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मंगलवार, 22 अगस्त 2017

767....अमरीका में रहना विज्ञान और भारत में रहना कला

जय मां हाटेशवरी....
स्वागत है....आप का....
पांच लिंकों के आनंद के इस सुहाने सफर में....

हर रेलवे हादसे के बाद इसके कारणों को लेकर कई तरह की बातें कही और सुनी जाती हैं. हादसे के बाद सरकार जाँच के आदेश देती है, हालाँकि अधिकतर मामलों में कसूरवार कौन था ये फ़ाइलों में ही दबकर रह जाता है.
कभी रेलवे कर्मियों की लापरवाही पर बात होती है तो कभी कहा जाता है कि बाहरी ताकतों ने इसे अंजाम दिया है.
एक तरफ तो केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु को लगातार हो रही रेल दुर्घटनाओं के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ ये आरोप भी लग रहे हैं कि मोदी सरकार में रेल हादसों की संख्या बढ़ गई है.
लेकिन क्या सचमुच ऐसा है? और इस सवाल में कितना दम है कि ज्यादातर रेल हादसे रेलवे कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से होते हैं.
सरकार का जवाब
रेलवे सेफ्टी और यात्री सुरक्षा से जुड़े एक सवाल के जवाब में सात दिसंबर, 2016 को लोकसभा में सरकार ने इस सवाल का लिखित जवाब दिया था.
सुरेश प्रभु ने बताया, "साल 2014-15 में 135 और 2015-16 में 107 रेल हादसे हुए. 2016-17 में नवंबर 2016 तक 85 रेल हादसे हुए."
रेल मंत्री के मुताबिक, "पिछले दो साल और मौजूदा साल में हुए रेल हादसों की बड़ी वजहें रेलवे स्टाफ़ की नाकामी, सड़क पर चलने वाली गाड़ियां, मशीनों की ख़राबी, तोड़-फोड़ हैं."
संसद में सरकार ने बताया कि 2014-15 के 135 रेल हादसों में 60 और 2015-16 में हुए 107 हादसों में 55 और 2016-17 (30 नवंबर, 2016 तक) के 85 हादसों में 56 दुर्घटनाएं रेलवे स्टाफ़ की नाकामी या लापरवाही की वजह से हुईं. पटरी से उतरी ट्रेन शनिवार को हुए मुज़फ़्फ़रनगर के खतौली में हए भीषण हादसे के ठीक एक महीने पहले रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने  19 जुलाई  को संसद में बताया था कि बीते पांच सालों (2012-17) में देश में 586 रेल हादसे हुए हैं और इनमें 308 बार ट्रेन पटरी से उतरी है.
इस दौरान इन हादसों में 1011 लोग मारे गए और सिर्फ पटरी से उतरने वाली ट्रेनों ने 347 जानें लीं.
खतौली में भी यही हुआ कि पुरी से हरिद्वार जा रही उत्कल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई.
साभार BBC Hindi से...
अब पेश है...आज के पांच लिंक...








जो अपने दिल में इन्कलाब लिए बैठा है ...
पता है सच उसे मगर वो सुनेगा सब की 
वो आईने से हर जवाब लिए बैठा है
वो अजनबी सा बन के यूँ ही निकल जाएगा
वो अपने चहरे पे नकाब लिए बैठा है
दिलों के खेल खेलने की है आदत उसकी 
वो आश्की की इक किताब लिए बैठा है

2022 के सपने क्यों?
सवाल है कि क्या 2022 का स्वप्न 2019 की बाधा पार करने के लिए है या 'अच्छे दिन' नहीं ला पाने के कारण पैदा हुए असमंजस से बचने की कोशिश है? सवाल यह भी है कि क्या जनता उनके सपनों को देखकर मग्न होती रहेगी, उनसे कुछ पूछेगी नहीं? मोदी सरकार देश के मध्य वर्ग और ख़ासतौर से नौजवानों के सपनों के सहारे जीतकर आई थी. उनमें आईटी क्रांति के नए 'टेकी' थे, अमेरिका में काम करने वाले एनआरआई और दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद और मुम्बई के नए प्रोफ़ेशनल, काम-काजी लड़कियाँ और गृहणियाँ भी.

रिश्ते
छल फरेब
ईर्ष्या द्वेष से नहीं
प्यार और मुहब्बत से
हैं संवरते रिश्ते


गीत "सभ्यता पर ज़ुल्म ढाती है सुरा
ध्यान जनता का हटाने के लिए,
नस्ल को पागल बनाने के लिए,
आज शासन को चलाती है सुरा,
मौत का पैगाम लाती है सुरा।।

कोई कुछ कह रहा है ".....देवराज कुमार
अब ये तारे, ये जमीं, ये पौधे,
ये पूरी दुनियां यही कह रही है |
हवा और नदियां बह रही हैं,
क्यों आवाज जहर बन रही है |
वो पवित्र नदी नाला बन कर,
क्यों जहर  बनकर बह रही है |

अमरीका में रहना विज्ञान और भारत में रहना कला
अमरीका जैसे देशों में रहना एक विज्ञान है, यहाँ रहने के अपने घोषित और स्थापित तरीके है, जो सीखे जा सकते हैं ठीक उसी तरह जैसे कि विज्ञान की कोई सी भी अन्य बातें- किताबों से या ज्ञानियों से जानकर. कैसे उठना है, कैसे बैठना है, कैसे सोना है, कैसे बिजली का स्विच उल्टा ऑन करना है, कब क्या करना है, सड़क पर किस तरफ चलना है- सब तय है.
मगर भारत में रहना- ओह!! यह एक कला है. इस हेतु आपका कलाकार होना आवश्यक है. और कलाकार बनते नहीं, पैदा होते हैं.
धन्यवाद।



8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात भाई कुलदीप जी
    आज की प्रस्तुति में आपने सभी पहलुओं को छुआ है
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय ,कुलदीप जी
    शुभप्रभात ,नये ढ़ंग से
    लिंकों का संयोजन ,सुन्दर व उद्देश्यपरक रचनाओं का चयन
    दिन-प्रतिदिन हमारे पाँच लिंकों का आनंद मंच को एक नया आयाम दे रहा है
    आपके इस सुन्दर व सार्थक प्रयास के लिए आपको बहुत-बहुत शुभकामनायें
    आभार। ''एकलव्य''

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात,
    आदरणीय कुलदीप जी,
    सार्थक,समसामयिक,विचारणीय प्रस्तुति।
    अत्यंत उम्दा और पठनीय लिंकों का संयोजन है आज के अंक में।

    जवाब देंहटाएं
  4. साथक बहस ... .
    सुन्दर हलचल आज की ... आभार मुझे शामिल करने का ...

    जवाब देंहटाएं
  5. विचारणीय सूत्रों का संकलन। कुलदीप जी की प्रस्तुति गंभीर चिंतन की ओर ले जाती है। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं। आभार सादर।

    जवाब देंहटाएं

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