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रविवार, 25 जून 2017

709....हिन्दी के ठेकेदारों की हिन्दी सबसे अलग होती है ये बहुत ही साफ बात है

शत शत प्रणाम
भगवान श्री जगन्नाथ को

रविवार, 19 जुलाई 2015 को
याद करती हूँ..... आज का दिन
आज  के दिन ही प्रसव हुआ
नन्हे शिशु "पांच लिंकों का आनन्द" का
साथ जुड़े भाई कुलदीप जी
इस शीर्षक के साथ
स्वाभाविक है..जीवन साथी ने भी साथ दिया...
पहले ही अंक से मेरा हौसला बढ़ाते हुए 
मेरे अग्रज भाई डॉ. सुशील जी जोशी ने
अब तक मुझे दुलारते,पुचकारते व ललकारते हुए
आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहे..
यहाँ तक की यात्रा जारी रही निर्बाध, निरंतर
चलते-चलते तीन साथी और मिले....
पम्मी सिंह जी, ध्रुव सिंह जी एवं रवीन्द्र सिंह जी

आभार उन सभी को हम सफर बनने के लिए
हिन्दी तिथि के अनुसार आज का ये अंक 
वर्षगाँठ अंक है....बधाइयों की हकदार है ये
"पांच लिंकों का आनन्द"
मैं भूली नहीं हूँ अपने अतिथियों को
उन्होंने यहां आकर मेरा मान बढ़ाया
अब चलिए चलते हैं आज के नियमित अंक की ओर..
आज रथ यात्रा भी है...बड़ा ही शुभ दिवस
और सोने में सोहागा कि कल ईद-उल-फितर भी है
अद्भुत संगम है दोनों उत्सव का

बरसों से सोंचे शब्द भी उस वक्त तो बोले नहीं 
जब सामने खुद श्याम थे तब रंग ही घोले नहीं !

कुछ अनछुए से शब्द थे, कह न सके संकोच में,
जानेंगे क्या छूकर भी,हों जब राख में शोले नहीं !

इश्क पर ज्यों ज्यों कड़ा पहरा हुआ| 
रंग इसका और भी गहरा हुआ| 

कह रहे थे तुम कि गुनती जाती मैं| 
यूँ अचानक आज इक मिसरा हुआ| 

क्षितिज की रक्तिम लावण्य में,
निश्छल स्नेह लिए मन में,
दिग्भ्रमित हो प्रेमवन में,
हर क्षण जला हूँ मैं अगन में...
ज्यूँ छाँव की चाह में, भटकता हो चातक सघन वन में।


इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ ---अहमद फ़राज़
इस से पहले कि बेवफा हो जाएँ
क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ

तू भी हीरे से बन गया पत्थर
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ


एक दिन.....श्वेता सिन्हा
खुद को दिल में तेरे छोड़ के चले जायेगे एक दिन
तुम न चाहो तो भी  बेसबब याद आयेगे एक दिन

जब भी कोई तेरे खुशियों की दुआ माँगेगा रब से
फूल मन्नत के हो तेरे दामन में मुसकायेगे एक दिन



कुछ तेरे ही हैं 
आस पास हैं 
और बाकी 
बचे कुछ 
क्या हुआ 
अगर बस
आठ पास हैं 
हिन्दी को 
बचा सकते हैं 
जो लोग वो 
बहुत खास हैं
खास खास  हैं।
....

काफी कुछ लिख गई
पर भाई कुलदीप जी हमारे ब्लॉग
"पांच लिंकों का आनन्द"
का वर्षगाँठ 19 जुलाई को ही मनाते हैं
कुछ विशेष यादगार होता है
वर्षगाँठ अंक..प्रतीक्षा करें
सादर






14 टिप्‍पणियां:

  1. "पांच लिंकों का आनन्द" को, जिसका जन्म रविवार, 19 जुलाई 2015 को हुआ, जन्मदिन की अनेकों शुककामनाएँ तथा जन्मदात्री एवं समस्त सहभागियों को उनके सुखद भविष्य की कामना। मुझे इस सफर में साथ लेने हेतु शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  2. सर्वप्रथम, जन्मदिन की बधाइयां..
    ये दिन
    आप सभी के निरन्तंर प्रयासों के फलस्वरूप ये संभव हो पाया..
    चयनित लिंक बहुत बढियाँ..धन्यवाद!
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. सभी रचनायें पसंद आई
    बेहतरीन सृजन

