले लेती है
काव्यमय कविता ...
स्वधायै स्वहायै नित्यमेव भवन्तु...
गौतम राजऋषि
प्रक्रिया तीन बार दोहराई जाती है और अब तक उपेक्षित बंद पड़ा छाता आधा खुलता है और अपने उदर में तीन मछलियों को समाहित कर वापस बंद हो जाता है |
बहती पगडंडी पर वापसी की यात्रा अपने साथ के एक अजब-ग़ज़ब से रोमांच को लिए लड़के की स्मृतियों में क़ैद हो जाती है |
युवा शक्ति
हिमाशु मित्रा
नही आग है इन हाथो मे
हम खुद ही एक चिंगारी है
अंधता और अत्याचारो से
युद्ध हमारा फिर जारी है
ये युवा ही राष्ट्र शक्ति है
देश कर्म फैला कर देखो
हम सब ही तो सिद्ध युक्ति है
दृढसंकल्प जगा कर देखो
धन्यवाद.
शुभ प्रभात भाई कुलदीप जी
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचनाएँ
आभार
सादर
सस्नेहाशीष संग अक्षय शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुतीकरण
वाह...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति....
सादर....
उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
बहुत सुन्दर प्रस्तुति कुलदीप जी।
जवाब देंहटाएंसुहानी हलचल ...
जवाब देंहटाएंआभार मुझे भी साथ लेने का आज की हलचल में ...
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
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