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शुक्रवार, 4 अगस्त 2017

749....लेखक पाठक गिनता है, पाठक लेखक की गिनती को गिनता है

सादर अभिवादन...

"बहुत दिन हुए तुमने, बदली नहीं तस्वीर अपनी!
मैंने तो सुना था, चाँद रोज़ बदलता हैं चेहरा अपना!!"

एक नज़र मेरी पसंद पर...

पहली बार हमारे ब्लॉग में रेखा बहन
नितिन ने रक्षाबंधन तक रोकने की अनुमति जीजाजी से भी ले ली । रक्षाबंधन के बाद निभा को छोड़ने के लिए नितिन तैयार हुआ तो निभा के बैग के अतिरिक्त एक बैग और था । निभा निकलने लगी तो निधि देवांश को लेकर आई और निभा की गोद में दे दिया। निभा उसे छोड़कर जाने की बेला आने पर  सीने से लगा कर रो पड़ी ।
नितिन ने निभा की पीठ पर हाथ रखा और बोला - ' दी रोइए मत , देवांश आपकी राखी का तोहफा है , इसे जीवन आपने दिया है और अब आपका बेटा है ।' 


"दूर देश से आई बहना".... अर्चना सक्सेना
हंस करके दीदीजी बोली
हमारे प्रेम में है शक्ति बड़ी 
कल तो थी मैं पड़ी बीमार 
आज सात समुंदर पार आ गई 



हमसब भारतियों ने मिलकर,
एकता का  ऐसा अलख जगाया  है । 
एक भारत श्रेष्ठ भारत का नारा, 
हम ने दिल से अपनाया है ।


हर ईक क्षण ये विदाई की दे रही है पीड़ा,
रो रहा टूट कर मन का हरेक टुकड़ा,
छलकी हैं इतनी आँखें, ज्यूँ आसमाँ है रो पड़ा!

जीवन के निष्ठुर राहों में
बहुतेरे स्वप्न है रूठ गये
विधि रचित लेखाओं में
है नीड़ नेह के टूट गये
प्रेम यज्ञ की ताप में झुलसे
छाले बनकर है फूट गये
मन थोड़ा तुम धीर धरो
व्यर्थ नयन न नीर भरो


मुस्कान मेरी मौन मेरा शक्तिशाली अस्त्र हैं....रविकर
कर सद्-विचारों का समर्थन दे रहा शुभकामना।
कुत्सित विचारों की किया रविकर हमेशा भर्त्सना।
पहचानना लेकिन कठिन सज्जन यहाँ दुर्जन यहाँ।
मुखड़े लगा के आदमी, करता यहाँ जब सामना।।



लौटते कभी नहीं उद्गम की ओर, 
बहुत नाज़ुक होते हैं नेह के धारे, 
ढलानों का मोह भुला देता है धीरे - धीरे,  
बचपन के सभी मासूम किनारे । 

गजब की बात 
नहीं है क्या 
लेकिन कुछ सच 
वाकई में 
सच होते हैं 
क्यों होते हैं 
ये तो पता नहीं 
पर होते है 
लिखते लिखते 
कब लेखक 
और पाठक दोनो 
शुरु हो चुके होते हैं 

आज्ञा दें दिग्विजय को..
.....
आ लौट के आजा मेरे मीत









9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात आदरणीय
    दिग्विजय जी
    सुन्दर लिंकों का चयन
    उम्दा प्रस्तुति

    आभार ,"एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं

  2. सुप्रभात!
    उम्दा सूत्रों का संकलन है आज का अंक।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं..
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभ प्रभात आदरणीय सर,
    सुंदर लिंकों का संयोजन, आज के सूत्रों में मेरी रचना को मान देने के लिए बहुत आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  4. लिखते-पढ़ते, लेखक एवं पाठक के बीच एक प्यार का अटूट बंधन बन जाता है। सुन्दर लिंकों से सजी आज की प्रस्तुति, सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर सूत्र संयोजन। आभार दिग्विजय जी 'उलूक' के सूत्र को जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं

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