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ प्रभात !
    भगवान जगन्नाथ को शत-शत प्रणाम।
    भाई कुलदीप जी की तरह अधिकाँश पाठक भी परंपरागत ढंग से 19 जुलाई को ही "पाँच लिंकों का आनंद " की वर्षगाँठ मानेंगे और मनाएंगे।
    "पाँच लिंकों का आनंद " के सफ़र का वर्णन सुखकारी है ,रसमय है। अब ज़्यादा खुले तौर पर सभी समझ पाएंगे हमारे बारे में।
    एक से बढ़कर एक स्तरीय रचनाओं से सुसज्जित आज का यह अंक पाठकों रचनाकारों को अवश्य भायेगा। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई। आभार सादर।

    जवाब देंहटाएं
  5. रोज सुबह मौका समयाभाव के कारण नहीं भी मिल पाये तब भी शाम तक भी इंतजार रहता है पाँच लिंको के आनन्द के दीदार का। उसके जन्मदिन का भी रहेगा। 'उलूक' को और उसके सूत्रों बहुत सम्मान मिला है उसके लिये तहे दिल से आभार। एक पूरी टीम एक लगन से जिस मुकाम की ओर बढ़ रही है उसके लिये सभी को साधुवाद। इसी तरह पाँच लिंको का आनन्द नयी ऊँचाइयाँ छुये यही मंगलकामनायें हैं। आज के अंक में भी शीर्षक पर 'उलूक' के सूत्र का जिक्र किया है उसके लिये पुन: आभार्।

    जवाब देंहटाएं
  6. शुभप्रभात ,आदरणीय दीदी ये सफर है या मेरी मंज़िल मुझे ज्ञात नहीं किन्तु इतना अवश्य है आप जैसे प्रबुद्ध वर्ग का साथ मेरे लिए सुखमय है आप सब का विशेषकर ''यशोदा दीदी'' का जो मेरे छोटे-बड़े सभी क्रियाकलापों को सदैव प्रोत्साहित करतीं रहती हैं एवं मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा देतीं हैं हृदय से आभार यशोदा दीदी और कामना करता हूँ हमारा ये प्यारा परिवार आनेवाली नई बुलंदियों को निरंतर छूता रहे, इसके लिए आपसभी रचनाकारों एवं पाठकों का स्नेह अपेक्षित है।

    और मैं क्या कहूँ ,कुछ शेष नहीं
    चलतीं इच्छायें ,अवशेष नहीं
    मिलकर चलने की हमने सोची !
    संगठित मन, कोई क्लेश नहीं
    गुजरेगा तूं ,इन गलियों से
    रख विश्वास कोई द्वेष नहीं
    और मैं क्या कहूँ ,कुछ शेष नहीं

    आभार।
    "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय यशोदा दी को हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ,
    मुझ नवोदित रचनाकार का परिचय अन्य प्रबुद्ध सुधि जनों से परिचय करवाने सारा श्रेय आपको जाता है।सदैव आभारी रहेगे दी।
    मेरी सदैव यही कामना है कि आने वाले दिनों में पाँच लिंकों का आनंद की चमक से ब्लॉग जगत रौशन हो।
    आप सभी टीम के सदस्य को मेरी हार्दिक शुभकामना।
    आज के अंक में मेरी रचना को मान देने के लिए बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका हृदय से यशोदा दी।

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर लिंक संयोजन, उम्दा प्रस्‍तुती|

    http://hindikavitamanch.blogspot.in/2017/06/kya-pata-hai-tumhe.html

    जवाब देंहटाएं
  9. भगवान श्री जगन्नाथ को कोटी-कोटी नमन करते हुए.....
    बहुत हर्षित हूं....
    जिन की अनुपम कृपा से "पांच लिंकों का आनंद" के यात्रा में ये दिन एक बार फिर आया....
    ये पावन दिन हमारा ये ब्लौग मनाता रहे.....
    भगवान श्री जगन्नाथ से ये ही कामना है....
    आपने इस ब्लौग के शुभारंभ के लिये....
    भगवान श्री जगन्नाथ की यात्रा का दिन ही चुना....
    शायद हमारी ये यात्रा भी सफल हो सकी.....
    इस लिये इसी पावन दिन को ही हम....
    इस ब्लौग की वर्ष गांठ मनाएंगे.....


    "कौन कहता है कि बुने हुए ख्वाब सच्चे नहीं होते,
    मंजिलें उन्हीं को नहीं मिलती जिनके इरादे अच्छे नहीं होते,
    रूखी-सूखी रोटी और धक्के तो बहुत खाए हैं जिंदगी में लेकिन
    आज देख रहा हूँ कि सफलता के फल कभी कच्चे नहीं होते।"
    आने वाले वर्ष के लिये आप सभी के सुझाव की कामना में....
    कुलदीप ठाकुर.



    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत प्यारे लिंक हैं , आभार आपका !

    जवाब देंहटाएं
  11. हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ,

    जवाब देंहटाएं

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